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savinkandhil7264
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Savin Kandhil

Psychologist

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Savin Kandhil

🕯️याद आएगी उसकी🕯️

"अगर मेरी बात मुक्कमल थी, फिर कैसा अफसाना था
राहत अब राहत न रहे, जिनका काम सबको हंसाना था"

सेहत, सूरत, मदद, इबादत और भी है अनेकों पहलू
तेरी अदायगी का रस अब अपनी कविता में कह लु

उसकी आवाज की गूंज जब कानों में पड़ती थी
लगता था जैसे कोई समा रंगीन हो गया हो!
उसके शब्दों के सुरों की ऐसी लड़ाई लड़ती थी
लगता था जैसे वो सुरों का समुंदर तैर गया हो!!

याद आएगी उसकी, जिसने अपनी उम्र को जिंदा बनाया था
याद आएगी उसकी, जिसने हर गम को सहना सिखाया था
याद आएगी उसकी, जिसने मोहब्बत का बीज बिछाया था
याद आएगी उसकी, जिसने रूह को शरीर से मिलवाया था

याद तो आएगी उसकी, उसने ही तो हमे कलाकार बनाया था।

"गूंज रहे होंगे तेरे बोल वहां अब, जहां फरिश्तों का वास है
इश्क़ किया तो डरना क्या, चाहे वो दूर हो या पास है"


#RIP_RahatIndori

Savin Kumar #rahatindori
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Savin Kandhil

🕯️क्या वो नही हमारे दोस्त है🕯️

बात आज दोस्त की हो रही है
या  उसकी दोस्ती की हो रही है!

बचपन में लड़ने-झगड़ने  वाले भी दोस्त है
स्कूल की सीढ़ियों में शरारत करने वाले भी दोस्त है
कॉलेज के गलियारे में साथ घूमने वाले भी दोस्त है
यूनिवर्सिटी के लाइब्रेरी-हॉस्टल वाले भी दोस्त है!

जिसने मुझको जन्मा, वो माँ-बाप भी दोस्त है
लड़-झगड़ के बड़ा हुआ, वो भाई भी मेरा दोस्त है

क्या सूरज-चाँद नही हमारे दोस्त है
क्या वो नीला गगन नही हमारा दोस्त है
क्या वो पेड़-पौधे नही हमारे दोस्त है
क्या वो पशु-पक्षी नही हमारे दोस्त है

अगर है तो क्यूँ करते है, हम उनसे भेद-भाव?
उनका तो हमारे लिए है, बिना-शर्त प्रेम-भाव
भागती इस दुनिया में, क्या देखा है उनका स्नेह-भाव?
उन्हें भी मुबारक हो दोस्ती, ऐसा है मेरा मनो-भाव

“उम्मीद है सब अपने दोस्तों के अच्छे बुरे समय में साथ है
दुनिया गोल है और हर हाथ किसी और के हाथ है”

Savin Kumar #Dosti

8 Love

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Savin Kandhil

🕯️खुद की ही मेरी अदालत है 🕯️


सुनाने आया हूँ आज, मैं भी अपना, हाल-ऐ-दिल
पलकों पे बैठा के रखा था, वो आँसू, दर्द-ऐ-दिल

न जाने बारिश थी या अंधेरा, ये बात एक शाम की है
खुला हुआ था जशन का घेरा, उस रात के जाम की है
झुकी थी वो तिरछी नज़रें, जो उसके या मेरे काम की है
क्या तू सच्ची मोहब्बत थी मेरी, या बस वो भी नाम की है

उस रात की बात आज भी याद है मुझे
समझाने की पुरज़ोर कोशिश की थी तुझे
न तू भी कर पायी अपने दिल का एतबार उस दिन
करती थी वादे अक्सर न रह पाने के जो मुझ बिन

तब न पैसा था, न घर था, न थी गाड़ी
माँगे लूँगी, तो भी दिलवा दूँ, अब मैं साड़ी

हालात कमजोर थे तब तू छोड़ के चली गयी
न रोक पाया तुझे इतना तोड़ के चली गयी
थामा था जो हाथ उसको मोड़ के चली गयी
एक रिश्ता टूटा तो दूसरा जोड़ के चली गयी

खुश है ये दिल आज भी उन बेरुख़ी यादों को सोचकर
छीन लिया था जिसको तुमने अपने नाखूनों से नोचकर

गलती थी माँगी तुमने, तब कर दिया माफ़
रश्में नाते भूल चुका मैं, दिल है मेरा साफ़
नए मंसूबे ले उड़ चला हूँ, न किसी के ख़िलाफ़
खुद की ही मेरी अदालत हैं, खुद का ही इंसाफ़

Savin Kumar love_life

#InspireThroughWriting

12 Love

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Savin Kandhil

🕯️आज मैं रंग लगा दूं🕯️

इस मस्ती से जीवन में, खुद को मैं मदमस्त बना दूं
सूखी आंखों में भी आंसुओं का संगम, मुस्कुराहट से करवा दूं
बजाए जब ढोल नगाड़े, तुमको एक धुन पे नचा दूं
मैंने तो रंगमंच देख लिया है, आओ! कहो तो तुम्हे भी दिखला दूं
इस बेरंग से बदन पे, क्यों न आज मैं रंग लगा दूं।

उठा है गर हाथ चलने को, क्यों न उसको मंजिल से मिलवा दूं
गर कोशिश की हजारों उसने, क्यों न एक मौका और दिलवा दूं
माना समुंदर बड़ा बहुत है, क्यों न नदी को ही उससे मिलवा दूं
और गर चाहत है उड़ान भरने की उसको, क्यों न गगनचुंबी पतंग की डोर थमा दूं
इस बेरंग से बदन पे, क्यों न आज मैं रंग लगा दूं।

माना मुसीबतें है बहुत, किस किस को क्या क्या सीख लाएं
यही तो सफ़र का पहलू है दोस्त, क्या हम अब खुद को मुशाफिर भी न बत लाएं।

तू ले मज़ा जिंदगी का, मानो एक चाय की चुस्की लगा दूं
आओ! इस बेरंग से बदन पे, आज मैं रंग लगा दूं। #रंग

12 Love

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Savin Kandhil

🕯️मलंग🕯️

बंद है झरना, दरिया है तंग, बुझी हुई सी एक अनजानी जंग
बेरंग जिंदगी के हज़ारों रंग, उसमे भी है अनोखे भंग
मैं हूं डोर और तू है पतंग, चलो चलें हम एक संग
रास्ता अच्छा हो या तंग, चलो बन जाए हम भी मलंग।

इस उजली रोशनी में छुपा एक अंधेरा है,
अक्सर देता वो अनेकों सपनों को बसेरा है
इस जगमगाती रात में मुझे एक उम्मीद जगा दे,
 इस मलंग को मलंग से मिला दे।

माना कि समय खुद भी सो नहीं पाता
दर्द में भी दुख कभी रो नहीं पाता

इस खिलखिलाते इंसान की सच्चाई किसी पीड़ित को बतला दे
 आओ! इस मलंग को किसी मलंग से मिलादे!
           इस मलंग को किसी मलंग से मिलादे।

10 Love

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Savin Kandhil

🕯️दरिया🕯️

रूठा, क्यों रूठा है इंसान, इंसान से
माना, ये माना कि जाना ये, इंसान से।

जब है हिम्मत खुद के दरिया में नाव बनने की
जिंदगी है! जीने की दावत या बस गटक जाने की।

मैंने चखा है अनंत प्रेम का हलवा
जब लगी थी डुबकी तो मिला था मलवा।

ना कभी खुद को खुद से जोड़ा, ना कभी आइने ने हमसे मुंह मोड़ा
लगा है अनेकों बार धोखे का कोड़ा, बना न फिर भी वो खुशी में  रोड़ा।

क्या लगता है, ये सब कोई मजाक है जिंदगी को जीने का
अपना एक अलग ही अंदाज होता है जाम को भी पीने का।

कमजोर कंधो को ढूंढे अगर कोई एक हाथ
बढ़ चलो उस नेक दरिये के साथ
बस उम्मीद मत करना की वो नैया पार करवाएगा
हां, वो दरिया इस नदी को किसी समुंदर में जरूर मिलवाएगा।।

2 Love

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Savin Kandhil

🕯️आ! ले चलू तुझे🕯️

आ! ले चलू तुझे एक ऐसे सफर पे
जिसका न अंजाम होगा, न अंत होगा
जिसमे न कोई साधु होगा, न संत होगा
बस एक तू होगा, और तेरा करंट होगा
मौसम का अंदाजा नहीं, सरद होगा या हेमंत होगा।

वहां जाके अपना एक दीप जलाना
खुद के अंधेरे में उजाला कर जाना
उस एकांत जगह में सब को अपनाना
खुद को खुद से खुद ही मिलवाना।

वहां आसमां नीला नहीं है लाल है
यही तो उस जगह का कमाल है
न कोई रंक है, सब मालामाल है
इन सब जवाबो में क्या तेरा कोई सवाल है!
ऐसे मत देख मायूस हो कर, मेरा भी तो ऐसा ही हाल है।

लगी है प्यास, तो बता जरा! क्यों तू तड़पे
आ! ले चलू तुझे एक ऐसे सफर पे, एक ऐसे सफर पे।

2 Love

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Savin Kandhil

🕯️गुब्बारा🕯️

आसमां में अनगिनत गुब्बारे, उड़ते है जो हवा में सारे
कोई हमारे! कोई तुम्हारे! लगते सब है प्यारे प्यारे

हर रंग का अलग है रूप, अलग उसका निखार है
लाल में जैसे रंगा हुआ कोई, हो प्रेम का बुखार है

मस्त हवा का झोंका आए, सबको एक संग ले उड़ जाए
उस दरवाजे को खूब खटखटाएं, जहां से हमने सपने बनाएं

क्यों ना इस रंगीन दुनिया में अपना भी एक रंग भर दे!
बसे हुए अनेकों आशियाने है, अनेकों है सजदे!

आओ! बेरंग दुनिया को भी रंग दे, उसको एक  करदे।

5 Love

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Savin Kandhil

🕯️ए वक़्त🕯️

ए हवा! तू गुजर गई
ए पानी! तू बह गया

तेरा क्या कसूर था, ए वक़्त!
तू क्यों थम सा गया।

समझ ले अपना मोल, तू तो अनमोल है
चुप चुप सा रहता है, जैसे अनबोल है
तेरी अलग सख्शीयत है, अलग तेरा रोल है
सिमटा हुआ क्यों रहता है, तू ही सबकी पोल है।

कल जो हुआ था उसके साथ, उसको आज वो याद करता
कल क्या करू, क्या करू, दिन भर इसका आंकलन करता।

तू ही इस सर्द जिंदगी में, गरम चाय सा प्याला है
तू न समझे, हम सब समझे, तेरा रूप निराला है। #वक़्त
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Savin Kandhil

🕯️आखिरी कहानी🕯️

बहका बहका सा हूं, मुझे बस बहकने दो
इस अंधेरी दुनिया में, उस समां को चमकने दो!

मुंह बना के बैठे है सब, क्यों आपस में अनबोल है
सांस लेते एक हवा में, क्यों तेरे अलग ही मोल है
दिखा प्रेम का घड़ा वो जैसे, ज़हर लेते उसमे घोल है
 चेहरा एक, मुखुट अनेक, सबके अपने रोल है।

दो जाम लगा लेता हूं, हर उस अंजाम के लिए
जिसने दिखाई है तस्वीर, इस पैगाम के लिए।

इस प्रीत की है रीत पुरानी, इन सबसे है वो अनजानी
आती नहीं है बात बनानी, यही थी मेरी आखिरी कहानी
मेरी जुबानी, अपनी कहानी।। #racism

7 Love

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