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drkamleshpaliwal5971
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Dr Kamlesh Paliwal

में मुझसे प्रेम करता हु इससे किसी को क्या तकलीफ हो सकती है।

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Dr Kamlesh Paliwal

क्या सोचा था क्या निकला, घटिया सोच का था मारा वो इंसान.….

मां बहन बेटी और प्रेयसी का न हो सका, क्या होगा वह अपनी जीवन संगिनी का
सोच विचार कर घिन्न आती है उस पर , क्या घटिया सोच का था मारा वो इंसान ....

कुछ मनुष्यत्व के भी गुण तो होते है सभी मे, लेकिन मनुष्यत्व पर एक कलंक सा वो इंसान
सोच विचार कर किया उसने अपना अंतिम वार,, लेकिन बन न सका वो उसका सफल हथियार
क्या सोचा और क्या निकला,, वो घटिया सोच का इंसान........

ईश्वर ने भी चुन चुन कर दिए है जन्म इस लोक में, 
अच्छे बुरे और निकृष्ठ लोगो का जमावड़ा भी हुवा इस लोक में
घटिया से भी बद्दतर कोई है तो है वो इंसान, कितनी घटिया सोच का मारा है वो इंसान

जीवन भर क्या साथ निभाता वो, बस सोच सोच कर ही मर जाना था
चलो देर से ही सही, समझ तो आई, चलो उसे उसको अपनो की याद तो आई
दूर ले गयी अपने को अपनो के कारण,।तभी बच पायी उस घटिया इंसान के कमिनाई से
क्या सोचा और क्या निकला निकला वो घटिया इंसान

अंत हुवा उस जिस सोच के कारण, काश वो शुरुवात में ही सम्भल जाती
तो आज ये नोबत नही आती, लेकिन... बस फिर लेकिन......
ईश्वर जब साथ दे तब ही से नई शुरुवात मानी, बच गयी कहु या बचा लिया परिवार के संस्कारों ने
डूबती नैया का पार लगाने की मेहनत रंग लाई

आज कहना था वो सब कुछ, जो पहले न कह पाई राहगीर स्वरूपी भाई को
रोई, घबराई, डरी, कांपी, दबी आवाज में सब कह गई, 
है भगवान न जाने क्या क्या बता दिया जो छुपाना नही था पहले
क्या सोचा था क्या निकला वो घटिया इंसान, ईश्वर का शुक्रिया जो बचा लिया

दूंगी उत्तर समय आने पर उसे, की क्या सोचा था और क्या हु मैं,
वो भी जवाब मिलेगा उसे समय आने पर

पर फिलहाल बस इतना ही
क्या सोचा था और क्या निकला घटिया इंसान .....।

©Dr Kamlesh Paliwal #dilemma
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Dr Kamlesh Paliwal

माता के आंचल की छांव,
देती है बेटो को निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा!
पत्नी के आंचल की छांव,
देती है  पति को सुकून से जीने की प्रेरणा !
बहन के आंचल की छांव,
देती है भाई को जगत से लड़ने की प्रेरणा !
प्रेयसी के आंचल की छांव,
देती है प्रेमी को प्रेम से जीने की प्रेरणा !

लेकिन
पृथ्वी पर लगे पेड़ो के आंचल की छांव,
सम्पूर्ण सजीव जगत को देती है जीवन की छाया !!

विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

©Dr Kamlesh Paliwal
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Dr Kamlesh Paliwal

बातें सिर्फ बातें हां वो जो अधूरी रह गयी
मिल जाए समय तो हो जाए सब अधूरी पूरी
मिलना बिछुड़ना सब कुछ रहा राही का राह में
राही का नया रास्ता ही बन गया बीच राह में

रात की अंधेरी रातों में सड़क की रोशनी में
थम सी गयी थी अधुरी बातें वो मुलाकातें

सांस में सांस अटक आती है अब भी
जब भी कोई कमजोरी सामने आ जाती है
क्यों न कमजोरी को ही ताकत बनाया जाए
मौका मिले तो बात को आगे बढ़ाया जाए

याद है ! वो अंधेरी रात की उजियारी बातें ?
हा क्या याद है वो कजली रात की मुलाकातें ?
अब कंहा क्या याद होगा 
रास्ता जो राही का पथिक से अलग सा हो गया


वो अंधेरी रोशनी में उजियारी बातों का मोल,  
मोल नही अनमोल था राही
कंहा भटक गया चुकाए बिना मोल, 
वो अंधेरी रात की अधूरी बातें
वो उजियारी रातों की मुलाकाते..…
##@@@$$$

©Dr Kamlesh Paliwal #evening

evening

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Dr Kamlesh Paliwal

आया फिर जन्मदिन
विचार करू की दु या नही शुभकामनाएं
मन मे कशमकश की क्या करूँ
दु बधाई और बिगड़ जाए मामला तो..
और न दु तो भी मिलेगा उलाहना की फिर भूल गए...

कुछ सोचा किया विचार
किया राय मशवरा भी , नए अनुभवी से
मिली राय की दे दो, बाद में भी तो देनी ही है
अब बना है मन की दी जाए शुभकामनाएं

लेकिन कब..???
प्रश्न भी जस का तस
दिवस के पहले सेकंड में या सूर्योदय के बाद
समय अभी शेष है और समय तय करना भी
पर wish जरूर है करना

##@@@%%%&&

©Dr Kamlesh Paliwal kunwar Surendra

kunwar Surendra

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Dr Kamlesh Paliwal

ए चांद क्यों गुरुर करता है अपनी चाँदनी पर,
जरा विचार कर सोचना अपनी चाँदनी के लिये!

केवल अमावस के दिन ही माह में तेरी है चाँदनी,
शेष दिन तो ये तारों से मिलने जाती है ये तेरी चाँदनी !!

तेरी चाँदनी से बढ़िया तो है मेरे सूर्य की रेखा,
जो किरण के रूप में  रोज मिलने तो आती है!
 
हा चांदनी जैसी ठंडी तो नही है उसकी तासीर,
लेकिन आज की दुनिया में तेजी होना भी जरूरी है !!

चल हो जाए कभी चाँदनी की, मुलाकात मेरी किरण से !
निशा होते ही बस बादशाहत मिलेगी चाँदनी को,
लेकिन उजलीरात में भी किरणों की गर्मी का अहसास तो होगा तेरी चाँदनी को !!

जा माफ किया तुझे तेरी चाँदनी के साथ
क्यों कि में आराम से जीता हु मेरी रेखा के साथ!!

©Dr Kamlesh Paliwal
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Dr Kamlesh Paliwal

ए चांद क्यों गुरुर करता है अपनी चाँदनी पर,
जरा विचार कर सोचना अपनी चाँदनी के लिये!

केवल अमावस के दिन ही माह में तेरी है चाँदनी,
शेष दिन तो ये तारों से मिलने जाती है ये तेरी चाँदनी !!

तेरी चाँदनी से बढ़िया तो है मेरे सूर्य की रेखा,
जो किरण के रूप में  रोज मिलने तो आती है!
 
हा चांदनी जैसी ठंडी तो नही है उसकी तासीर,
लेकिन आज की दुनिया में तेजी होना भी जरूरी है !!

चल हो जाए कभी चाँदनी की, मुलाकात मेरी किरण से !
निशा होते ही बस बादशाहत मिलेगी चाँदनी को,
लेकिन उजलीरात में भी किरणों की गर्मी का अहसास तो होगा तेरी चाँदनी को !!

जा माफ किया तुझे तेरी चाँदनी के साथ
क्यों कि में आराम से जीता हु मेरी रेखा के साथ!!

©Dr Kamlesh Paliwal #SunSet
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Dr Kamlesh Paliwal

मैं कहने ही वाला था, पर वो बात बहूत पुरानी थी
पर जुड़ी मुझसे ही थी
चाय के बहाने गया था कुछ कहने
पर डर के मारे कुछ कह न सका
सिलसिला जारी रहा ये महीनों तक
लेकिन एक दिन वो आ ही गया
जब बयां करने  लगा अपने दिलों हाल
पर कमबख्त समय भी कंहा था मेरे साथ
बस आई और वो चली गयी
आखिर वो दिन नहीं आया
जब में कर सकूं बयां अपने हाल
में कहने ही वाला था कि वो समय ही चला गया.........
@@@####$$$ kunwar Surendra

kunwar Surendra

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Dr Kamlesh Paliwal

आज से एक सफर शुरू होता है,  गया दिसम्बर  - आया जनवरी
शुरू हुआ जिंदगी का फिर से एक नया सफर
हर साल ये सिलसिला जारी रहता है
हर साल आज ही के दिन कुछ नया करने का प्रण लेता हूं
और कोशिश भी पूरी करता हूँ की वो पूरा हो
लेकिन इस डगमगाते टेढ़े मेढे रास्ते मे कुछ भटक ही जाता हूं
मिली है फिर से आप सभी स्नेहीजनों की शुभकामनाएं
है आभार आप सभी का, जो प्रेषित की मुझे शुभकामनाएं
शायद ये शुभकामनाएँ  ही मुझे मेरे नए प्रण तक ले जाए
@@@@###$$$$$ Ravi Herambha Satyam Negi 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain)   kunwar Surendra  manju

Ravi Herambha Satyam Negi 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain) kunwar Surendra manju

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Dr Kamlesh Paliwal

प्यार का एहसास हम - तुम औऱ वो अहसास
क्या यही है प्यार का अहसास udhan lal santvana bapna Manoj raj kunwar Surendra

udhan lal santvana bapna Manoj raj kunwar Surendra

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Dr Kamlesh Paliwal

काश की हम चाय हो जाते, चाय और उसके लब
बहुत जलन सी होती है उस रकाबी से
छूने को उसके लबों का मौका जो मिलता है उसे
काश हम भी होते उस रकाबी की चाय होते
कम से कम चाय के ही बहाने हम लब को छू तो लेतें
दावा है छू कर उसके लब उसे अपना बना ही लेते
पर शायद ईश्वर को उसके लबो का मेरा छूना मंजूर नही था
लेकिन कोशिश करने वालो को जीत मिलती ही है
चाय न बन सके तो क्या हुआ..........??
@@@##$$$

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