मुझे ढूंढने को जो मंदिर मस्जिद में जाते हो
मै बसा हूं फूलों में, हवा और आग जैसा हूं
ना मैं कृष्ण जैसा हूं ना मैं राम जैसा हूं
फुटपाथ पर लेटा, मै इंसान जैसा हूं।
मुझे मनाने को उपवास करते हो, जो यज्ञ करते हो
ना मैं भूखा हूं ,ना ही मैं पाप जैसा हू
रोटी के निवाले को जो दिन रात तड़पते हैं
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Rekha Pandey
एक बार वफा की बात कर लेते हैं...
अभी और आज कर लेते हैं....
दिलों में जो दूरियां बना ली है
मोहब्बत में जो सजा दी है,
इन फासलों को कम कर लेते हैं...
मुझे और तुम्हें अब हम कर लेते हैं।
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Rekha Pandey
सोचा उन्होंने हमें मार गिराएं
बहा कर नदियां खून की
बदले की आग बुझाएं
किसे समझाऊं नफरत का कोई अंजाम नहीं
आतंक की जो भाषा बोले
वो जानवर भी नहीं, इंसान भी नहीं।
जिसे तू आज हिन्दुस्तान कहता है
तू भी कभी हमारा कहलाता था
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Rekha Pandey
चलो एक फरियाद लिखती हु.
कल की कलम से आज लिखती हूं।।
मै रोशन नहीं हूं
साया बनकर तेरे संग चली हूं
फिरभी रोशन - ए- खास लिखती हूं
तेरे लिए अरमानों का एक चांद लिखती हूं।
चलते हुए सड़कों पर सिग्नल तोड़ जाते हैं
चलान के नाम पर नेताओं का रौब दिखाते हैं
बैठे हुए ट्रेनों में , कितना समान चुराते हैं
और हम भारत में, यूरोप चाहते हैं
बेटा बेटी, उच नीच, जाती धर्म
चिल्लाते हैं
और हम भारत में, यूरोप चाहते हैं
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Rekha Pandey
मेरे पैदा होना शुभ है या अशुब ,बताने वाले
मुझसे ही घर की मान मर्यादा ह, ये बताने वाले
तुम होते कौन हो मुझे समझाने वाले?
मै लड़की हूं, मुझे कितना बोलना चाहिए
घर के बाहर सर झुकाकर चलो ,बताने वाले
तुम होते कौन हो मुझे समझाने वाले?
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Rekha Pandey
यह उन दिनों की बात है
जब मैं कोख में पनप रही थी
आने वाला बेटा है या बेटी
गांव में अफवाह चल रही थी,
1 दिन आया जब मैं आई
मैं तो खुश थी पर सब सन्नाटे में थे
शायद वो किसी और का इंतजार कर रहे थे ,