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sandeepchobara9461
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Sandeep Chobara

हिंदी साहित्य में रुचि रखता हूँ और कविताएं भी लिखने के साथ साथ गा भी लेते हैं!!!!!!!

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Sandeep Chobara

#SadStorytelling
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Sandeep Chobara

औरतें बाहर से जितनी सुंदर और सुकुमार लगती हैं, उतनी ही अंदर से षड्यंत्री और ज़ालिम होती हैं! मेरा यकीन करो।
यह अवगुण केवल मर्दों का अधिकार नहीं है।फ़र्क सिर्फ इतना है कि मर्द एक बार ज़ुल्म ढाता है, मगर औरत तिल-तिलकर मारती है।वह हाथ उठाता है, मगर चिढाता नहीं है।
औरत कैसे और किस हद तक 
खामोश मुद्राओं से उसके अन्दर का 
जानवर जगा सकती है।
पारिजात

©Sandeep Chobara #WritersSpecial
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Sandeep Chobara

वो जो मुझे वक्त देना जरूरी नहीं समझते      वे मेरी अहमियत क्या ख़ाक समझेंगे

©Sandeep Chobara

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Sandeep Chobara

सुनो....
हमने कुछ चाहा भी नहीं है 
हमने कुछ माँगा भी नहीं है तुमसे

सोचो...
अगर कुछ चाह कर लेते 
या अगर कुछ माँग लेते तुमसे
तो...तो...
क्या...तुम मेरी चाह और 
मेरी माँग पूरी कर देते....??

सोचो ज़रा इत्मीनान से
बैठ कर एकांत में...!

©Sandeep Chobara #lovebond
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Sandeep Chobara

प्रेमी बड़े शातिर होते हैं

माथा चूम के बुद्धि हर लेते हैं

©Sandeep Chobara
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Sandeep Chobara

सुनो...
तुम एक बार
दो कदम
घर से निकल कर
देखो तो जरा 
चार क़दम चलते ही
मैं उसी चौराहे
पर खड़ा 
इंतजार कर रहा होऊंगा
तुम्हारे आने का....

उस चौराहे से
चुन लेना कोई भी
एक रास्ता
और चल पड़ना
उस रास्ते पर 
जो मुझ तक ले आएगा.... 

बस शर्त ये है कि
मुड़ कर मत देखना
बस तुम चलते चले आना
वहाँ मिलूंगा मैं तुमसे
जन्मांतर के लिए....!

©Sandeep Chobara #street
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Sandeep Chobara

'प्रेम करना' समाज की नज़र में 
छोटे बच्चों द्वारा 
सीधे पाँव में 
उल्टी चप्पल 
पहन लेने जैसा है...!

©Sandeep Chobara
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Sandeep Chobara

Travel quotes in Hindi 🍒मैं फिर आऊँगा🍒

सुनो..तुम याद रखना
मैं फिर आऊँगा
टूटा हुआ विश्वास लौटाने
टूटी हुई उम्मीद पाने को
अपने बीच पड़ चुकी
अविश्वास और नाउम्मीदी
की गाँठ को खोलने के लिए....

मैं फिर आऊँगा
एक न एक दिन
ये तुम्हें यकीन दिलाता हूँ
कि लौटना कठिन क्रिया नहीं है
बस..दिल में मिलन की 
एक आस रखना तुम....!

सुनो..तुम याद रखना
मैं फिर आऊँगा
तुमसे मिलने
तुम्हारे ही शहर....!

©Sandeep Chobara

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Sandeep Chobara

🍂सीख लिया है🍂

जिसने जितने दुःख दिये हैं मुझे
आकर वे अपने अपने ले जाएं
अब कोई ठिकाना नहीं है मेरे पास
तुम्हारे दिए हुए दुःखों के लिए...

जो मेरे हिस्से आए हैं
वे रख लिए हैं अपने पास
उन्हीं को लगा कर सीने से
जीवन गुजार दूँगा हँसते हँसते...

अब सहना सीख लिया है मैंने
एकांकी जीवन को जीना
अब रहना सीख लिया है मैंने
झूठी दिलासाओं के बिना .....

अब नहीं चाहिए मुझे किसी से
झूठी तसल्ली, दुआ और दिलासा
अब इनका असर मुझ पर नहीं होने वाला
देख लिए है मैंने झूठी तसल्ली देने वाले.....

अब किसी को याद नहीं करता मैं
अब किसी की याद नहीं आती मुझे
इतना सीखा दिया है अपनों ने
कि जीना है अब बिना किसी सहारे के...!

©Sandeep Chobara #Rose
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Sandeep Chobara

🍂सीख लिया है🍂

जिसने जितने दुःख दिये हैं मुझे
आकर वे अपने अपने ले जाएं
अब कोई ठिकाना नहीं है मेरे पास
तुम्हारे दिए हुए दुःखों के लिए...

जो मेरे हिस्से आए हैं
वे रख लिए हैं अपने पास
उन्हीं को लगा कर सीने से
जीवन गुजार दूँगा हँसते हँसते...

अब सहना सीख लिया है मैंने
एकांकी जीवन को जीना
अब रहना सीख लिया है मैंने
झूठी दिलासाओं के बिना .....

अब नहीं चाहिए मुझे किसी से
झूठी तसल्ली, दुआ और दिलासा
अब इनका असर मुझ पर नहीं होने वाला
देख लिए है मैंने झूठी तसल्ली देने वाले.....

अब किसी को याद नहीं करता मैं
अब किसी की याद नहीं आती मुझे
इतना सीखा दिया है अपनों ने
कि जीना है अब बिना किसी सहारे के....!

©Sandeep Chobara #Rose
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