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narendrakumar3882
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Narendra kumar

teacher poet

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Narendra kumar

"सबके भाग्य में उनके-अपने कर्मों का भाग।
कौन बाँटे, कौन छाँटे, कौन करे गुणा-भाग?
सबका अपना-अपना कर्मों से भाग्य।"

©Narendra kumar
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Narendra kumar

दीनानाथ दया करना।
दीनों का भला करना,
भोलेनाथ भला करना।

अब आश तुम्ही से है,
विश्वास तुम्ही से है।
चाहे तू बचा लेना,
चाहे तू मिटा देना।

चाहे तू सजा देना,
या चाहे तू माफ करना।
अनाथों पर दया करना,
भोलेनाथ दया करना।

©Narendra kumar
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Narendra kumar

उम्मीद सबसे रखो पर सब्र के साथ।

©Narendra kumar
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Narendra kumar

भटकता चारों दिशा में घूमता,
मन मुक्ति का मार्ग है ढूंढता।
जल से पूछता, थल से पूछता,
वन से पूछता, पवन से पूछता।
मन मुक्ति का मार्ग है सबसे पूछता।

सब्र रखता सबसे पूछ के,
कोई न जवाब देता सचमुच के।
तब थक हार के अंदर को जाता,
अंतर्मन को स्वयं जगाता।
स्वयं पूछता स्वयं के स्व से,
हूं मैं कौन, कौन हूं कब से।

भटकता चारों दिशा में घूमता,
मन मुक्ति का मार्ग है ढूंढता।

©Narendra kumar
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Narendra kumar

राधे राधे  शीश मुकुट पर,
मोर मुकुट शोभे ,
अति सुंदर लगे मुरारी।
गोवर्धन गिरधारी ,
गोवर्धन गिरधारी।
धर गोपी के वेष शिव शंकर ।
तिलक करें त्रिपुरारी।
संग में नाचे तीनों लोक के स्वामी।
त्रिपुरारी और मुरारी।
गोवर्धन गिरधारी, 
गोवर्धन गिरधारी।

©Narendra kumar #Krishna
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Narendra kumar

बल , बुद्धि, विद्या विहीन हूं दाता।
दया कर दो बहुत दीन हूं दाता।
सुना हूं तुम दयालु बहुत हो।
दीनों पर कृपा करते हो, 
कृपालु बहुत हो।
कृपा कर दो, 
किस्मत जगा दो दाता।

©Narendra kumar
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Narendra kumar

पूर्ण, अपूर्ण, सर्वगुणसम्पन्न तुम्ही हो।
परमब्रह्म, परमशून्य तुम्ही हो।
तुम्ही से ज्ञान, तुम्ही से विज्ञान,
तुम्ही से सृष्टि, तुम्ही से सृष्टि का विधान।
तुम्ही से पालन, तुम्ही से प्रलय,
तुम्ही से सृजन, तुम्ही से विस्तार।
तुम्ही से सार, तुम्ही से संसार।
तीन गुणों से रहित, 
तीनों के प्रणेता तुम्ही हो।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश तुम्ही हो।

©Narendra kumar
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Narendra kumar

सुत की मईया सुध न ली,
बुद्धि न दी स्तुति की।
कैसे मईया भजन गाऊं,
भाव न जानूं भजन की।

ठोकर खाकर भटकूं जग में,
जान न पाऊं प्रेम की रीति।
रिझाऊं तो मईया कैसे रिझाऊं,
रीति न जानूं, न जानूं प्रीति।

कुपुत्र को, मईया, पुत्र न समझी,
बिसार दी सब प्रिय।
कैसे मईया सुमिरन करूं,
कृपा न की, न प्रीत।

©Narendra kumar
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Narendra kumar

जग वंदनी, गिरिनंदिनी।
जग तारिणी, जगदंबे।
मां भैरवी, भवानी अंबे।
मां दुर्गा रूप, सिद्धिदात्री स्वरूप, जगदंबे।

तारा चंडी, महाचंडी, गले मुंडमाला।
एक हस्त खप्पर, दूसरे हस्त दुष्ट मुंडी।
रुद्र रूप मां, महारुद्र मां चंडी।
जग वंदनी, गिरिनंदिनी।
जग तारिणी, जगदंबे।

©Narendra kumar
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Narendra kumar

इष्ट देव महादेव, महादेव दानी।
भक्तों पर दया करें, दया करें महादानी।
जो मांगो सो दे दे, ऐसे औघड़दानी।
देर न करें, पलभर में दे दें, ऐसे औघड़दानी।
इष्ट देव महादेव, महादेव दानी।

अनाथों के नाथ हैं भोलेनाथ हैं।
दीनों के दाता, दीनों के साथ हैं।
त्रिदेव त्रिकाल देव, देवों के स्वामी।
महाकाल महादेव, महादेव स्वामी।

महिमा तेरी, महादेव, जाने ज्ञानी-अज्ञानी।
इष्ट देव महादेव, महादेव दानी।
भक्तों पर दया करें, दया करें महादानी

©Narendra kumar
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