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gauravshukla2921
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r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

bihar

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r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

मै जानती हूँ , हर राह तुम हो। 
धूप के बाद की छाव तुम हो। 

काली रातों के बाद की सुबह तुम हो,
बेचैन सी सुबह का धुन तुम हो।। 

हाँ सुकून तुम हो।। 

तुम से ही राग है । 
तुमपे  ही विश्वास है, 
तुमसे ही आश है 
चल पड़ते है बिन सोचे ही 
किसी राह पे 
क्योंकि मुझे पता है,,
मेरा सावरां हमेशा मेरे साथ है।

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla #DearKanha मेरा सावरां

#DearKanha मेरा सावरां

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r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

अक्सर बिखर जाते हैं फूल खिलने पर, 
जब तक होता माली देख रेख को 
शायद तबतलक मुस्कुराते हैं। 

अक्सर बिखर जातें हैं फूल खिलने पर, 
ये महफूज होतें बाग़ियाँ मे 
पर ये सज किसी समारोह मे इठलाते हैं। 
पातें है अगली सुबह ही खुद को मुरझाया हुआ।। 

अक्सर शाख से टूट के वो फूल, वही फूल नही रहते, 
जो हवा के साथ बहते थे, सूरज की रौशनी मे चमकते थे। 
चिड़ियों और तितलियों की संगत मे चहकते थे।। 

इनके रंग उड़ने पर, 
अक्सर बिखर जाते हैं फूल खिलने पर।।

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla 
  #hibiscussabdariffa अक्सर बिखर जातें हैं फूल खिलने पर

#hibiscussabdariffa अक्सर बिखर जातें हैं फूल खिलने पर #कविता

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r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

मुझे पता है रात का ढल जाना तय है। 
सुबह का आना तय है। 

उलझन, परेशानी, थोड़ी सी बेचैनी 
थोड़ी सी हैरानी, डर कुछ खोने का,
शुन्य सी ये जो दशा है। 
बस कुछ पल का है, बस कुछ पल का है।। 

शून्य मे एक और एक मे अनेक शुन्य जुड़
जाना तय है। 
हवा अभी खुद के विरुद्ध है तो क्या
एक दिन इसका सुर मे ताल मिलाना तय है।। 
  
इन चुनौतियों का हार जाना तय है। 
मुझे पता है, शायद आज नही, कल नही
हो सकता है परसो भी नही,, 
लेकिन एक ना एक दिन मेरा जीत जाना तय है।। 

पतझड़ का जाना तय है। 
वसंत का आना तय है।।

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla 
  #ballet वसंत का आना तय है।

#ballet वसंत का आना तय है। #कविता

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r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

घर से दूर घर की याद बहुत आती है। 
सुबह तो भाग दौड़ मे निकल जाती, 
शाम संग यादों का कारवां लाती है, 
घर से दूर घर की याद बहुत आती है। 

सब कुछ है इस शहर मे, 
बस अपनापन नही, कोई अपना नही
करवटें बदलती रातों मे माँ की आँचल..। 
जरा सा तबियत बिगड़ जाने पे, 
पापा का वो हलचल... 
गाँव का वो डॉक्टर... 
जब खाना पकाते वक्त कभी अचानक से
जब अंगुली जल जाती है, 
खाना बन गया है आके खालो ये आवाज 
कान से होकर आँखों तक आ जाती है... 
बस मे धक्के खाते वक्त 
पापा का बाईक से  स्कूल  छोड़नी याद आती है। 
बड़े हो जाने पर बचपन की याद सताती है। 
घर से दूर घर की याद बहुत आती है।।

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla 
  #LongRoad कविता # घर की याद...

#LongRoad कविता # घर की याद...

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r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

मै और चाँद अक्सर ये बातें किया करतें हैं... 
तुम भी हो अकेले और हम भी कुछ यूहीं तन्हा जिया
करते हैंं।
मै और चाँद अक्सर ये बातें किया करतें हैं ।

चाँद मुझसे कहता है 
तुम अकेले कहाँ हो, धरती के रंग हैं अनोखे
और तुम तो रहते रंग बिरंगी जहाँ मे हो ।
गाँव हैं, कस्बे हैं, घर है, परिवार है, दोस्त हैं, यार हैं, 
अरे तुम तो इन्सां हो ।
तुम कैसे तन्हा हो? 

जैसे तुम सितारों के बीच मे रहके भी अकेले हो ।
हर अमावस्या एकाकी जैसे रह जाते हो... 
साथ तारों का तुम चाँदनी मे ही पा पाते हो ।

वैसी ही कुछ इस रंग बिरंगी दुनिया की कहानी हैl
पलकों के पीछे पानी है...

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla 
  #MainAurChaand
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r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

मन मे हर रोज ना जाने कितनी ख्वाहिशें शोर 
मचाती है। 
दिल बच्चा बनना चाहता है पर समझदारी बचपना 
खा जाती है। 
जब उम्र का एक ऐसा पड़ाव हो जहाँ शब्द भी देतें
घाव हों। तब शिकायते औरो से नही खुद से रह जाती है। 
तब बीते दिन वो बचपन की बहुत याद आती है।। 

वो लड़कपन , वो बेफिक्री, आज जब हर बात सोच समझ 
के बोलना होता है, तो याद बचपन वाली नादानी आती है ।

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla #MainAurChaand
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r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

#specialone #happy mother's Day 💝💐

#specialone #Happy mother's Day 💝💐 #विचार

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r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

#breeze  mai bhut kuchh likhna chahti hun lekin usase jyada mitana

#breeze mai bhut kuchh likhna chahti hun lekin usase jyada mitana #कविता

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r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

शहर की नजाने होती कैसी हवा है... 
यहाँ छलावा बड़ा है...,हर कोई बस यहाँ खुद को सही
दूसरों को गलत साबित करने पे अडा़ है, 
व्यापार तो खूब  चलती हैं यहाँ पर इंसानियत कहाँ है ? 
मुझे नही पता सच क्या है? झूठ क्या है? मुझे जानना भी ना है,, 
पर हाँ, यहाँ लोगों के जीवन के स्तर तो बड़े हैं, पर सोच बड़ी छोटी ... 
खैर मुझे क्या, मुझे क्या मशला है?
लेकिन इस साजिश भरी हवा में,, छलावे के जहाँ मे, 
मेरा मन उब चुका है,,,, 
लौट जाना चाहता, ये अपने गाँव जहाँ आज भी मासुमियत भरा पड़ा है,, 
जहाँ आज भी दिल, नादान सा बच्चा है। 
तेरे ही आसरे हैं महादेव, कैसे संभाल के रखना है सुकूँ  को मेरे
इस शोर- शराबे की दुनिया मे अब तु ही जनता है।।
मुझे नही पता, सच क्या है? झूठ क्या है? मुझे जानना भी ना है ..........

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla #City ye शहर की कैसी हवा है...

#City ye शहर की कैसी हवा है... #कविता

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r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

माँ जैसे -जैसे  ये  ट्रेन  बढ़ती जा रही है... 
मेरी चेहरे की रंग फ़ीकी पड़ती जा रही है, 
तुम कहती हो, अरे तुम तो बड़ी हो गई हो, 
लेकिन माँ, मै तुम्हारे बिना एक  दिन भी रहना ना 
सीख पाई हूँ । 
मै जब  भी घबराती हूँ, सोचती हूँ  अगर तुम मेरे पास होती 
तो समझा देती,, बोलती अरे सब अच्छा होगा.... 
जो डर जाती हूँ, मै अँधेरे से तुम रौशनी ला देती.. 
रातों मे तुम लोरी सुना देती....... 
बड़ा डरपोक हूँ मै माँ, परीक्षा देने से डरती हूँ .. 
तुमको तो पता है न, तुम्हारी डाटें सुनने को तरसते हैं
हम यहाँ तुम पास होती तो मुझे जगा देती, 
गले लगा मेरा हौसला बढ़ा देती....... 
ये सारी बाते तुम फोन पे कहाँ समझा पाती हो,, 
तुम पूछती हो,कैसी हो? ठीक हूँ.. बस यही जवाब पाती हो ।
तुम्हारी अँगुली पकड़े बिना चलना ना सीख पा रही हूँ..... 
ये लिखते -लिखते मेरी आँखे भरती जा रही है,,
कल की मेरी सुबह तुम्हारे हाथों के चाय से ना होगी.. 
कौन उठाएगा मुझे? क्या करूँगी जब मन उदास हो जाएगा मेरा..... 
अगर रूठूँगीं तो कौन मनायेगा, मेरा चेहरे को तेरे अलावा कौन ही पढ़ पाएगा? 
ट्रेन की रफ्तार है...... 
और आँखें भरी हुई,, सभी बैठे हैं सामने जो हैं यात्रा मे,, 
मै अपने आँसु को पलके तले छिपाए जा रहीं हूँ.... 
कोई जान ना ले मेरा हाल,,, इसलिए मुस्कुराए जा रही हूँ.. 

माँ जैस -जैसे ये ट्रेन बढ़ती जा रही है, 
मेरे चेहरे की रंग फ़ीकी पड़ती जा रही है ।।

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla जैसे जैसे ये ट्रेन बढ़ती जा रही है ...... 

#FindingOneself

जैसे जैसे ये ट्रेन बढ़ती जा रही है ...... #FindingOneself #कविता

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