Nojoto: Largest Storytelling Platform
prakashdwivedibh3600
  • 17Stories
  • 32Followers
  • 70Love
    0Views

Prakash Dwivedi Bharjuna

स्वयं से झूझता उलझता एक सामान्य व्यक्ति प्रकाश व्दिवेदी 940727572

  • Popular
  • Latest
  • Video
dd6e26db8f789ad9cd40eae0496223b3

Prakash Dwivedi Bharjuna

जिंदगी की राह में कुछ राह ऐसे भी मिली
जिनमें जो बिखरे शूल थे वो पुष्प से दिखते रहे
भाव थे निर्मल, ना अंतर कर सके दो राह में
व्यापार चलता ही रहा और भाव बिकते ही रहे
प्रकाश व्दिवेदी
9407274572 #Life
dd6e26db8f789ad9cd40eae0496223b3

Prakash Dwivedi Bharjuna

Dark nights आज फिर अंधेरा अकेलेपन को देख मेरे
यादों‌ की बगिया से फूल तोड लाया है
सीसे जो बिखरे थे पत्थर की ठोकरों से
टुकडा टुकडा जोड टूटा सीसा जोड लाया है
अब मुझे दिखा रहा है सीसा मेरी याद का
ये रिश्ता मेरा फिर से उसी गली जोड लाया है
सीसे में दिखाकर बगिया के माली को
अंतस के भाव को ये आंख भर लाया है
...प्रकाश व्दिवेदी...
9407274572 #Night
dd6e26db8f789ad9cd40eae0496223b3

Prakash Dwivedi Bharjuna

मेरे होने से खुशियां थी ना होने से उदासी थी
जहां हो साथ, मैं ना हुं तो आंखे भी एकाकी थी
वो मुझसे दूर थे कुछ दिन अचानक क्या हुआ उनको
मिली नजरें मेरी उनसे वो मेरे खूं की प्यासी थी

प्रकाश व्दिवेदी
9407274572 That is true

That is true

dd6e26db8f789ad9cd40eae0496223b3

Prakash Dwivedi Bharjuna

My dream अक्सर सताती है मुझे ये रात तेरी याद में
पर अधेरे में तेरा चेहरा नजर आता नही
अब उजालें मे अगर तू नजर में आया भी होगा
तो याद में तू याद है पर याद ही आता नही

प्रकाश व्दिवेदी यादों के झरोखों से

यादों के झरोखों से

dd6e26db8f789ad9cd40eae0496223b3

Prakash Dwivedi Bharjuna

My lifeline ये अंधेरे है वही जो राह के राही बने हैं
जब अकेला हो गया तो रूदन की स्याही बने है
अब मेरा मतलब नही दिन के उजियारों से कोइ
ये ही है जो हादसों में भी मेरे गवाही बने हैं 

..प्रकाश व्दिवेदी.. यादों के झरोखों सें

यादों के झरोखों सें

dd6e26db8f789ad9cd40eae0496223b3

Prakash Dwivedi Bharjuna

समुंदर तो नही हूं पर दबाए दर्द बैठा हूं
 मिली जो चोट अपनों से छुपाए गर्त बैठा हूं
ज्वार भाटां जब भी आया सब बहाकर ले गया
मगर जो गर्त में था बस उसी के शर्त बैठा हूं


....प्रकाश व्दिवेदी क्या हुं मैं इसी प्रश्न में उलझता जा रहा हूं।।

क्या हुं मैं इसी प्रश्न में उलझता जा रहा हूं।।

dd6e26db8f789ad9cd40eae0496223b3

Prakash Dwivedi Bharjuna

Past and present सीखना हो खेल तो सीखो समय से
क्या गजब का खेल दिखलाता समय है
अभी तक जो प्राण थे परिवार के
आज उनको बोझ दिखलाता समय है

एक समय था श्री राम के अभिषेक की तैयारी थी
हर गली पर थी खुशी बस समय की बारी थी
समय ने फिर खेल खेला जिसमे प्रभु श्री राम हारे
अब निशा के कटते ही वन की बारी थी

प्रकाश व्दिवेदी समय का खेल।
play of time

समय का खेल। play of time

dd6e26db8f789ad9cd40eae0496223b3

Prakash Dwivedi Bharjuna

Incomplete Truth बच्चे रोज पढते है दुनिया असिमित है
लेकिन उनकी जिंदगी तो फोन तक ही सिमित हैं
गांव से ही यदि शहर है तो विष कहा से आ रहा है
सोचना होगा हमें भारत कहा को जा रहा है

प्रकाश व्दिवेदी गांव को फिर जा रहा हूं कविता का अंश

गांव को फिर जा रहा हूं कविता का अंश

dd6e26db8f789ad9cd40eae0496223b3

Prakash Dwivedi Bharjuna

On the Border मेरी कलम नही चलती है नभ के चांद सितारों पर 
ना उपवन की कलियों पर ना सत्ता के दरबारों पर
मै लिखता हूं शौर्य धरा का और भारत की शान लिखूंगा
लिख दिया शौर्य यदि सैनिक का तो पूरा हिंदुस्तान लिखूंगा

प्रकाश व्दिवेदी कविता सैनिक और राखी का प्रथम अंतरा

कविता सैनिक और राखी का प्रथम अंतरा

dd6e26db8f789ad9cd40eae0496223b3

Prakash Dwivedi Bharjuna

लोगो को घमंड का अखंड व्योंम हो गया
वाणी में तेज फिर कपाल खंड हो गया
आंखों में लाल और हाथों में भाल
मानों रावण के प्राण का प्रमाण फिर हो गया

..प्रकाश व्दिवेदी #IncompleteTruth
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile