#SantRampalJi_IncarnationDay
धरती पर अवतार
भारत में उत्पन्न वह पूर्ण संत गौर वर्ण के हैं, उनके न दाढ़ी है, ना मूछें हैं और उनके सर पर सफेद बाल हैं। - फ्लोरेंस
अमेरिका की इस प्रसिद्ध भविष्यवक्ता की उपरोक्त भविष्यवाणी संत रामपाल जी महाराज पर बिल्कुल खरी उतरती है। #विचार
Hariom
introducation of me and you your friends 😇🙏🙏🥰😍😂🥰
#haadse#ज़िन्दगी
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माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिये उनके मूल मंत्र का जाप करना अनिवार्य होता है जिसकी जानकारी इस धरती पर पूर्ण संत प्रदान करता है। पूर्ण संत यानी तत्वदर्शी संत जो भक्ति विधि और मर्यादाएं बताता है उन पर चलने और भक्ति करने से दुर्गा माता एवं अन्य देवी देवताओं तथा ब्रह्मा, विष्णु, महेश को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
♦️पूर्ण परमात्मा की जानकारी तत्वदर्शी संत बता सकते हैं जो स्वंय पूर्ण परमात्मा ही होता है। देवी भागवत महापुराण में देवी जी यानि दुर्गा जी अपने से अन्य किसी और भगवान की भक्ति करने
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Vijjuu💕 Nishi MALLIKA Ravindra Angle Rai #सतभक्ति_संदेश
भक्त को परमेश्वर के ऊपर पूर्ण विश्वास होना चाहिए। संसारी हार जीत से दु:खी तथा सुखी न होकर परमेश्वर की रजा में खुश रहे चाहे कितनी ही हानि हो जाए। परमात्मा की रजा जाने। परमात्मा प्रसन्न रहेगा तो पल भर में सब हानि लाभ में बदल देगा।
समाज में जो साधना प्रचलित है वह ना तो परमात्मा को पाने की है और ना ही वह मानसिक शांति दे सकती है। ना ही उससे कर्म की मार समाप्त हो सकती है।
तो वह कौन सी साधना है जिससे हम भक्ति करके भगवान को प्राप्त हो सकते हैं।
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कबीर परमात्मा मुसलमान धर्म के मुख्य कार्यकर्ता काजियों तथा मुल्लाओं को पाप से बचाने के लिए समझाया करते थे। कहा करते थे कि काजी व मुल्ला! आप गाय को मारकर पाप के भागी बन रहे हो। आप बकरा, मुर्गा मारते हो, यह भी महापाप है। गाय के मारने से (अल्लाह) परमात्मा खुश नहीं होता, उल्टा नाराज होता है। आपने किसके आदेश से गाय को मारा है?
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#सतभक्ति_संदेश
भक्त को परमेश्वर के ऊपर पूर्ण विश्वास होना चाहिए। संसारी हार जीत से दु:खी तथा सुखी न होकर परमेश्वर की रजा में खुश रहे चाहे कितनी ही हानि हो जाए। परमात्मा की रजा जाने। परमात्मा प्रसन्न रहेगा तो पल भर में सब हानि लाभ में बदल देगा।
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भक्त को परमेश्वर के ऊपर पूर्ण विश्वास होना चाहिए। संसारी हार जीत से दु:खी तथा सुखी न होकर परमेश्वर की रजा में खुश रहे चाहे कितनी ही हानि हो जाए। परमात्मा की रजा जाने। परमात्मा प्रसन्न रहेगा तो पल भर में सब हानि लाभ में बदल देगा।
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परमेश्वर कबीर साहेब जी संत गरीबदास जी को 1727 में सतलोक से आकर मिले।
अपना तत्वज्ञान कराया, नाम दिया तथा सतलोक दर्शन करवाया।
गरीबदास जी ने वाणी में कहा है- हम सुल्तानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया।
जात जुलाहा भेद न पाया, काशी माहे कबीर हुआ।।
कबीर परमेश्वर जी जिंदा सन्त रूप में जम्भेश्वर जी महाराज (बिश्नोई धर्म प्रवर्तक) को समराथल में आकर मिले थे। अपना तत्वज्ञान समझाया। उन्होंने अपनी वाणी में प्रमाण दिया -
जो जिन्दो हज काबे जाग्यो, थलसिर(समराथल) जाग्यो सोई*
वह परमात्मा जिन्दा रूप में थल सिर
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सभी प्रभु की भक्ति करते हैं
क् संसार में दुख और रोग क्यों हैं?
जानने के लिए अवश्य पढ़ें पुस्तक ज्ञान गंगा। #समाज
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नानक जी को कबीर साहेब जिंदा महात्मा के वेश में आकर मिले थे।
उन्हें सचखंड यानी सत्यलोक के दर्शन कराए थे उन्होंने कबीर साहेब की महिमा गाते हुए कहा है
गुरु ग्रन्थ साहिब
राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ नं. 24 पर शब्द नं. 29
फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।।
खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।
परमात्मा कबीर साहेब ही नरसिंह रूप धर कर आए थे'