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Anil Raghuwanshi

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Anil Raghuwanshi

तुम काजल और मैं नयन,
तुम पंछी और मैं गगन ।

मै हूं डोर धरा से जुड़ा,
तुम मदमस्त पतंगी मन ।

तुम हो बसंत की बहार,
मैं तुझसे मुस्कुराता चमन ।

तुम धरा की सुंदर हरियाली,
प्यार लुटाता मै सावन ।

शांत सरल सहज जीवन में,
तुम प्यार भरी मीठी अनबन ।

मैं मानो श्रमित मुसाफिर,
तुम छाया, शीतल पवन ।

यथार्थ पवित्र रिश्ता अपना,
तुम हो रुप मै दर्पण । Love life

Love life

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Anil Raghuwanshi

भवानी भवानी कृपा करो, शिव की पटरानी कृपा करो ।
खप्पर वाली कृपा करो, हे जग रखवाली कृपा करो ।

शुम्भ निशुम्भ महिषासुर मारे, चण्ड मुण्ड दुर्गम संघारे 
भक्तो के संकट सारे टारे संकटनाशिनी कृपा करो ।

जगजननी अग जग की त्राता, शोक मोह भय भंजनी माता 
शरणागतवत्सल सुखदाता करुणाखानी कृपा करो ।

माता दर्शन की अभिलाषा, निज बल केवल होय निराशा 
दूर करो माॅं सारी दुराशा, जगकल्याणी कृपा करो ।

लीला धाम नाम रुप निर्मल, सुमिरे गावे सुने जो पल पल
धुल जाए सब कलियुग के मल, पतित पावनी कृपा करो । Maa Bhavani

Maa Bhavani

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Anil Raghuwanshi


अब इससे बड़ी दाद क्या होगी मेरी शायरी की,
पढ़नेवाले ने कह दिया आपको किसी से मोहब्बत जरुर है । Shayri

Shayri

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Anil Raghuwanshi

कितना प्यारा रिश्ता होता है दोस्ती का ।
हँसी-खुशी, प्यार मोहब्बत, मस्ती का ।

दोस्ती ऐहसास है जो शब्दों मे बयां नही होती, 
ये दुजा नाम है सबसे, प्यारी जबरदस्ती का ।

हर सुख-दुख मे साथ खड़े मिलते हैं, 
ऐसा मेल है ये,अलग-अलग हस्ती का ।

रुठना - मनाना तो बस दो पल की बाते हैं, 
जो कभी न उजड़े, ये मकान है उस बस्ती का ।

भरोसे, प्यार व सम्मान से बनती है,
भाग्यशाली है, जो सवारी है इस कश्ती का ।

बड़ी मिल्कीयत है दोस्ती ऐ दोस्त वालो, 
ये तो नेक झलक है, खुदा की हस्ती का । Dosti

Dosti

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Anil Raghuwanshi

तेरी शादी मे कैसे आऊं समझ नही आता
किताब उठाऊं या नाचु गाऊं समझ नही आता ।

करीब है तु दिल के इसीलिए उलझन है,
पढ़ाई करूं या बारात मे जाऊं समझ नही आता ।

यूं तो चार कदम की दूरी है तेरे और मेरे घर की,
पर पढ़ाई की खाई कैसे मिटाऊं समझ नही आता ।

अरमान तो बहुत थे तुम्हारी शादी के पर क्या करे,
बलवान समय को कैसे हराऊं समझ नही आता ।

रोज नही आ सकता इतना तो पता है,
एक दिन आकर ही काम चलाऊं समझ नही आता ।

मै साथ रहुं न रहुं तु खुश रहना हमेशा,
तेरी खुशी से मै खुश हो जाऊं समझ यही आता । Friendship Shayri

Friendship Shayri

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Anil Raghuwanshi

कोई सबूत नही है मेरी बेगुनाही का,

अब देख लो तुम्हे मुझपर यकीन कितना है । Shayri

Shayri

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Anil Raghuwanshi

अपनी करनी का फल जरूर पाओगे ।
निज कर्मफल से बचकर कहाँ जाओगे ?
मूक प्राणी निज स्वार्थ मे खाया 
वृक्ष विकास की भेंट चढ़ाया 
शांत प्रकृति के आँचल पर
मैल प्रदूषण का घुलवाया 
ये सब नष्ट करके खुद जीवित क्या रह पाओगे ?
निज कर्मफल से बचकर कहाँ जाओगे ?
शांत समुद्र जब क्रोध करेगा
आसमान अग्नि उगलेगा
वायु श्वास मे गरल घोलेगी
प्रकृति जब महामारी देगी
सारी पीड़ाएं सहकर भी एक शब्द ना कह पाओगे ।
निज कर्मफल से बचकर कहाँ जाओगे ?
सारे पेड़ जब कट जाएंगे
मूक प्राणी सब मर जाएंगे
जीवन हेतु बिलखना होगा
व्याकुल होकर रोना होगा
नष्ट करके औरों को खुद भी नष्ट हो जाओगे ।
निज कर्मफल से बचकर कहाँ जाओगे ?
प्रकृति अपना संतुलन निज कर स्वयं बनाती है ।
जीव जंतु नर पेड़ पंच तत्व सबका अनुपात मिलाती है ।
निज स्वारथ हित मानव जब भी इनमे घट बढ़ करता है,
पुनः संतुलन स्थापित करने प्रकृति खेल दिखाती है ।
अपने स्वार्थ की अग्नि मे खुद को ही जलता पाओगे ।
निज कर्मफल से बचकर कहाँ जाओगे ?
वृक्ष लगाओ जीव बचाओ
सारी नदियाँ स्वच्छ बनाओ
जितना लो उतना लौटाओ
संसाधन मत व्यर्थ बहाओ
रहो मर्यादित तब ही सुरक्षित रह पाओगे ।
निज कर्मफल से बचकर कहाँ जाओगे ? Save Environment

Save Environment

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Anil Raghuwanshi

कितना अनोखा भाई बहन का प्यार है
बहनों का मायके आना खुद में एक त्योहार है Shayri

Shayri

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Anil Raghuwanshi

वाजिब है उस शख्स का इतराना,
खुदा सा रुप लिए वो इंसान ही तो है । Love Shayri

Love Shayri

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Anil Raghuwanshi

देखने को गए छोरी, बाबुजी के संग में, छोरी ने तो किलोभर मेकप लगाई है ।
मैने कहा बाबुजी से, कर दी जो बात पक्की, मेकप में जाएगी आधी कमाई है ।
बोले मुझे समझाके, मेकप जरुरी बेटा, बिना इसके तो ये तुझको डराई है।
ज्यादा नहीं बोलो बेटा, मां को जरा तोलो बेटा, मेकप मे वो इसकी भी माई है । Funny Shayri

Funny Shayri

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