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विवेक महेरे 'जनाब'

हाले गम कोई सा हो सुनाते रहिये। शर्त सिर्फ इतनी सी, मुस्कराते रहिये।।

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विवेक महेरे 'जनाब'

दिल कहाँ से ले के आएँ ये तो लापता लगता है
हर शख़्स उसी की तरह बेवफ़ा लगता है।

लौटके आएगा वो एक दिन ए दिल हौसला रख
चाँद का बार आने में भी पूरा हफ्ता लगता है।।

हिचकियाँ आने लगी हैं मुझे अब वक्त वे वक्त
याद आती है उसे अब अपनी जफ़ा लगता है।।

वो आया तो मेरे चेहरे पे आ गयी रंगत,
बीमार होना मेरा उसे अब बहाना लगता है।।

वो साथ था तो खिंजाओ में थी ताज़गी ज़नाब
फ़स्ले बहार में आतिशी से अब वास्ता लगता है।।

चाँद का बार-सोमवार,  खिंजा-पतझड़
फ़स्ले बहार-बसंत ऋतु
आतशी- बहुत गर्म (आग जैसा)

©विवेक महेरे 'जनाब' #Loneliness
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विवेक महेरे 'जनाब'

भूलने की कोशिशें हुईं तमाम नाकाम 'जनाब' याद फिर से वो ही कहानी हो गयी।
आँखे बरसने लगीं ,वो मुरझाईं बाते हुईं फिर तरोताज़ा,उन पर फिर से अश्कों की मेहरबानी हो गयी।।

©विवेक महेरे 'जनाब'

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विवेक महेरे 'जनाब'

देखते हें हमारी चाहते आरजू से वो बचते हें कब तक।
रूबरू होने पर,मुस्करा कर नजरअंदाज करते हें कब तक।।
सुना हें वो हर शै को आजमाते बहुत हें अपना बनाने से पहले।।।
हम भी हर इम्तिहान के लिए हाजिर हें,
देखते हें वो हमें आजमाते हें,कब तक।।।।

©विवेक महेरे 'जनाब'

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विवेक महेरे 'जनाब'

 #MereKhayaal
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विवेक महेरे 'जनाब'

आपके अजीजों से आपका हाल जान लेते हें।
इसी तरह दूरियों को नजदीकियां मान लेते हें।।
आप ख़फ़ा नहीं थे,मजबूर थे, सच क्या झूँठ क्या???
'जनाब' तो आँखों से ही पहचान लेते हें।।।।

©विवेक महेरे 'जनाब' #Independence2021
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विवेक महेरे 'जनाब'

आप सही थे ये जानते हें हम,लेकिन इसे बताएं कैसे?
नासमझ हे दिल 'जनाब' का कहो  इसे समझाएं कैसे??
खिलौने पर मचलता तो ला देते दूसरा कोई और।।।
चाँद ही पसंद आया था इसे,अब  बहलायें कैसे????

©विवेक महेरे 'जनाब' #WorldOrganDonationDay
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विवेक महेरे 'जनाब'

अपना मतलब निकल जाने के बाद
यूँ छोड़ देते हें लोग।
बाद चाय की चुस्कियों के कुल्हड़
ज्यूँ तोड़ देते हें लोग।।
गुलाब खुद बाखुशी से महकाते हें
गुलशन को।।।
फिर भी उन्हें बेदर्दी से सिर्फ अतर के लिए
क्यूँ निचोड़ देते हें लोग????
खता हुस्न की रही हमेशा,जब जब
कोई दीवाना बना।।।।।
फिर भी ठीकरा सारा,सिर्फ आशिकों पर ही
क्यूँ फोड़ देते हें लोग??????
ये मेरे शैर हालात बयाँ करते हें सभी की
नौजवानी के।।।।।।।
फिर भी सारे के सारे इशारे, 'जनाब' की तरफ
क्यूँ मोड़ देते हें लोग????????

©विवेक महेरे 'जनाब' #WorldOrganDonationDay
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विवेक महेरे 'जनाब'

#FourLinePoetry उन्होंने कहा' इश्क़ का आदी होना,आदत नहीं हमारी।
हमने कहा' किसी को आदी करना फ़ितरत नहीं हमारी।।

©विवेक महेरे 'जनाब' #fourlinepoetry
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विवेक महेरे 'जनाब'

न बदनाम होने का कोई ख़ौफ़ और न 'जनाब' कोई जमाने से बेबसी।
तेरी तस्वीर को देखना तन्हाइयों में,देता हे पुरकस ख़ुशी।।

©विवेक महेरे 'जनाब'

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विवेक महेरे 'जनाब'

कह देते हें वो,कि आपसे मिलने का हमें वक्त नहीं मिलता!
उनको भी इसके सिवाय बहाना क्या,कोई और नहीं मिलता??
रहे वो हम कितने दिनों तक दूर,फिर भी उनके रुख़ पे झलकता नूर!और उनकी
आंखों में रौनकें,उन्हें हमारे अलावा बनाने को क्या कोई और नहीं मिलता?
रस्में बफ़ा निभाने की ख़ुद फ़ितरत से मजबूर हें 'जनाब'।
वर्ना इस ज़माने में हमें दिल लगाने को क्या कोई और नहीँ मिलता?

©विवेक महेरे 'जनाब' #WorldAsteroidDay
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