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ऋचा

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ऋचा

"तुम्हारे और मेरे नसीब में बहुत फ़र्क है। तुम वह खुशनसीब इंसान हो, जिसे तुमने मुहब्बत की, उसने तुम्हारे एक इशारे पर सारी दुनिया वार दी, पर मैं वह बदनसीब इंसान हूं जिसे मैंने

मुहब्बत की, उसने मेरे लिए अपने घर का दरवाजा बंद कर लिया। दुखों ने अब मेरे दिल की उम्र बहुत बड़ी कर दी। अब मेरा दिल उम्मीद के किसी खिलौने के साथ नहीं खेल सकता ।
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ऋचा

बांसुरी
मैं भला कैसे कहूँ इतने निकट मेरे रहो
श्वास जो मेरी रहीं हैं उनका स्वर बनके बहो
मैं कहाँ से ढ़ूढ लाऊं साहसों की सीढ़ियां
जिन पे चढ़ के जान पाऊँ सुर बसे तुम में कहाँ
ईष्ट के तुम मुंहलगी हो मुझसे कैसे साम्य हो
तुम अधर की शान ठहरीं मैं चरनरज भी कहाँ
बांसुरी तुम कृष्ण की हर श्वास का निः श्वास हो
मैं बड़ी अदना सी राधा तुमसी कैसे खास हूँ?
ऋचा खरे
स्वरचित बांसुरी

बांसुरी #कविता

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ऋचा

मैं भला कैसे कहूँ इतने निकट मेरे रहो
श्वास जो मेरी रहीं हैं उनका स्वर बनके बहो
मैं कहाँ से ढ़ूढ लाऊं साहसों की सीढ़ियां
जिन पे चढ़ के जान पाऊँ सुर बसे तुम में कहाँ
ईष्ट के तुम मुंहलगी हो मुझसे कैसे साम्य हो
तुम अधर की शान ठहरीं
 मैं चरनरज भी कहाँ
बांसुरी तुम कृष्ण की हर श्वास का निः श्वास हो
मैं बड़ी अदना सी राधा तुमसी कैसे खास हूँ?
ऋचा खरे
स्वरचित #बांसुरी
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ऋचा

तेरे दिल के करीब बेनाम सा एक पयाम आया है
क्या ये उनका सलाम आया है

ऋचा खरे
1-11-2019
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ऋचा

वो जो गैर हैं ,वो जो दूर हैं
वो ज़रा से मुझमे ज़ुरूर हैं
मैं जल रही हूँ  जिस लिए 
वो हवा से पागल फितूर हैं
वो जो बेसुकूँ सा मिज़ाज़ है 
जो दर्दे ग़म का रियाज़ हैं
वो तार मुझसे हैं जुड़े हुए 
उन्हें छेड़ते वो ज़ुरूर है
वो हैं दास्तां ,मैं हूँ एक सफा
मैं रहूँ न रहूँ क्या फर्क है
न पलट रहै हैं वो मुझे
न पढ़ते मुझको हुज़ूर हैं
वो गुनाह हैं सच बात है
सौ बार उनको मैं करूँ 
वो खुदा का दर है, 
ये मेरा सर्
ये गुनाह मुझको कुबूल है । गुनाह

गुनाह #कविता

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ऋचा

वो जो गैर हैं ,वो जो दूर हैं
वो ज़रा से मुझमे ज़ुरूर हैं
मैं जल रही हूँ  जिस लिए 
वो हवा से पागल फितूर हैं
वो जो बेसुकूँ सा मिज़ाज़ है 
जो दर्दे ग़म का रियाज़ हैं
वो तार मुझसे हैं जुड़े हुए 
उन्हें छेड़ते वो ज़ुरूर है
वो हैं दास्तां ,मैं हूँ एक सफा
मैं रहूँ न रहूँ क्या फर्क है
न पलट रहै हैं वो मुझे
न पढ़ते मुझको हुज़ूर हैं
वो गुनाह हैं सच बात है
सौ बार उनको मैं करूँ 
वो खुदा का दर है, 
ये मेरा सर्
ये गुनाह मुझको कुबूल है ।
ऋचा
27/9/2019


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