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smriti ki kalam se

smritalks daughter of Jayashree

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smriti ki kalam se

Rain quotes messages in hindi कसूर क्या है
उन पत्तियों का जिन्हे हवा बेवजह पेड़ो से कर जुदा
जमीं पर सुलाती है!

कसूर क्या है
उन बूंदों का जिन्हें बादलों से बेवजह
बिछड़ना पड़ता है!

कसूर क्या है
उन पीतल के प्याले से मजबूत दोस्ती का
जिन्हे बेवजह इतनी खामोशी के साथ
तबाह कर दिया गया।।

~स्मृतकाव्य




















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©smriti ki kalam se
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smriti ki kalam se

जब हृदय ही!
जकड़ कर बांध लेवे मन के चैन को,
हृदय को अपने ना तुम इतनी छूट दो,
अड़ियल नही पर बनो न तुम फूल भी।

मोह अभिशाप है!
गुलाबी रिश्ते कटीले रस्ते मानो एक है,
झुकते झुकते मोह में, इतना न झुकना,
कि उसकी सीरत भी तुम भाप न पाओ।

ये सोच के कि,
जिसपे अबतक तुमने अपने प्रान बिखेरे है,
वो अड़ियल तुमको अब भी नही समझे है,
यूं आंसू न फैलाओ, उसे अब जाने भी दो।।

~स्मृतकाव्य !!


































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©smriti ki kalam se #bekhudi
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smriti ki kalam se

बिना सब्र, लंबा इंतजार भी कितना कठिन है,
शिकायत में निकले शब्द, खंजर से कम नही,
बेसब्रियां अलग ही, मन को बेकाबु कर रही है,
सोचो इंतज़ार करता, ये मन भी तो गलत नही,
कितना व्याकुल हुआ होगा, वो शख्स प्रतिपल,
जब जाना कि,हैं नही खास वो उसके नजरो में ,
जिसको वह अपना सब कुछ समझा करता था,
खुद की नजरो में,वो खुद को ही गिरता पाया है।
: स्मृतकाव्य





























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©smriti ki kalam se
  #Sawera
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smriti ki kalam se

लेकर बीती- बतिया, जागती थी वो सारी रतिया,
भय की ढेरों प्रतियां, सताती थी उसकी अंखिया,

जोर जोर से चीखे भी उसे दिन अरसे हो चले थे,
मौन मन के भीतर उसके आवाजे कितना गूंजे है,

सब कहते है पन्नो पे बस दुख ही दुख लिखती हूं,
किसे कहूं कि सुख में आते है साथ निभाने कुछ।।

~स्मृतकाव्य !!


































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©smriti ki kalam se
  #SAD
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smriti ki kalam se

#romanticmusic
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smriti ki kalam se

#ourstory
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smriti ki kalam se

सुना है,
अब दरख़्त कम हो पड़े है,
अभी ठंड भी सिर चढ़ी हुई है,
ज़ाहिर है पत्तों की बरसात में कमी नही होगी,
और ये ही अच्छा भी है,
जितना पुराना जाएगा उतना ही नया आएगा,
फिर चाहे पत्ते हो या सुख दुःख के पल।
कल जो कोहरा छाया था,
हो सकता है किसी के वास्ते,
वो पुरानी यादों का धुंध रहा हो,
और ये भी होने में कोई हैरानी नही की ,
किसी के आने वाले पलो का
एक छोटा उम्मीद का बक्सा रहा हो।
जो भी है ;
पानी से जिंदगी में बुलबुले बन के 
जीने का मजा ही कुछ और है,
और फिर उन बुलबुलों के फूट जाने का डर
हममें बुलबुला न बनने की हिचकियां दे जाती है।

~smritkavya 🌸




















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©smriti ki kalam se #peace
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smriti ki kalam se

जेब!!

दिल के कमीज में मेरे रहे सहे दो जेब थे,
एक जेब की शायद सिलाई कच्ची थी, 
या कहो धागे मैने ही खीच के तींछ दिए!
और दूजा जेब यादों के रहे सहे सिक्कों को सहेजे हुए भी है,
सोचा था की एकलौते इस जेब को सहेजे रखूंगी,
पर शायद यादों, वादों, उम्मीदों का भार अधिक है, 
ऊपर से उस जेब का परवाह भी अब परवाह नही है!
इससे बेहतर तो यही होता कि,
दिल के कमीज में मेरे एक भी जेब न होता ।।    
~स्मृतकाव्य 🌸




















....।।।।।

©smriti ki kalam se #Shadow
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smriti ki kalam se

लाजमी है अब दफा कर देना,
उन सभी गैर जरूरी बेबुनियादी हादसों को,
जो हर एक सबा, सब्र की दीवार को दहाने 
पर जोर दिए जा रहे है।

तमामों में कोई एक जो कहता है कि,
खफा है तुमसे!
न उम्मीद के बादलों को तुम्ही तो लेके आई हो!

अरे! उन दिनों ,
क्या क्या तबाही हुई तुम्हें क्या ही पता!
और फिर कटीले बीज से,
क्यू तुम कोमल फूलों की आस लगाए हो?

अच्छा है की आखिरकार खुद ही कदमों को;
तुम जैसे कैसे दूर मुझसे कम से कम लेके तो गए!

कुछ गुलों का मेल होना न मुमकिन सा है,
पल भर को जन्नत सा सुकून ,
और देखते ही अगला पल
सुनहरी धूप को ,
कारी अंधियारी रात बना कर ही दम लेता है।।

~स्मृतकाव्य💖










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©smriti ki kalam se
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smriti ki kalam se

क्यू पानी आखों में ही दयनीय से दिखते है?
क्यू कुछ रिश्तो में जारी होने के बाद भी,
सिर्फ शब्द "जारी" के कुछ और बकाया ही नही रहता?
जहां कुछ है ही नहीं जो हित पर जोर करे,
फिर क्यू ही हम इसे प्रेम का नाम दे दे?

जानती हूं की प्यार अब हवा में तो नही बह सकता,
मगर कम से कम जब निगाहें नही भी मिले,
 तो दिल के चार दिवारी में  पनपी 
चाहत बेरुखी तो ना करे।
हम क्यू समझने परखने से पहले ही वादे परोस देते है?
हम क्यू उम्मीदों की गठरी के बोझ तले,
 खुद को खुद से ही  दबा देते है?

जहां तक पहुंचे का एक सलीका है,
आखिर क्यू हम उसके लिए इत्ता जल्दबाजी करते है?
रिश्ता बनाना, प्यार बाटना, फिर दिलो का दुःख जाना,
और फिर नतीजन साथ छूट जाना!
और बाद इसके फिर यही दोहराना;
 हाए! ये पीड़ा कितनी दुखदाई है।

 मैं यह सब से काफी आगे निकल आई हूं,
लेकिन फिर भी;
 मैं क्यू अब भी  इन सब से उभर नहीं पाई हूं!!?

~स्मृतकाव्य 🌸





















...

©smriti ki kalam se क्यू?!!

#delusion

क्यू?!! #delusion #कविता

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