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rashmiabhaya4845
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Rashmi Abhaya

Author n writer..blogger.. Journalist www.muk-abhivyakti.blogspot.com

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Rashmi Abhaya

#रेनकोट
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Rashmi Abhaya

सुनो तो
ये मेरा तुम्हारा जो रिश्ता है
एक रास्ता है
मैं तुमसे गुज़र कर ही
तुम तक पहुंचने की रफ़्तार हूँ
मेरा आगाज़ तुम
मेरा अंजाम तुम
तुम्हें देख कर मैं तुम्हें सोचती हूँ
तुम्हें पा के हीं मैं तुम्हें खोजती हूँ
तुम मेरे ख्यालों के समंदर में
बरसों से पोशीदा एक ख़्वाब हो।

©Rashmi Abhaya #रिश्ता 

#Goodevening
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Rashmi Abhaya

'तुम बहुत अच्छे हो'
मैनें हर पल तुम्हें ये एहसास दिलाया
और ये एहसास तुम्हारी सांसों में
पूरी तरह से घुल गया
तुम भूल गए कि कमियां तुममें भी है
क्योंकि मैनें कभी उन कमियों को 
देखने की कोशिश नही की
इसलिए तुम भ्रमित रहे..
जानते हो ना कोई भी व्यक्ति
सम्पूर्ण नही होता..
तुम भी नही हो..मगर आईने के 
एक पक्ष को चमकाने के लिए 
दूसरे पक्ष को अपनी चमक खोनी पड़ती है
मैंनें भी उस दूसरे पक्ष को अनदेखा करके
तुम्हारे व्यक्तित्व के आईने में 
अपनी छवि देखना चाहा
तुम मेरी खुशी की वजह हो
इसलिए नही कि तुम मेरी खुशियों का 
ख़्याल रखते हो, बल्कि इसलिए
कि मैं तुम्हारी हर खुशी में हीं
मैं अपनी खुशी ढूंढ लेती हूँ..
देखो ना..तुमने कभी बंधना नही सीखा
और मैनें कभी तोड़ना नही सीखा
मैंनें जीवन में किसी भी रिश्ते को
बांधने की कोशिश नही की
बल्कि हर रिश्ते से खुद को बांध लिया
बिना कुछ मांगे..क्योंकि रिश्ते
मांग कर नही बनते..शायद यही वजह है
कि रिश्तों की इस भीड़ में
मेरा वज़ूद आज भी अकेला है।

'रश्मि'

©Rashmi Abhaya #रश्मि_अभय #खुशी 

#Thoughts
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Rashmi Abhaya

गूंजती रहूंगी तेरे जहन की गलियों में रात दिन,
जिसे सुन के अनसुना ना कर सके वो 'आवाज़' हूँ मैं।

'रश्मि'

©Rashmi Abhaya #रश्मि_अभय

#apart
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Rashmi Abhaya

सितम हमनें भी बहुत उठाये हैं तुम्हारे प्यार में,
एक तुम्हीं नही थे तन्हां..ईश्क़ के बाजार में ।।

【रश्मि】

©Rashmi Abhaya #रश्मि_अभय#सितम#इश्क़#तन्हा#बाजार

#apart
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Rashmi Abhaya

मेरा वज़ूद जमीं पर पड़ा एक बुलबुला सही,
मगर वक़्त की मांग पर प्रलय से कम नहीं ।
'रश्मि'

©Rashmi Abhaya मेरा वज़ूद जमीं पर पड़ा एक बुलबुला सही,
मगर वक़्त की मांग पर प्रलय से कम नहीं ।
'रश्मि'

#NationalSimplicityDay

मेरा वज़ूद जमीं पर पड़ा एक बुलबुला सही, मगर वक़्त की मांग पर प्रलय से कम नहीं । 'रश्मि' #NationalSimplicityDay #कविता

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Rashmi Abhaya

लिखना चाहती हूँ तुमपर कोई कविता
देना चाहती हूँ तुम्हारे अल्फाजों को 
एक नया आयाम...
देना चाहती हूँ तुम्हारी बोलती आंखों को
शब्द कई..जो बिन कहे ना जाने 
कितनी बातें..कर जाती हैं मुझसे...
शायद वो सबकुछ जो मैं तुमसे 
कह नही पाती और तुम...
बहुत सहजता से कह जाते हो...
वो सारी बातें जो अनसुनी,अनकही
रह जाती हैं..मैं भी कहना चाहती हूँ 
वो भाव..जो मेरी आँखों में हैं मगर 
जुबां पर..आ नहीं पाते
बस सोचती रह जाती हूँ 
तुम्हें और तुम्हारे ना कह कर भी
कह देने की कला को
छोड़ो,रहने देती हूँ इन अल्फाजों को...
क्योंकि नज़रों की ये भाषा
ज्यादा सशक्त है..उन शब्दों से...
जो तुम बयाँ कर जाते हैं
शायद तुम्हें भी कहीं ना कहीं वही भाव 
मेरी निगाहों में दिखते होंगे 
जो तुम्हारी निगाहें बोल जाती हैं।

©Rashmi Abhaya #अल्फ़ाज़
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Rashmi Abhaya

मुझे नही याद
तुम्हारा पहला स्पर्श
क्यूंकि तब ना तुम थे
ना मैं थी, वहाँ सिर्फ
'हम' थें...
मगर मुझे..
अच्छी तरह याद है 
तुम्हारा आखिरी स्पर्श
क्यूंकि तब 'हम'
'हम' नहीं थें
'मैं' और 'तुम' में
बदल चुके थे।

'रश्मि'

©Rashmi Abhaya #स्पर्श
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Rashmi Abhaya

वन-वन
गुन-गुन
बोले भौंरा
मेरे अंग-अंग झनन
बोले मृदंग मन--
मीठी मुरलिया!
यह फागुनी हवा
मेरे दर्द की दवा ले के आई
कारी कोयलिया!
अग-जग अंगड़ाई लेकर जागा
भागा भय-भरम का भूत
दूत नूतन युग का आया
गाता गीत नित्य नया
यह फागुनी हवा...।

'फणीश्वरनाथ रेणु'

©Rashmi Abhaya #4मार्च #जन्मशताब्दी #फणीश्वरनाथरेणु #फागुनीहवा
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Rashmi Abhaya

चस्पा है मेरे दिल में तेरी यादें
किसी तस्वीर की तरह...
ताउम्र संभाल के रखूंगी इसे
किसी जागीर की तरह।।

'रश्मि' #तस्वीर
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