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pravinkumarsinha6511
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Pravin sinha

Hindi poem Writer.

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Pravin sinha

हमें जगा दिया
रहा पहरा जहां तेरी नजरों का
हमने ठिकाना वहीं बना लिया
नज़रों से ओझल हुआ जब चांद
तेरी नजरों में ही आशियाना बना लिया।

©Pravin sinha #रात भर इक चांद # चांद#

#रात भर इक चांद # चांद#

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Pravin sinha

आओ बैठो पास मेरे
कुछ बातें चांद सितारों की करते हैं,
बादलों में छुपकर चांद भी शर्माता है तुम्हारी तरह,
जैसे जुल्फों के पीछे तुम्हारा चेहरा!
चेहरों की सादगी के पीछे एक शहर सा बसा है
मानों बादलों के शहर में चांद।
आओ बैठो पास मेरे कुछ नया देखते हैं
चांद के आईने में अपना चांद देखते हैं। #baitho 
#writingnojotoprompt#
#आओ बैठो पास मेरे #

baitho writingnojotoprompt# आओ बैठो पास मेरे #

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Pravin sinha

आओ बैठो पास मेरे
कुछ बातें चांद सितारों की करते हैं,
बादलों में छुपकर चांद भी शर्माता है तुम्हारी तरह,
जैसे जुल्फों के पीछे तुम्हारा चेहरा!
चेहरों की सादगी के पीछे एक शहर सा बसा है
मानों बादलों के शहर में चांद।
आओ बैठो पास मेरे कुछ नया देखते हैं
चांद के आईने में अपना चांद देखते हैं।

©Pravin sinha #आओ बैठो साथ मेरे #

#आओ बैठो साथ मेरे # #लव

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Pravin sinha

मंजिल की तलाश में
ख्वाहिश अधूरी रह गई
राहें तो अभी और हैं
तैयारी अधूरी रह गई,
साहस की कमी नहीं थी,
हवाएं भी अब हमारी हो गई
जिधर हम चल पड़े
सारी राह हमारी हो गई।

©Pravin sinha
  मंज़िल

मंज़िल #कविता

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Pravin sinha

नजरों से कत्ल ए आम किया करते हैं!
घायल दिल में बस आराम किया करते हैं!

©Pravin sinha
  #Bijli 
#NojotoWritingPrompt 
#Dil❤

#Bijli WritingPrompt Dil❤ #लव #NojotoWritingPrompt

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Pravin sinha

जब सड़कें आवारा थीं!



मैं  आवारा नहीं था!

©Pravin sinha #BhuvanBam 
#NojotoWritingPrompt 
#आवारापन
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Pravin sinha

वो भी तो इसी मिट्टी के बने थे,
जमीं आज लाल थी उसके रक्त से,
पर सरहद पर केसरिया लहरा रहा था।
सूरज सा तेज था इस माटी के लाल में
 आज वो दस -दस पर भारी था
उसके हाथ खून से सने थे सरहद पर ,
वो मिट्टी का कर्ज़ चुका रहा था
एक हाथ में थी संगीन और एक में केसरिया
लहरा रहा था।

©Direct Dil Se
  #khoon#NojotoWritingPrompt

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Pravin sinha

#चांद का दीदार

#चांद का दीदार #लव

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Pravin sinha

हम अक्सर करते हैं ,
कोई उनसे भी तो पूछे कि
क्या अब भी वो हमारी फिक्र  करते हैं ।

©Pravin Kumar Sinha ज़िक्र और फिक्र

ज़िक्र और फिक्र #शायरी

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Pravin sinha

*कौशल्या*
कभी कैद था तुझमें,फिर भी आजाद था,
उस प्यारे से आशियाने में हुआ मेरा आगाज था।
तेरी हर सांस से मेरी हर सांस जुड़ी थी
ममता और प्यार की वह पहली कड़ी थी।
छिपा खुद के दर्द को तू मुस्कुरा रही थी
छोड़ सब ख्वाहिशें
 तू मुझको सजा रही थी।
वजूद है तुझसे मेरा,
 तुम मुझे इस जहां में लाई है
जड़ें मेरी तुझमें है
तू ही मेरी परछाईं है
महकते मीठे पलों की तलाश में,
अब भी वैसे ही  फुसला रही हो
अपनी जागी आंखों से मेरी
 रातों को उजला रही हो।
हमें तराशने में क्या कुछ नहीं खोया तुमने
उत्तम संस्कारों को इस माटी 
में "कौशल्या" बोया तुमने।
उस मां पर क्या लिखूं जिसने खुद मुझे लिखा है
सरस्वती का वास है तुझमें,तुमने ही तो सींचा है।
शब्द होते हुए भी शब्दों का अभाव पा रहा हूं,
तुम्हारे ही आशीर्वाद से आज कलम चला रहा हूं।
🙏🙏

©Pravin Kumar Sinha #कौशल्या#मदर्स डे#

#PARENTS
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