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keyurikagangwar5006
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Keyurika gangwar

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Keyurika gangwar

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Keyurika gangwar

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Keyurika gangwar

White प्रयाश्चति
शंभू  आँसू पूछता चला जा रहा है। उसे नहीं पता कि वह कहाँ जा रहा है ।सड़क पर चलते लोग उसे देख रहे है  कोई मुस्कुरा कर निकल जाता कोई घूरकर तभी  उसके कानों में आवाज  आई -"ए छोकरे  जरा इधर आ।" शंभू आवाज की दिशा में मुड़ा। "कहाँ भागा जा रहा है? घर से भाग कर आया है।"
 शंभू ने कोई जवाब नहीं दिया। गर्दन नीची कर ली सर झुका कर वह खड़ा रहा। व्यक्ति ने फिर पूछा-" भूख लगी है' खाना खाएगा।"
 इस बार शंभू ने "हाँ"में सिर हिलाया। होटल का मालिक उस बच्चे को अपने साथ ले गया।
 ऐ पंडित इस लड़के को खाना खिला पहले।
 एक 15 वर्ष का युवक उसके लिए प्लेट में खाना लेकर आता है।
 शंभू फटाफट खाना खाता है क्योंकि दो  दिन से उसके पेट में कुछ नहीं गया ।कई जोड़ी आँखें उसे इस तरह खाते देख , शंभू को ही घूर रही थी ।होटल का मालिक फिर दोबारा पूछता है-" कहाँ जाएगा रे,।
  शंभू चुप कोई जवाब नहीं देता। "बोलता क्यों नहीं ?मुँह में दही जमा है क्या?" शंभू ने सर उठा कर ऊपर देखाकर बोला -"पता नहीं ।
"देख छोकरे! यह मुंबई है यहाँ तुझे  लोग बेचकर खा जाएँगे ।" और सुन जब यहाँ  पर तू काम करेगा ,तभी खाने को मिलेगा वरना भूखे मर जाएगा ,ऐसा कर तू यहीं पर रुक, यह जो प्लेट है न साफ कर दिया कर और यहाँ पड़ा रहे  बहुत से और भी है तेरे जैसे। शंभू को लगा कि यह उसके लिए सही जगह है उसने होटल के मालिक की बात मान ली और  लग गया प्लेटें धोने। दिनभर शंभू प्लेट धोता रहता और जब शाम होती  तो उसका शरीर एकदम थककर चूर हो जाता । वहीं 15 वर्षीय युवक उसके लिए खाना लाया दोनों ने खाना खाया और वहीं बैठ गए ।
युवक -"घर से भाग कर आया है"।
 शंभू -"हाँ"।
, युवक -"क्यों ?"
"माँ"-बाबूजी से बहुत डर गया था।"
" और यहाँ , कोई नहीं डाँट रहा।" 
वो  एकदम चुप हो गया उसे याद आने लगा कि जब बाबूजी डाँटते थे तो माँ उसे बाबूजी की डाँट से बचा लिया करती थी।
 कभी-कभी बाबूजी जब उस पर हाथ उठा दिया करते थे ,बीचबचाव  में उसकी माँ को भी दो चार हाथ लग जाते थे। बाबूजी कहते-" इस लड़के से कहदे,उन  लड़कों के साथ में बिल्कुल ना खेले।" पढ़ाई पर बिल्कुल ध्यान नहीं है, पूरे दिन घूमना ,आवारागर्दी करना, यही काम रह गया इसका ।अगर दोबारा देख लिया ना तो  हाथ पैर तोड़ दूँगा ।"
माँ-" क्यों हर वक्त बच्चे के पीछे पड़े रहते हो?अभी उम्र ही क्या है? सीख जाएगा सब कुछ 
डॉक्टर बनेगा और फिर  तुम देखना डाॅक्टर बनकर तुम्हारा इलाज भी यही करेगा ।"
पिता-" हाँ,हाँ पहले पढ़ तो ले, इसके ढंग नहीं देख रही इसमें एक भी ढंग  नहीं है, डाॅक्टर बनने  का , बड़ा आया डॉक्टर  बनने बड़बड़ाते हुए  पिता अंदर कमरे में जाकर बैठ गए ।उस दिन शंभू जब घर पहुँचा तो उसने देखा कि  उसके कक्षा आचार्य उसके पिताजी से कुछ कह रहे  हैं ।वह डर गया क्योंकि पिछले 4 दिनों से वह स्कूल ना जाकर के कभी सिनेमा कभी क्रिकेट, कभी फुटबॉल खेल रहा था और छुट्टी के समय अपने घर पहुँच जाया करता था ।जिससे उसके घर वालों को कभी शक नहीं हुआ कि वह स्कूल जाता है या नहीं। टीचर को देख कर के उसने सोचा कि उसे बहुत मार और डाँट पड़ेगी। अतः वह घर से भाग गया  ।
"नींद आ रही होगी तुझे ,चल सो जा यहीं पर।"  सुबह उठा तो मालिक ने उसे झिड़कते हुए उठाया।
"कैसे घोड़े बेच कर सो रहा है, उठ चल, लग काम पर ।
शंभू अलसाते हुए उठा।
वह फिर काम  पर लग गया । सुबह से शाम तक वह  बर्तन धोता ।
तब कहीं जाकर उसे पेट भर कर खाना मिल पाता और  रहने की जगह।
उसे याद आता है कैसे उसकी माँ उसके पीछे -पीछे खाने के लिए बार-बार दौड़ती ।अगर वह पहले डाँटती थी तो बाद में मना भी लिया करती थी पर यहाँ कोई भी मनाने वाला नहीं ।
अब शंभू को लगने लगा कि वह उसने घर से भाग कर बहुत बड़ी गलती की है ।
पर वह घर  जाए तो जाए कैसे  ?
एक दिन उसने उस होटल को छोड़ने की ठानी पर यह  क्या ?
होटल मालिक ने उसे फिर से पकड़ा और प्लेट धोने के काम पर लगा दिया   ।
 रात होते ही पंडित और शंभू फिर उसी जगह आकर बैठ गए।  "पंडित भैया क्या  यहाँ से हम अपने घर नहीं जा सकते।"
"नहीं"
"पर क्यों?"
"किसी से कहना मत ?"
"नहीं कहूँगा।"
"यह जो मालिक इसके आदमी चारों तरफ नज़र रखते हैं।
ताकि हम भागे नहीं, फ्री में काम जो कर रहे है हम। "
शंभू रोने लगा ,"मैं घर जाना चाहता हूँ।"
"तो तू घर से आया ही क्यों ?"
"डर लग रहा था कि बाबूजी मारे न।"
"मारते तो तुझे प्यार भी करते, 
तेरे भले के लिए कहते होंगे पर तु सुनता नहीं होगा।"
  शंभू ने "हाँ" में सिर हिला दिया।
"भैया आप भी मेरी तरह यहाँ पर ऐसे ही आए हो  ।"
"हाँ रे पगले! मैंने भी तेरी जैसी गलती की।"
"सोचता हूँ मेरी माँ कितना दुखी हुई होगी।"
"कहाँ-कहाँ नहीं ढूँढा होगा ,
सबका लाड़ला था मैं और अब देखो ।"
"एक साब आते हैं यहाँ पर बहुत अच्छे हैं दिल के ,अगर अगर तुझ पर नजर पड़ गई और उनकी दया हो गई तब तुझे यहाँ से ले जाएँगे तू चले जाना यहाँ से  ।"  
"और तुम"
"मैं कहाँ जाऊँगा, मैं तो यही रहूँगा ठाठ से।"
होटल पर काम करते-करते शंभू को छ: महीने बीत जाते हैं पर वहाँ से निकलने में लगभग वह  नाकामयाब रहता है ।
प्लेटे धोते हुए शंभू पंडित से कहता है-" लगता है भैया,! आपकी तरह मुझे भी अभी नहीं रहना होगा ।"
पंडित चुपचाप होटल मालिक की तरफ देखने लगता है ।
 अचानक से पंडित शंभू की ओर इशारा करता है ,"वो  साब हैं जो होटल मालिक से बात कर रहे हैं ,तु  उनकी टेबल पर जा कर खाना परोस मैं यह प्लेटे देखता हूँ।" 
शंभू एकाएक इस बात से अचानक से उस दूसरी तरफ देखने लगता है और जैसा पंडित कहता है वह वैसा ही करता है। वह व्यक्ति मुंबई का सबसे धनी व्यक्ति था शंभू की ओर ध्यान नहीं देता क्योंकि वह अपने फोन में व्यस्त है कि अचानक से खाने की प्लेट उस व्यक्ति के ऊपर गिर जाती हैं।
 शंभू डरकर उसके कपड़े साफ करने लग जाता है,  हाथ जोड़ लेता है । यकायक हुए इस व्यवहार से उस व्यक्ति की नजर शंभू पड़ जाती है ।फोन हटाकर वह शंभू की ओर मुखातिब होता है ",तुम यहाँकाम करते हो।"
" जी "शंभू डरते डरते बोलता है। "क्या उम्र है तुम्हारी?"
"जी ग्यारह वर्ष"
"व्यक्ति इशारे से होटल के मालिक को बुलाता है ।"
"होटल का मालिक घबराया हुआ आता है ।"
"जी- जी क्या क्या बात है ?"
इस बच्चे से काम कराते  हैं  आप ?"
इसका कोई था नहीं ,तो मैंने अपने यहाँ रख लिया, बस प्लेटे धो देता है , और कुछ नहीं कराता ।
"आज से यह बच्चा मेरे साथ जाएगा ।"
"होटल मालिक खिसियानी हँसी हँस देता है ।"
वह व्यक्ति शंभू से पूछता है-" नाम क्या है तुम्हारा?
"जी शंभू"
"मेरे साथ चलोगें ।"
"कहाँ?"
"पढ़ाई करना चाहते हो ।"
"जी "
 ,"ठीक हैं ,चलो मेरे साथ ।"
वह व्यक्ति उसे अनाथ आश्रम लेकर आता है और उसके रहने खाने व पढ़ाई की उचित व्यवस्था करता है।
शंभू  आज आश्रम जा रहा है। उसने एक बार अपने मित्र पंडित की ओर देखा जो मुस्कुरा कर उसे विदा कर रहा है, जैसे कह रहा हो-" मानो तुम्हे तो देवता मिल गया मित्र ,कभी हो सके तो मुझे अपने साथ ले जाना ।"
शाम को अनाथ आश्रम के बॉर्डन ने सभी बच्चों को इकट्ठा किया  ज्ञान और नैतिक की कहानियाँ सुनाई ,फिर  उन बच्चों को सुला दिया ।
अब शंभू  स्कूल जाने लगा ,आज उसका स्कूल का पहला दिन है। उसे याद आया कि उसकी माँ कितने प्यार से उसके बाल बनाती, यूनिफार्म पहनाती और उसे तैयार करके स्कूल भेजती ।
उसकी आँखों में आँसू आ गए ,पर उसने प्रण किया कि उसकी माँ का सपना  वह जरूर पूरा करेगा । इस तरह दिन ,महीने साल गुजरते चले गए  ।उस भले आदमी की वजह से शंभू अपने सपने साकार करने में लग गया। अंततः वह दिन भी आ गया जब वह एक प्रसिद्ध डॉक्टर बन गया। उसने अपने मित्र पंडित को सबसे पहले याद किया और उस होटल से निकालकर अपने अस्पताल में सफाई कर्मचारी का काम दिलवा दिया ।
शंभू अभी अपनी ओपीडी से निकल ही रहा था  एक इमरजेंसी केस आ पहुँचा ।
नर्स -"डॉक्टर एक बहुत ही गंभीर पैसेंट आया हुआ है आप देख लीजिए ।"
"और  डॉक्टर से कंसल्ट करो ,मैं अभी थक गया हूँ,थोड़ी देर में आता हूँ।"
"डॉक्टर ,वो बहुत ज्यादा सीरियस है इसलिए कह रही हूँ कि आप देख लीजिए ।"
"ठीक है चलो ,कहाँ है ?"
नर्स उन्हें वार्ड रूम नंबर छ: में लेकर जाती है ।
एक बेड पर एक व्यक्ति का भयंकर एक्सीडेंट हुआ है ?साथ ही एक महिला थी जो घुटनों में सिर दबा कर रो रही थी ।
शंभू का दिल पसीज गया  वह महिला को सांत्वना देते हुए बोला
"माँ जी  बिल्कुल ना घबराइए ,आपके पति बिल्कुल भले- चंगे होकर ही जाएँगे।" औरत फिर भी  वह रोती रही ,उसने कहा कि अस्पताल की फीस बहुत है वह कहाँ से लाएगी ।"
शंभू  को उस पर दया आगई।
"आप बिल्कुल चिंता ना करें ,वह सब भी हो जाएगा ।"
जैसे ही संभू उस व्यक्ति को देखता उसे लगता है जैसे उसने बरसों पहले इस चेहरे को कहीं देखा है ।
स्मृति पटल पर थोड़ा जोर देने पर उसे याद आ जाता है कि यह चेहरा उसने  कहाँ देखा है ?उसे यह याद आता है ।
फटाफट नर्स को आवाज लगाता है और तुरंत ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर देता है थका हारा शंभू उस व्यक्ति की जान बचाने के लिए जी जान से जुट जाता है । करीब 2 घंटे के ऑपरेशन के बाद  ऑपरेशन थिएटर से बाहर निकलता है बाहर बैठी महिला अभी बहुत घबराई हुई है डॉक्टर के निकलते ही पूछने लगती है बेटा कैसी तबीयत है उनकी अब। शंभू मुस्कुराते हुए बाँह पकड़ कर कहता है अब ठीक है माँ और वहाँ से अपने केबिन में चला जाता है ।
शंभू उस बूढ़ी औरत को अपने घर ले जाता है उसे अच्छे कपड़े पहनाता व  खाना खिलाता है  ।
और  नर्स को उस व्यक्ति की विशेष देखभाल करने का आदेश देता   है।वह बूढ़ी औरत अस्पताल जाना चाहती है  पर शंभू उसे वही आराम करने को कहता है और कहता है कि उसके पति बहुत जल्द ठीक हो जाएँगे, वह बिल्कुल भी चिंता ना करें । स्त्री ढेरों आशीष देते नहीं थकती।
शंभू केवल मुस्कुरा देता है ।
अस्पताल में शंभू के किसी व्यक्ति के प्रति इस प्रकार का लगाव चर्चा का विषय बन जाता है ।
पंडित उससे पूछने लगता है  " कि यह कौन हैं?"
जिसकी तु इतनी देखभाल कर रहा हैं।"
"यह वही है जिसके डर से मैंने घर छोड़ा था "
 "मतलब तेरी माँ बाबूजी"
"हाँ"
दोनों की आँखों में आँसू आ जाते है,दोनों मित्र गले लगकर रोने लगते हैं।
 "तूने अपनी माँ को बताया क्यों नहीं?कि तू उनका बेटा है "
 "बाबूजी को सही हो जाने दो तब बताऊँगा।"
"ठीक हैं ,जैसी तेरी मर्जी"
करीब 15 दिनों के बाद शंभू के पिताजी की हालत में काफी सुधार हो जाता है  ।शंभू उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज करा कर अपने घर ले जाता है।।
उनके रहने खाने की उचित व्यवस्था करता है ।
 बेटा कितने दिनों से हमें रह रहे हैं,कोई अपना बेटा भी होता तो शायद इतना ना करता जितना तुमने हम लोगों के लिए किया है अब हम अपने घर जाना चाहते हैं "
"माँ अभी तक तुमने मुझे पहचाना नहीं "
"नहीं ,क्या हम पहले भी मिले हैं ।"
शंभू अपने माँ के पैरों में बैठ जाता है और कहता है ,माँ मैं तेरा बेटा शंभू हूँ।"
अब चौकने की बारी उन दोंनों की थी।
दोंनो उसके चेहरे पर नज़रे गड़ा देते हैं,मानो पूछ रहे हो इतने साल कहाँ था ।
"माँ तु चाहती थी कि मैं डाॅक्टर बनूँ, देख  मैं डाॅक्टर बन गया और बाबूजी  का ईलाज भी मैंने किया है।
 दोंनों के गले में मानो आवाज न थी ,एकटक शंभू को देखे जा रहे थे।
शंभू ने फिर कहना शुरू किया ,माँ मुझे माफ कर दे मैंने तुझे और बाबूजी को बहुत दुख दिेये।
"इस बार माँ बोली-माँ बाप भी कहीं अपने बच्चों से नाराज हुए हैं।
हमने तो तुझसे मिलने की आशा ही छोड़ दी थी ,तूने कितनी मुसीबतें  उठाई होंगी यह हम नहीं जानते पर यह तो बता तूने घर क्यों छोड़ा?
बाबूजी की पिटाई से बचने के लिए ।
बाबूजी फफक- फफक कर रोने लगे ।
अगर पता होता तो मुझसे इतना डरता है तो मैं कभी तुझ पर हाथ नहीं उठाता "।
गलती मेरी ही है,बाबूजी मुझे ही आपकी बातें माननी चाहिए थी आप मेरा बुरा नहीं सोच सकते, यह सब मुझे मेरे दोस्त ने समझाया।
तीनों माँ बेटे और बाबूजी बरसो बाद सारे गिले -शिकवे भूल गले लग गये। शंभू तो माँ के पैरों में प्रयाश्चित करने लगा।
आज एक बार फिर गंगा ,यमुना ,सरस्वती का संगम हो गया।

©Keyurika gangwar #sad_qप्रयाश्चितuotes
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Keyurika gangwar

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White सपना की बारात
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सपना की बारात क्रमशः-------
अभी तक आपने पढ़ा कि सपना शादी टूटने की बात भूलाकर अपने एग्जाम की तैयारी करती और एग्जाम खत्म होने पर वापस घर आती है अब आगे-------
सपना एम.ए.कर चुकी है और पास के एक विद्यालय  में शिक्षण कार्य करने लगी।
इसी बीच सपना के पिता ने रामनगर निवासी मुखिया के बेटे से रिश्ते की बात चलाई,मुखिया का बेटा"शिवा"जो होनहार था साथ ही सपना के अनुरूप गोरी रंगत, शानदार छवि कद काठी का युवक था,उसने सपना से बात करने की इच्छा जाहिर की।सुखराम ने यह बात अपनी पत्नी को बता रहा था, तो कागज पर लिखते हुए सपना के हाथ रूक गये। अगले दिन स्कूल से छुट्टी लेकर शिवा के बताये स्थान पर पहुँची तो शिवा वहाँ पहले से ही उपस्थित था।
सपना को देखकर वह खड़ा हो गया और मुस्कुरा कर बोला-"लगता है इजाजत मिलने में देर लगी इसलिए आने में देर लगी"
शिवा-"क्या घरवालों ने बोलने से मना कर दिया है।"
सपना-"मना उसे किया जाता है जो बोलना नहीं जानता।"
शिवा"चलिए इस बहाने कानों तक तो आपकी आवाज पहुँची, अगर आप उन्हीं न बोलने वाले में से होती तो हम आपकी आवाज को तरस जाते।"
सपना-"आपने यहाँ क्यों बुलाया?"
शिवा-"जाहिर सी बात है आपसे बात करने के लिए।"
बात करते-करते काफी समय बीत गया तब सपना ने घर जाने के लिए कहा दोनों अपने-अपने घर चले जाते हैं।
शिवा को सपना पसंद थी पर वह अपने पिता के दहेज लोभी स्वभाव से अच्छे से परिचित था।
उसे डर था इस लोभ के कारण कहीं उसका रिश्ता न  टूट जाये।इन सभी परेशानी के कारण वह रात भर सो नहीं पाया।
ईधर सुखराम खुश थे कि उन्हें  शिवा जैसा इतना समझदार सुलझा हुआ लड़का मिला है। शादी तय करने जब वह मुखिया के घर पहुँचे तो उन्होंने दहेज की एक लम्बी लिस्ट पकड़ा दी,सुखराम ने दहेज देने में असमर्थता जताई तो उन्होंने ने कठोर शब्दों में पत्थर की भाँति कहा-"दहेज न होगा तो शादी भी न होगी।"
"मरता क्या न करता "उन्होंने ने उनकी शर्तें स्वीकार कर लीं।
ठीक एक महीने बाद  सपना की बारात उसके दरवाजे पर खड़ी थी।
शादी के दो दिन शेष रह गए।
सपना के पिता ने उसकी शादी के लिए घर गिरवी रख दिया था।
सपना को इस बात की चिंता थी कि मेरी शादी के लिए यह घर गिरवी रख दिया तो उसके बाकी भाई-बहनों का क्या होगा?
घर पर तैयारी जोर-शोर से चल रही थी, सपना भी घर के कार्योंमें हाथ बटाँ रही थी।।
सपना घर के दरवाजे पर सजावट कर रही है तभी उसकी बहन सोहना आ जाती है और उसे इस तरह काम करते देख कहती है-अरे यह क्या दीदी दरवाजे पर जीजाजी आपको लेने खड़े हैं और आप काम कर रही हैं।"
सपना-तो क्या वो भी काम करवा देगें"
सोहना-"अरे जीजाजी आये बाद मेंऔर आप काम पहले करवाने लगीं।
सपना-"बातें करने में बहुत एकस्पर्ट है, जाती है या-------।
सोहना"जाती हूँ डाँटती क्यों।"
नाराजगी का नाटक करते हुए सोहना वहाँ से चली जाती है।

क्या सपना की शादी शिवा से हो पायेगी या दहेज के कारण नहीं जानने के लिए बने रहे" कुमकुम गंगवार के साथ --

©Keyurika gangwar #love_shayari सपना की बारात love status love story

#love_shayari सपना की बारात love status love story #Love

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