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sandeepsati4572
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Sandeep Sati

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Sandeep Sati

White जो राज नहीं भी है वो खोलेगी
ये दुनिया है, कुछ तो बोलेगी

पीठ पीछे इनकी हिम्मत अलग है,
सामने तेरे क़दमों में डोलेगी
ये दुनिया है, कुछ तो बोलेगी

उनके हिसाब अलग हैं, तेरी सोच अलग
वो तरक्की को बस पैसों से तोलेगी
ये दुनिया है, कुछ तो बोलेगी

इनकी राय मुफ्त में बटती है
हर चाय चुस्कीयों में कटती है
ज़िन्दगी में शक का ज़हर घोलेगी
ये दुनिया है, कुछ तो बोलेगी

©Sandeep Sati #duniya #दोटूक
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Sandeep Sati

चर्चा सुनी तेरे भी विष पीने की
फ़िर अमृत तुझसे ही काटा गया

अब तू ही दे भोले उम्मीद जीने की
सोच अमृत, मैं विष को लाता गया

ना जानूँ मैं पूजा ना जानूँ विधि
ना ज्ञानी हूँ तंन्त्रों मन्त्रों का
कैसे कहूँ तुझसे बात अपनी
मैं चौतरफ़ा विष से हूँ भरा
अब तू ही है उम्मीद जीने की
चर्चा सुनी तेरे भी विष पीने की

©Sandeep Sati #दोटूक #shivay Traveling poet 🎠

#दोटूक #shivay Traveling poet 🎠

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Sandeep Sati

#Hope #दोटूक
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Sandeep Sati

तन्हाई और तन्हा हो गयी
भलाई कि वो डाँट
जब सदियों के लिए सो गयी 
परवाह, जिस दिन बाप कि खो गयी
तन्हाई और तन्हा हो गयी

©Sandeep Sati
  #दोटूक
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Sandeep Sati

थका अकेला, सबने धकेला
आज रंग मेरा अंग अंग,
मुझे गुलाल कर दे,

मुट्ठी भर कर डाल,
नारंगी हरा और लाल 
रंगों से सारा भर दे
मुझे गुलाल कर दे,

बेरंगी चाहत है, किस्मत से आहात है
पर भरा मेरी भी मुट्ठी में है 
तू बस आगे गाल कर दे
मुझे गुलाल कर दे,

चाहत बस तेरी ही थी, तेरी ही है
उम्मीद बस तेरी ही थी, तेरी ही है
बेरुखीयों को हटा
चाहत कि ढाल कर दे
मुझे गुलाल कर दे,

©Sandeep Sati
  #Holi #दोटूक
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Sandeep Sati

किस्से वो बचपन वाले
गेम में जब कॉइन थे डाले
किस्से वो बचपन वाले

कॉपी पर कवर, वो ख़ुशबु नयी किताबों की
फ़िर क्या बनना है? दुनिया वो ख़्वाबों की
दिन थे वो मतवाले
किस्से वो बचपन वाले

नागराज, पिंकी, ध्रुव कमांडो और चाचा
वो पढ़ने का प्रेम था कितना साचा
नहीं भुलाये भूलते
वो दिन लड़कपन वाले
किस्से वो बचपन वाले

©Sandeep Sati
  #दोटूक
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Sandeep Sati

लगतीं हैं जब ठोकर तब दर्द होता है
जीना भी पल पल मानो कर्ज होता है

याद आती है तुम्हारी
हे भोले शम्भू त्रिपुरारी

दुखों पर मेरे तांडव कर दे
बचे जो पल खुशियों से भर दे

हे शम्भू! मेरी सुनो त्रिपुरारी!
संकट पर संकट चौ तः,
बना पड़ा हर संकट भारी

कबसे शरण खड़े तुम्हारी
देदो प्रभु दर्शन की बारी
अब सुन लो प्रभु अरज हमारी

©Sandeep Sati
  #Shiva #Shiv #prathna #sandeepsati  Traveling poet 🎠
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Sandeep Sati

तलाक! तलाक! तलाक!

सब कुछ बदल गया,
क्या बताऊँ कैसे बताऊँ
हर सपना जल गया

तलाक! तलाक! तलाक!

अरमा थे ज़िन्दगी के
जीते जीते मर गया

तलाक! तलाक! तलाक!

और हर सपना बदल गया

©Sandeep Sati
  #दोटूक #तलाक
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Sandeep Sati

सबसे निकलकर चल हम दोनों चलते हैं वहाँ
बस मैं हूँ, तुम हो अपनी ही साँसों के दरमियाँ

चल हम चलते हैं, बादल, झरने, तितली पकड़ने
हाथों से उड़ फ़िर हाथों में बैठ तितली खेले जहाँ 
सबसे निकलकर चल हम दोनों चलते हैं वहाँ

लकड़ी उठाएंगे चूल्हा चढ़ाएंगे
मिट्टी के बर्तन में खाना पकायेंगे
सब पूछेंगे वो दो पागल गए कहाँ
सबसे निकलकर चल हम दोनों चलते हैं वहाँ

चाँदी सी नदी, सजी हो चाँद के श्रृंगार से
खिल जाएँ होंठ तेरे मेरे होंठों के प्यार से
सिमटी हो तू मुझमें पूरा तारों के उस गाँव में

तेरी पीठ पर फ़िर सीधे बादल टकराएँ जहाँ
सबसे निकलकर चल हम दोनों चलते हैं वहाँ
बस मैं हूँ, तुम हो अपनी ही साँसों के दरमियाँ

©Sandeep Sati
  #दोटूक
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Sandeep Sati

कहता है दुख ही सुख का यार है 
वो खत्म होकर, फ़िर लड़ने को तैयार है

ना बिस्तर है ना जरुरत उसे सिरहाने की 
ज़िद्दी है वो ज़िद कर बैठा है कुछ पाने की

©Sandeep Sati
  #दोटूक
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