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swetasingh4717
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Sweta Singh

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Sweta Singh

खुद से खुद की मुलाकात बाकी है
खुद से खुद की पहचान बाकी है,,
माना कि वक्त और हालात,,
नहीं है साथ मेरे,,
पर आज नहीं तो कल फिर होगी शुरुआत नई,,
जो नहीं है मिला,, वो भी होगा पास मेरे,
खुद से खुद की मुलाकात बाकी है।

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Sweta Singh

इस सोच में कि सब अपना है,,
अच्छा - बुरा चाहे जैसे भी है हालात ,
वो भी अपना है,
पर कहते हैं ना,, बेखबर चलने से ही,,
लगती है ठोकर,, खुलती हैं आंखें,,
और आता है नज़र यहां कोई नहीं,,
जो सिर्फ मेरा हो,, देख मेरी आंखों में चमक,,
है ख़ुशी के या गम के समझ सके जो्
 बेख़बर चलते जाते हैं...
#बेख़बर #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

बेख़बर चलते जाते हैं... #बेख़बर #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi

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Sweta Singh

 "घर"
घर ,बङा हो या छोटा,,
सोचो अगर तो 
क्या ही फर्क है पङता??
घर तो बस घर है।।
घर - कुछ खट्टी - कुछ मीठी ,,
नादानियों और प्यार का पिटारा है।
घर , बङा हो या छोटा,,
क्या ही फर्क पड़ता है?
घर तो बस सुकुन है।।
घर चाहे बङा हो या छोटा,,
हर घर की अपनी कहानी है।
जिम्मेदारी, प्यार, भरोसे की नींव पर बना,
घर ,,तो बस घर है।।

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Sweta Singh

कैसा सफ़र है जीवन का!!
जिसका अंत ही नहीं,,
सफ़र लम्बा तो है पर,,
कौन है खङा साथ,,
कौन नहीं,, किस पे हो यकीन,,
किस पर नहीं!! ये  समझें कैसे??
ये सफ़र है जो जीवन का,,
जहां हमें मिले एक ही चेहरे में,,
चेहरे नए कई,,
फिर कैसे करें यकीन,,
कौन है अपना ,,कौन नहीं??
ये सफ़र है जो जीवन का,,
क्या इसमें अपना कोई नहीं??

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Sweta Singh

हमने तुम्हें एक पाठ समझा,
पढ़ना चाहा जिसे,,
वो प्यारी सी कहानी समझा,,
पर क्या थी ख़बर हमें,,
कि था उसमें कुछ खालीपन भी।
इश्क़ की किताब में,
हमने तुम्हें एक पाठ समझा।
 एक ख़ूबसूरत #collab Rest Zone की जानिब से।
#इश्क़कीकिताब #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

एक ख़ूबसूरत #Collab Rest Zone की जानिब से। #इश्क़कीकिताब #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi

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Sweta Singh

इसे खेल समझो ,,
या बेबाकपन,,
कसुर सब नजरों का है,,
खुबसूरती क्या है??
ये कमल भी नजरों का है,,
कौन बसता है इन आंखों में
और कौन नहीं??
ये कसुर भी नजरों का है।

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Sweta Singh

कभी -कभी ऐसा क्यों होता है??
कि बातें तो बहुत सी होती है।।
पर कहना किसी को नहीं।।
कभी - कभी ,, नहीं,,
अक्सर ऐसा होता है,,
ये मन चाहता कुछ है,,
मिलता कुछ है।।
कहते हैं कि "मन का हो तो सही"
"ना हो तो और अच्छा", फिर क्यों,,
वो इच्छाएं दूर जाती ही नहीं।।
कभी -कभी ऐसा क्यों होता है??
कुछ पाकर ,, कुछ खो क्यों जाता है?

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Sweta Singh

बस इतना ही समझ लेना तुम,,
कि हो वही मन्नत तुम,,
जिसे है हर बार मांग हमने,,
ये जानते हुए भी कि नहीं है,,
तकदीर में साथ तेरा। क्या लिखूँ मैं तुम्हारे लिए...
#क्यालिखूँ #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

क्या लिखूँ मैं तुम्हारे लिए... #क्यालिखूँ #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi

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Sweta Singh

काबिलियत और कोशिश,,
कि जंग ही तो है,,
जो लङती रही मैं अब तक,,
खुद को" काबिल हूं " साबित करने में
बीत गई न जाने घङियां कितनी??
हर बार कि कोशिश,,हर बार हारी
पर फिर  हुआ ना खुद पर विश्वास कम,,
माना कि जिस चीज को चाहा मैंने वो मिली नहीं
अब तक,,,
फिर है भरोसा खुद पर,, है कुछ,,
जो अभी भी है बाकी होना,,
क्योंकि कहीं थी बात "मां" ने एक खास
कि बार की चोट ही ,, गढ़ती है मुरत एक सुंदर।

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Sweta Singh

कुछ यादों की
कुछ बातों की
सफ़र न जाने होती क्यों 
इतनी खूबसूरत है!!
लाख कोशिश करे ये मन,,,
पर निकलती ही नहीं दिल से वो,,
बसी है अब तक जो यादों में।।

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