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snehkumarsingh1282
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sneh Kumar Singh

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sneh Kumar Singh

जागो हे हिन्दु तेरे वतन है अपने। टुकड़े न होने दो भविष्य है आने वाले। खतरा न हो आने वाले को प्रस्तत राह बनाना है। भमंर में न फँसाओ जनता को ये देश है वीर जवानों का। माटी माटी तिनका-तिनका में वीर रस ने जहर पीया है। है यह हिन्दुओ की धरती कायर को पानी पिलाना है। भारत के कितने रंग।

भारत के कितने रंग।

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sneh Kumar Singh

एक तस्वीर दिलो दिमाग पर छाई है, काश किया बताऊँ कहाँ से आई है। हर रोज़ मैं चिंतन करता हूँ फिर भी याद न आती है। बरबस सोचा करता हूँ याद न आयें हर घड़ी, ऐसा अपनों में ढाढ़स देता हूँ। आत्मा के हिलकोर की व्यथा।

आत्मा के हिलकोर की व्यथा।

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sneh Kumar Singh

राह पर के धुल, अपनों के साथ किये हुए भूल। 
यदि स्वीकार कर लिया जाय तो किसी के साथ जीवन बिता सकते हैं। समझ कि फेर।

समझ कि फेर।

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sneh Kumar Singh

मुद्दत के बाद आज मिली थी सूनसान रहो के गलियारे में। 
दिल धड़क रहा था मगर बोल नहीं पा रहा था।दोनों की बैचैनी की चादर ओढ़े उम्मीद हाथ का बढ़ा ही रहा था पर काश हुआ कुछ नहीं यु तड़पा कर चली गई।

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sneh Kumar Singh

बहुत सारे पंख को सजा कर रखें पंक्तियाँ पर।
कब किस समय उपयोग में लाना है ये समय तय नही कर पाता हूँ फिर दुबारा कुछ और सोच लेता हूँ और रास्ते जटिल से इस तरह घिर जाता है कि उससे निकलना उससे उबरना मुश्किल हो जाता है यही जीवन की यथार्थ है। जीवन की मरकरी के जाल में फंसा इन्सान।

जीवन की मरकरी के जाल में फंसा इन्सान।

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sneh Kumar Singh

एक बूँद कि इश्क में जिंदगी भर के लिए गुनाह कर बैठते हैं और रातों की नींद से परेशान हुआ करतें हैं ये इश्क नहीं तो किया है। रातों की नींद से परेशान।

रातों की नींद से परेशान।

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sneh Kumar Singh

सजी है मन की दुवार , इनतजार पर खड़ी है आस।

कब होगी शुभमय प्रकाश, खिल उठेगी हृदय की बात।
है उपवन की मधुरस रात, स्वागत गान गाओ आज।
सबको भाये नया साल, मौज मस्ती से भरी पड़ी उल्लास। 
न कोई हो गिला शिकवा, न छुटे किसी का साथ। 
मिलते जुलते कटे साल।
ऐसा हो मन का विचार। 
तब होगा मानवता का विचार। 
याद रहे बीते साल।
फिर आये नया साल। ऐसा मिलन हो बारमबार।शुभ मय मय कटे नया साल। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आपको विशेष रूप से।

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आपको विशेष रूप से।

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sneh Kumar Singh

इन्तज़ार पल पल धट रहा है दिल उथल-पुथल हो रहा है। मन की व्याकुलता इस तरह शोर मचा रही है मानों चाँद सितारे मेरे लिए आये हो। इन्तज़ार नयी ऊषा की जिसमें सिर्फ मन की बात हो।

इन्तज़ार नयी ऊषा की जिसमें सिर्फ मन की बात हो।

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sneh Kumar Singh

नित्य काम पर चलते रहे  जीवन में उजाला हुआ न अब तक। महसूस किया पिया अंदर तक समझ न पाया जिंदगी को अबतक। मिट्टी से बना धरा अध्याय में ही रह गया किया न किया दुसरे के जुबां पर रह गया। अपनो का हाथ दूसरों के साथ यही है जीवन का सार।

अपनो का हाथ दूसरों के साथ यही है जीवन का सार।

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sneh Kumar Singh

#Motivation पल गंवा बैठे हम चलते रहें जीवन पथ पर। विराम  आराम सब हराम जीने के पथ पर । मिला न सुकून अब तक जिंदगी के अंधेरे में। उमस था हृदय में पर काया साथ नहीं दिया जीवन में। हाय जीवन किया मरते रहे जीवन के पथ में। त्राहिमय जीवन की दशा ।

त्राहिमय जीवन की दशा । #Motivation

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