Nojoto: Largest Storytelling Platform
indukumari4746
  • 16Stories
  • 24Followers
  • 125Love
    329Views

sweta kumari

writer, Research scholar

  • Popular
  • Latest
  • Video
e8e34267845cbfa91bf1e70c63493623

sweta kumari

ये घड़ी भी बड़ी अजीब चीज होती है 
चलती है तो निरंतर 
रूकती है तो जिंदगी छूमंतर
समय की कद्र करें ये बहुत मूल्यवान है
आज आपके साथ,तो कल किसी और के साथ😊😊

©sweta kumari सुविचार

#alarmclock

सुविचार #alarmclock

e8e34267845cbfa91bf1e70c63493623

sweta kumari

हर फूल अपने समय पर खिलता है
बस जरूरत है उसे सही खाद-पानी से सींचने की
क्योंकि उचित समय पर किए जाने वाले फैसलें ही आपके वर्तमान के साथ-साथ,भविष्य को भी सुधार सकता है😊😊

©sweta kumari आज के सुविचार

#Flower

आज के सुविचार #Flower

e8e34267845cbfa91bf1e70c63493623

sweta kumari

प्रकाश पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ

©sweta kumari

e8e34267845cbfa91bf1e70c63493623

sweta kumari

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ🙏🙏मौलिक रचना 'माँ शारदे की चिठ्ठी'

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ🙏🙏मौलिक रचना 'माँ शारदे की चिठ्ठी'

e8e34267845cbfa91bf1e70c63493623

sweta kumari

कवि की कविता

कवि की कविता

e8e34267845cbfa91bf1e70c63493623

sweta kumari

वीरान-सी जगह
......................

आँखें बंद करके ज्यों कल्पना में डुबकी लगाई,
स्वयं को वीरान-सी जगह में पाई,
कँकरीले पत्थर के टुकड़े जमीन पर थे पडे़,
और खुले आसमान थे उस पर अड़े,
कँटीली झाड़ियाँ थी, थे सिर कटे पेड़,
मनचली हवाएँ लगा रही थी ऐड़,
दुर्गम थी वहाँ की पहाड़ियाँ,
शायद कर रही हो किसी के आने की तैयारियाँ,
खंडहर थे जीर्ण-शीर्ण,
जैसे चुकाना हो अपने का ऋण,
डटकर खड़ी थी विशालकाय दीवार,
रौशनी का बस कर रही इंतजार,
रात्रि की आई घनी ऐसी बेला,
झींगुर सो रही हो चादर फैला,
चारों ओर थी सन्नाटा छाई,
उम्मीद की किरणों के साथ सुबह की घड़ी आई,
सबने कहा,वीरानता जीवन का अंत होती है,
मैंने देखा, अंत से ही सृजन आरंभ होती।
✍️स्वरचित✍️
  श्वेता कुमारी
धनबाद, झारखंड।

©sweta kumari #OneSeason
e8e34267845cbfa91bf1e70c63493623

sweta kumari

'साँवरी हूँ मैं'
...............

कृष्ण-सा रंग,कृष्ण के संग
बावरी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।

घनानंद के प्रेम के पीर पर
बलिहारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।

र्दुबुद्धि से उत्पन्न उसके बीज का
संहारकारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।

कदंब की अनोखी डाली-सी
चमत्कारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।

प्रकृति की नैसर्गिक छटा-सी
मनोहारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।

संपूर्ण जगत में प्रेम की
संचारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।

मानव की मानवीयता का
प्रतिहारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।

   श्वेता कुमारी
विशुनपूर(गायत्री नगर),धनबाद झारखंड।

©sweta kumari छायावाद को स्पर्श करती कविता

#one session

छायावाद को स्पर्श करती कविता #One session

e8e34267845cbfa91bf1e70c63493623

sweta kumari

माँ शारदे की चिठ्ठी
                             
अचानक किसी ने दरवाजा खटखटाई,
मैंने पूछा-कौन हो भाई?
डाकिये ने आवाज लगाई,
आपके नाम की चिठ्ठी है आई।
चिठ्ठी को उलट-पलट कर देखा,मेरे समझ ना आई
मैंने पूछा ये चिठ्ठी कहाँ से आई, किसने भिजवाई।
खैर, खोलकर देखा तो उसमें संदेश था भाई,
अज्ञान के अंधेरे में सृष्टि है समाई।
हाय!अब मनुष्यता भी हो गई पराई,
भ्रष्टाचार के हलों से हो गई इसकी जुताई।
गरीबों के बीच आज है भूखमरी छाई,
ज्ञान की देवी बनकर मैं इस संसार में आई।
विद्या से भी तूने कर ली ठगाई,
हाय!मनुष्य तुझे जरा भी लज्जा ना आई।
पापकर्म से तूने कर ली सगाई,
ये पढ़कर मेरी आँखें भर आई।
सच्चे ज्ञान के प्रकाश से,
मानव मस्तिष्क की करनी होगी सफाई।
पूरी चिठ्ठी पढी़ तो तब समझ मैं पाई,
अरे,यह तो माँ शारदे की चिठ्ठी है आई।
 
✍️श्वेता कुमारी

©sweta kumari #one session
व्यंग्य प्रधान कविता

#One session व्यंग्य प्रधान कविता

e8e34267845cbfa91bf1e70c63493623

sweta kumari

पुराने गीत मेरी आवाज में

पुराने गीत मेरी आवाज में

e8e34267845cbfa91bf1e70c63493623

sweta kumari

#PowerOfPrayer
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile