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Rakesh

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Rakesh

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Rakesh

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Rakesh

करनपुर नाम का एक बड़ा सा गांव हुआ करता था जहां अधिकतर खेतीबाड़ी करने वाले किसान रहा करते थे। वहीं, गांव के पास ही खेतो के बीच नीम के पेड़ में एक भूत रहा करता था। भूत दिनभर तो गायब रहता, लेकिन रात होते ही वह गांव वालों को खूब परेशान किया करता था।रात होते ही भूत पूरे गांव के चक्कर काटने लगता और कभी किसी किसान को नुकसान पहुंचाता तो किसी किसान को इतना डराता कि वो  बेहोश हो जाता। भूत के डर से शाम होते ही गांव में सन्नाटा फैल जाता और रात को कोई भी घर से बाहर नहीं निकला करता था।एक बार भूत से परेशान गांव के लोगों ने एक बहुत बड़े तांत्रिकको गांव में बुलाया और उनसे अपनी समस्या का निदान करने के लिए विनती की। गांव वाले तांत्रिक को उस पेड़ के पास ले जाते हैं, जहां भूत का वास होता है। तांत्रिक अपने तंत्र और मंत्र से भूत को काबू करने की बहुत कोशिश करता है, लेकिन वह उसे वश मे नही कर पाता अंत में तांत्रिक भूत पर काबू पाने की युक्ति निकाल लेता है और सब गांव वालों से कहता है कि ये भूत केवल रात के अंधेरे में निकलता है, जिसका मतलब है कि इसे दिन के उजाले से डर लगता है और उजाले के सहारे ही भूत से छुटकारा पाया जा सकता है। तांत्रिक की बात सुनकर सभी गांव वाले मिलकर एक योजना बनाते हैं।रात को जब भूत पेड़ से निकलकर गांव में प्रवेश करता है तो किसान   लाइट सेउजाला कर देते हैं। उजाले को देखकर भूत डर जाता है और वापस पेड की ओर भाग जाता है। वहीं, गांव वाले भी उसके पीछे-पीछे पेड़ के पास पहुंच जाते हैं। उजाले में तांत्रिक भूत को पेड़ से बांध देता है और फिर गांव वाले भूत को उस पेड़ के साथ ही जला देते हैं। इस तरह से गांव वालों को भूत की समस्या से निजात मिल जाता है।एक दिन बच्चों ने उस गांव में जाने की बात कही। यह सुनते ही संजय की रूह कांप गई, क्योंकि उसे एक पुराना किस्सा याद आ गया।




ये बात तब कि है जब संजय7वीं क्लास में पढ़ रहा था एक दिन दोस्तो ने उस गांव में जाने का प्लान बनाया था। अपने सभी दोस्तों के साथ संजय ने भी जाने के लिए हां कर दी। उस गांव में  जाना था करनपुर। सारे दोस्त ,  करीब 1बस सभी बच्चों को ले जाने के लिए तैयार थी।संजय अपने दोस्तों के साथ सबसे बीच वाली सीट में बैठ गया। सभी मोज मस्ती करते हुए बस से जा रहे थे। तभी कुछ दूर गांव के पास पहुंचकर उसी बस से तेज आवाज आई। ये वक्त रात के करीब डेढ़ बजे का था। ड्राइवर गाड़ी से बाहर निकला, तो उसे पता चला कि टायर फट गया है।ड्राइवर ने सबसे कहा कि बस का टायर बदलने में करीब तीन घंटे लगेंगे आप सब नीचे उतर जाइए। मैं इसे बदल देता हूं। आप लोग पास के चाय के होटल में जा सकते हैं। वहां गर्म-गर्म चाय पी लीजिए और मैं इस टायर को फटाफट बदलने की कोशिश करता हूं।




ड्राइवर की बात सुनकर सभी बस से उतर गए और पैदल चलते हुए पास के चाय के होटल में पहुंचे। वहां एक लड़का चाय बना रहा था। इतनी रात को होटल खुला हुआ और किसी लड़के को चाय बनाते देख सबको हैरानी हुई।उस लड़के ने कहा, “आप सब चाय पी लीजिए। यहां अक्सर लोगों की गाड़ी खराब हो जाती है, इसलिए मैं भी अपना होटल हरदम खुला रखता हूं। आप जैसे ग्राहकों को कुछ मदद हो जाती है।”




उनकी बात सुनकर सबने चाय का ऑर्डर दे दिया। उन्होंने कुछ ही देर में सबके लिए चाय बनाकर टेबल पर रख दी। चाय पीते हुए संजय की आंखें एकदम होटलकी छत की तरफ गई। वहां संजय ने एक औरत को सफेद रंग की साड़ी में खुले बाल लहराते हुए देखा। कुछ देर बाद वो जोर-जोर से हंसने लगी। भले ही हंसने की आवाज किसी को सुनाई नहीं दे रही थी, लेकिन संजय ने उसे मुंह खोलकर हंसते हुए देखा था।ये सब देखकर संजय ने डर के मारे आंखें नीचे झुका लीं। कांपते हुए किसी तरह से संजय ने चाय दोबारा पीना शुरू ही किया था कि उसी वक्त जोर-जोर से किसी के चिल्लाने की आवाज खेतो की ओर से आई। होटल में बैठे हुए सभी दोस्त उस आवाज को सुनकर डर गए। सबको डरा हुआ देखकर उस लड़के ने कहा कि मैं देखकर आता हूं क्या हुआ है। आप लोग यहीं बैठे रहो। इतना कहकर वो आवाज की तरफ बढ़ गया।तभी एक दोस्त को खून की उल्टी लगातार होने लगी। उसको देखकर सबकी हालत और खराब हो गई। उसी समय एक दोस्त ने कहा कि तुम सब आग जलाओ और उसके बगल में बैठ जाओ। सबने मिलकर आग जलाई और गोल घेरा करके बैठ गए। संजय ने सख्त लहजे में सबसे कह दिया कि अकेले कोई कहीं नहीं जाएगा। वैसे भी सब इतना डरे हुए थे कि अकेले कहीं जाने की हिम्मत हो नहीं रही थी।आग के पास बैठे-बैठे चार बज गए। तब कहीं जाकर वो लड़का खेत से लौटकर आया। उसने सबकी तरफ देखा और कहा कि उस चीख को सब भूल जाना, नहीं तो जीना मुश्किल हो जाएगा। इतना कहकर वो होटल के अंदर चला गया गया। तभी ड्राइवर भी टायर बदलकर बस लेकर होटल के पास पहुंचा। सभी लोग भगवान का नाम लेते हुए उस बस में बैठ गए।संजय ने बस में बैठते ही सबको कहा कि कोई एक दूसरे से बात नहीं करेगा। सीधे सब सो जाओ। संजय की बात मानकर सब चुपचाप बस में ही सो गए। उसके बाद वो लोग गांव पहुंचे और करीब एक दो दिन घूमकर आ गए। गांव में किसी ने दूसरे गांव के बच्चों से उस रात के बारे में कुछ नहीं कहा, क्योंकि संजय ने मना किया। लेकिन, गांव से लौटते ही सबने अपने दोस्तों और दूसरी क्लास वालों को इस भूतिया घटना के बारे में बताया।


आज गांव का नाम सुनते ही यही भूतिया होटल की कहानी संजय के मन में आ गई और दोस्तो को गांव भेजने से उसे डर लगने लगा।

©Rakesh 
  नीम के पेड़ का भूत

नीम के पेड़ का भूत #हॉरर

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Rakesh

खून का प्यासा भयानक शैतान ||




राजा लोहार बहुत ही महंती था और उसने कभी भी किसी का बुरा नहीं चाहा था. लेकिन उसकी ज़िंदगी मैं कभी कोई ऐसा भी एक मोड़ आएगा ये कभी भी राजा ने नहीं सोचा था. राजा के गांव मैं एक बुढ़िया की अचानक से बीमारी के कारण मोत गई थी. किसी को भी इस बात का कोई भी इल्म नहीं था की वो बुढ़िया इतनी जल्दी ही मर जायेगी लेकिन होता वही है जो कोई कभी भी सोचता नहीं है.







जनवरी का महीना था और सर्द रात मैं ठंडी ठंडी हवा चल रही थी. राजा के पिता की आधी रात को अचानक से तबियत बहुत ही ज्यादा ख़राब हो चली थी. जिस कारण से उसे रात मैं उसी वक़्त डॉक्टर के पास जाना पड़ा था. डॉक्टर गांव से करीब चार किलोमीटर दूर रहता था और उसके पास जाने का कोई ख़ास साधन भी नहीं था , तो वो अपनी साइकिल से डॉक्टर को बुलाने के लिए चल दिए था. रस्ते की ठंडी हवा उसके शरीर को चीरते हुए जा रही थी. लेकिन वो इतनी ठण्ड की परवाह किये बिना ही अपने पिता के लिए डॉक्टर को लेने जा रहा था. जैसे ही वो एक पीपल के पेड़ से गुजरा तो उसे ऐसा परतीत हुआ मानो कोई अचानक से उसकी साइकिल पर बेठ गया हो.उसने तुरंत ही अपनी साइकिल रोकी तो देखा की कोई भी नहीं है. वो फिर चल दिया आगे की और , लेकिनअब साइकिल कुछ धीमी चल रही थी. उसे वजन लग रहा था लेकिन किसका पीछे तो कोई भी नहीं था. उसे कुछ भी समझ मैं नहीं आ रहा था. की अचानक से कुछ दूर चलते ही साइकिल का पिछला टायर फट गया और राजा की साइकिल वही पर रुक गयी आधे रस्ते पर. अब वो ये सोचने लग गया की क्या किया जाये. ये आगे जा नहीं सकती और पैदल मैं डॉक्टर को ला नहीं सकता. इसी बात मैं उसे एक घंटा हो चूका था उस नीम के पेड़ के पास खड़े हुए.







उसने अब साइकिल को ऐसे ही घसीटते हुए आगे की और बढ़ने की सोची और चल दिया. लेकिन अब भी वही वजन उसे लग रहा था साइकिल पर जो की टायर फटने से पहले भी था. उसने साइकिल को एक दम से सड़क पर गिरा दिया और तभी एक आवाज आयी. तुमने मुझे गिरा दिया अब मैं तुम्हे जिन्दा नहीं छोड़ूगा. राजा डर गया भला ये कौन बोल रहा है. वो भयानक प्रेत एक दम से राजा के सामने प्रकट हो गया और राजा डर के मारे सड़क पर ही गिर गया. राजा ने कहा तुम कौन हो . वो बोला मैं वही बाबा का प्रेत हु जो पिछले महीने ही मरा था. “.प्रेत बोला मैं तुम्हारे पिताजी को बहुत चाहता था और उसे भी अपने साथ ले जाने के लिए आया हु. और तुम उसे ठीक करने के लिए डॉक्टर के पास जा रहे हो. मैं ऐसा कभी भी होने नहीं दुगा. तुम कभी भी डॉक्टर के पास नहीं पहुंच पाओगे. मैंने उसकी बात को नजर अंदाज करते हुए डॉक्टर के पास जाने लगा. की तभी वो अचानक से गायब हो गया. जब मैं डॉक्टर को लेकर वापिस अपने गांव आया और उसके बाद डॉक्टर ने दवाई दी और पिताजी ठीक हो गए थे, मेने हार नहीं मानी थी और उस भूत पर कोई ध्यान नहीं दिया अचानक कुछ

दिन से लगातार जमकर बारिश हो रही थी और नदी में रेत भी भरपूर मात्रा में बहकर आई हुई थी। नदी के आसपास के इलाके में रहने वाले लोग यहीं से रेत निकालकर बेचते और अपनी रोजी-रोटी चलाते थे। आज राजा और रोकी जब से बारिश खत्म हुई तब से रेत निकाल रहे थे। बारिश शाम 5:00 बजे के बाद बंद ही हो गई थी। नदी में रेत भी बहुत बह कर आ रखी थी वैसे तो बहुत लोग रेत निकाल रहे थे और निकाल कर जमा कर रहे थे। अपने अपने जगह पर लेकिन रात 9:00 बजे तक सब लोग अपने अपने घर चले गए थे




लेकिन रोकी और राजा दोनों दोस्त थे दोनों ने कहा आज रेत बहुत ज्यादा है इसलिए सही पैसे बन जाएंगे निकालते निकालते लगभग 10:00 या 11:00 बज रहे होंगे राजा ने रोकी को कहा - रोकी पानी से बाहर आ जाओ थोड़ा सिगरेट पीते हैं गर्माहट आ जाएगी तब फिर निकालना शुरू करेंगे - रोकी ने जवाब देते हुए कहा - हां सही है - इतना कहकर वह भी पानी से बाहर ही आ गया। अब राजा ने सिगरेट जलाई और रोकी और राजा दोनों सिगरेट पी रहे थे और इधर उधर की बातें कर रहे थे। तभी राजा ने कहा - रोकी इस बार तो मजा आ जाएगा हमने इतनी देर में लगभग 3गाड़ी रेत निकाल ली है और हम आज रात तक निकालेंगे लगभग 5 गाड़ी तो हो ही जाएगी - रोकी ने राजा से कहा - सही बात है इस बार बारिश भी बहुत अच्छी हुई हैं - फिर सिगरेट खत्म करके दोनों फिर अपनी अपनी जगह पर जाकर पानी में उतर गए रेत निकालने के लिए।तब लगभग एक घंटा बीत गया होगा। तभी रोकी को नदी में आगे किसी के बड़ी तेज से कूदने की आवाज आई है और ऐसा लगा जैसे कोई चिल्ला रहा हो बचाओ बचाओ रोकी तुरंत पानी से बाहर निकला और उसने राजा को भी बाहर बुलाया राजा के बाहर आते ही रोकी ने कहा - तुमने कुछ सुना - राजा रोकी दोनों यही बात कर रहे थे ऐसा लग रहा है कोई नदी में गिर गया है या फिर किसी ने फेंक दिया है। तभी राजा और रोकी भागते हुए उस तरफ गए जहां से आवाज आई थी। उस समय पानी भी बड़ी तेज बह रहा था इसलिए और कुछ सुनाई भी नहीं दे रहा था। बस पानी की आवाज ही आ रही थी लेकिन फिर भी दोनों ने लाइटर जलाकर देखने की बहुत कोशिश करी पर ऐसा कुछ नजर नहीं आया। फिर दोनों वापस अपनी जगह पर आ गए। पर दोनों अभी यही सोच रहे थे की आवाज तो दोनों को आई थी और साफ-साफ सुनाई भी दी थी।







रेत निकालने के लिए सब लोगों ने डैम बना रखे थे इस वजह से कोई पानी में बह भी नहीं सकता था। तो फिर किसकी आवाज थी वो और अगर कोई पानी में गिरा तो कहां है फिर। यही सब सोचकर दोनों फिर रेत निकालने लगे लेकिन 20 मिनट बाद दोनों फिर बाहर निकल आए रोकी ने कहा - राजा मुझे अब बहुत डर लग रहा है मुझे घबराहट हो रही है बहुत अरे तुमने कुछ सुना - अब की बार राजा ने कहा - इस बार तो कुछ नहीं सुना क्यों इस बार क्या हुआ - फिर रोकी ने कहा - जंगल से किसी के रोने की आवाज आ रही थी मुझे तो ऐसा लग रहा था कोई दर्द से तड़प तड़प कर चिल्ला रहा है और बहुत तेज तेज रो रहा है - पर राजा को ऐसा कुछ सुनाई नहीं दिया था।










रोकी ने घड़ी देखी टाइम लगभग 2:30 बज चुके थे। राजा ने रोकी को समझाते हुए कहा - ऐसा कुछ भी नहीं है तुमको कोई वैहम हुआ होगा - पर रोकी को पूरा विश्वास था उसे कोई वैहम नहीं हुआ था। रोकी ने अपने कानों से साफ-साफ सुना था इसलिए रोकी ने कहा - अब घर चलते हैं रेत जितनी निकल गई ठीक है बाकी कल सुबह निकालेंगे रोकी की बात आधे में काटते हुए राजा ने कहा - चलो ठीक है पहले अपना रेत निकालने वाले औजार लेकर चलते हैं - घर का रास्ता नदी पार करके जंगल से होकर जाता है अक्सर दिन में तो कोई दिक्कत होती नहीं है। सब लोग सामान्य रूप से आते जाते रहते हैं लेकिन रात को लोग यहां से आने से घबराते हैं। और इधर जाने से जितना हो सके उतना बचते हैं पर घर जाने का और कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। दोनों अब जंगल के अंदर तक पहुंच गए थे।










तभी राजा कहता है - वह देखो क्या है - इस बार रोकी भी डर गया राजा जो अब तक कह रहा था ऐसा कुछ नहीं है यह सब तुम्हारा वैहम है। लेकिन अब राजा की भी हालत खराब होने लगी क्योंकि दोनों ने देखा जंगल के हर तरफ हड्डियों के कंकाल ही नजर आ रहे हैं। दोनों सोच रहे थे कि ऐसा कैसे हो सकता है क्योंकि दिन में जब हम आए थे तो ऐसा कुछ नहीं था। न पर अचानक ऐसा क्या हुआ। तब रोकी, राजा से कहता हैं - राजा जल्दी चलो वापस चलते हैं नदी में ही बैठ जाएंगे जंगल से होकर नहीं जाना। लेकिन राजा ने कहा - अब वापस जाना ठीक नहीं है हमें आगे ही जाना है ज्यादा बड़ा तो है नहीं जंगल चलो चलते हैं। - थोड़ा आगे ही गए थे तभी ऐसी आवाज आ रही थी जैसे कोई बहुत तेज गुर्रा रहा हो। और थोड़ी देर में ही वो गुराने की आवाज बहुत तेज हो चुकी थी।लेकिन आगे जो हुआ यह राजा और रोकी ने अपनी पूरी जिंदगी में कभी नहीं देखा था। राजा और रोकी आवाज सुनकर बहुत तेजी से भागने लगे। लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे जंगल खत्म नहीं हो रहा हो। भागते हुए ही अरविंद ने घड़ी में टाइम देखा तो 3:00 बज गए थे। लेकिन अभी भी वह जंगल में ही थे अब दोनों के होश उड़ रहे थे क्योंकि मात्र 20 मिनट का रास्ता होता है जंगल से बाहर निकलने का। लेकिन एक घंटा बीत चुका था और अभी रोकी और राजा जंगल में ही थे। उन दोनों को समझ नहीं आ रहा था जंगल में किस दिशा में जाना है ऊपर से अंधेरा बहुत था। और इस घने जंगल में भयानक भयानक किस्म की आवाज आ रही थी। तभी रोकी ने चारों तरफ टोर्च मारी और जब आगे की तरफ देखा तो दोनों बहुत घबरा गए। क्योंकि दोनों ने देखा एक बहुत लंबा और बड़ा भयानक आदमी सामने खड़ा था। और उसकी गर्दन आगे को झुकी हुई थी पर वह इतना पतला था जैसे उसने सालों से कुछ नहीं खाया हो।उस आदमी को देख कर राजा रोकी दोनों जहां थे वहीं रुक गए। राजा ने रोकी को कहा - शायद यह कोई बड़ा जानवर है - लेकिन रोकी समझ चुका था यह वही है जिसके बारे में मोहल्ले के लोग बात करते हैं। तभी अचानक से वह जानवर जैसी चीज दोनों की तरफ बढ़ी। उसको अपनी ओर बढ़ते देख दोनों तेजी से भागने लगे। रोकी और राजा जंगल के पीछे की तरफ भागने लगे रोकी को पता था। कि अगर यह वैसी कोई भी चीज है तो आग से जरूर डरेगी तभी रोकी ने राजा को कहा - राजा लाइटर निकालो - लेकिन राजा ने कहा - लाइटर तो नदी पर ही छूट गई - रोकी ने अपनी टॉर्च की लाइट उस भयानक सी दिखने वाली चीज पर मारी लेकिन उसका कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। और वह बहुत तेजी से दोनों की ओर भागा चला आ रहा था राजा और रोकी पूरी रफ्तार से पीछे की तरफ भाग रहे थे।










तभी दोनों नदी के पास पहुंच गए और दोनों नदी में कूद गए और नदी तैर कर दूसरी तरफ को जाने लगे। लेकिन नदी के दूसरी तरफ भी वही जानवर या फिर आप उसे कोई शैतान भी कह सकते हो वह जो कुछ भी था। वह दूसरी तरफ से उन दोनों की तरफ आ रहा था। दोनों ने अब सोच लिया मरना तो तय है वो दोनों हिम्मत हार चुके थे। तब लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था शायद रोकी और राजा पर उस दिन भगवान की कृपा रही होगी। तभी दोनों नदी के अब इस तरफ आने लगे जहाँ वह रेत निकाल रहे थे। और दोनों तुरंत नदी से बाहर निकल कर अपनी लाइटर उठा लेते हैं और पास में सुखी झाड़ी बहुत थी उनमें आग लगा देते हैं। झाड़ी बहुत सुखी थी इसलिए आग तुरंत लग जाती है और आग की लपटें बहुत तेज तेज उठने लगती हैं।

लेकिन रोकी और राजा अभी भी बहुत डरे हुए थे रोकी ने राजा से कहा- राजा यह शायद वही शैतान है जिसको लोग रूप बदलने वाला शैतान कहते हैं और बहुत लोग तो यह भी कहते हैं यह एक श्रापित आत्मा है लेकिन लोगों का ऐसा कहना भी था कि यह शैतान अगर किसी के खून की एक बूंद की भी महक ले ले तो वह उसे जिंदा नहीं छोड़ता। - राजा और रोकी यही सब इधर उधर की बातें आपस में कर रहे थे। तभी ऐसा लगा कि पीछे से कोई चलता हुआ उनके के पास आ रहा है। रोकी और राजा पहले से ही बहुत ज्यादा घबराए हुए थे दोनों एक दूसरे से चिपक कर खड़े हो जाते हैं। और रोकी ने रोते हुए कहा - राजा भाई अब हमारा मरना तो बिल्कुल तय है - राजा जो खुद भी बहुत ज्यादा डरा हुआ था उसने कहा - ऐसा मत कहो अभी भगवान है वह हमको बचाएंगे - राजा ने रोकी के हाथ से टॉर्च ली और कहा - अब रुकना नहीं है। -उसके बाद दोनों पूरी जान लगा कर दौड़ने लगते हैं उसी जंगल के रास्ते से होते हुए अपने घर जाने को पूरा दम लगा कर भाग रहे थे। वह दोनों लेकिन उनमें से किसी की भी यह हिम्मत नहीं हो पा रही थी कि कोई भी पीछे मुड़कर एक बार भी देखें बस वह भाग रहे थे। तभी राजा ने सामने देखा एक घर दिख रहा है राजा ने कहा - रोकी शायद हम जंगल से बाहर निकल गए- दोनों भागते हुए उस घर के पास खड़े हो गए। वहां पर एक सफेद धोती पहने हुए एक बुढ़िया बैठी हुई थी रोकी और राजा वही के रहने वाले थे लेकिन इन्होंने कभी यहां ऐसा घर देखा नहीं था। और उस बुढ़िया को भी नहीं पहचानते थे। लेकिन फिर भी वह दोनों उस बुढ़िया के पास जाकर बैठ गए। उन्होंने उस बुढ़िया से कहा - दादी आगे मोहल्ला कितनी दूर है - उस बुढ़िया ने कहा - तुम मोहल्ले में तो हो यहीं से तो मोहल्ला शुरू होता है सबसे पहला घर मेरा ही है - लेकिन दोनों कुछ समझ नहीं आ रहा था।










क्योंकि ना उन्होंने कभी इस बुढ़िया को देखा था और मोहल्ले में कभी ऐसा घरभी नहीं देखा था इसकी बातें भी थोड़ी अजीब सी लग रही थी इसलिए दोनों उठ कर वहां से जाने लगे। अब पहले से ही भागते हुए वह थक चुके थे। इसलिए थोड़ा आराम से जा रहे थे रोकी ने कहा - राजा आज हम बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गए हैं लगता है क्योंकि इस जंगल से हम रोज आते जाते हैं आज इस जंगल में हम अभी तक भटक रहे हैं सिर्फ 20 मिनट का रास्ता और हम बाहर नहीं निकल पाए अभी तक अब मुझे नहीं लगता कि हम बचकर जा पाएंगे यहां से - रोकी की ऐसी बेतुकी बातें सुनकर राजा ने कहा - अब तू चुप हो जा तेरी वजह से ही हम इतनी देर तक नदी में रुके तूने ही कहा था कि आज ज्यादा रेत निकाल लेते हैं लालच के चक्कर में आज हमारा यह हाल है - दोनों एक दूसरे से बात ही बात में थोड़ा झगड़ रहे थे लेकिन वहाँ रुके नहीं थे।




जंगल की आगे की तरफ लगातार चल रहे थे। तभी राजा की टॉर्च की रोशनी किसी चीज पर पड़ी थोड़ा ध्यान से देख तो वही बुढ़िया अब उन दोनों के ठीक सामने पर खड़ी हुई मिली।राजा और रोकी अब क्या करे दोनों को कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी वो दोनों फिर पीछे की तरफ भागने लगे। दोनों थोड़ा ही पीछे भागे होंगे कि उन्होंने देखा वही पतला हड्डी जैसा जिसे जानवर या शैतान कह रहे थे। वह उनके पास खड़ा हुआ है। राजा रोकी चीखने और चिल्लाने लगे और कहने लगे - हमने क्या करा है हमें क्यों मार रहे हो। - लेकिन उस जानवर जैसे आदमी को उनकी कुछ भी बात समझ नहीं आ रही थी।


वह पता नहीं क्या कह रहा था तभी पीछे से उस बुढ़िया ने राजा को पकड़ लिया और घसीटते हुए ले जाने लगी पर राजा उस बुढ़िया से अपने आप को छुड़ा नहीं पा रहा था और थोड़ी ही देर में राजा की आवाज मानो पूरे जंगल में गूंज रही हो बचाओ बचाओ छोड़ दो मुझे और वह जो बुढ़िया थी अब वह बिल्कुल भयानक रूप में आ गई थी रोकी ने देखा जो राजा को ले जा रही है घसीटती हुई वह बुढ़िया अब पूरी बदल कर उस आदमी की तरह हो गईं थीं जो उसके सामने खड़ा हुआ हैं। पतला और एकदम हड्डी सा और देखते ही देखते उसने रोकी को पकड़ा और पीछे से जकड़ कर उसे भी घसीटते हुए थोड़ी दूर ले गया फिर उस शैतान ने रोकी को तड़पा-तड़पा कर मार दिया। उसने रोकी के शरीर से एक एक बूंद खून चूस लिया था।

और अगले दिन लोगों को रोकी और राजा की लाश बहुत बुरी हालत में उसी जंगल में मिली। कहते हैं कि उस जंगल में आज भी रोज रात को वह शैतान घूमता है जो एक साथ कई रूप बना लेता है। अगर उसे लोगों के खून की एक बूंद की महक से भी पकड़ कर उनको मार देता है। यह वहाँ कई वर्षों से चला आ रहा हैं उस जंगल के बारे में राजाऔर रोकी को भी इस मोहल्ले के बड़े लोगों से कई बार पता चला था।

©Rakesh #Travel खून का प्यासा प्रेत

#Travel खून का प्यासा प्रेत #हॉरर

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Rakesh

किसी गाँव में करण नाम का एक हलवाई रहता था, वह बहुत ही मेहनती और ईमानदार व्यक्ति था, उसके हाथ से बनाये समोसे कचोरी काफी स्वादिष्ट होते थे, जिस कारण से दूर दूर से लोग उसे अपने यहा कोई शादी समारोह होने पर समोसे कचोरी बनाने के लिए बुलाते थे,एकबार की बात है, उसके पास के गाँव के जमीदार के यहा शादी का समारोह था, जिसमे समोसे कचोरी बनाने के लिए करण को बुलाया गया था, फिर करण उस गाँव में जाकर जमीदार के यहा समोसे कचोरी आदि सब अच्छे से बना देता है, जिसके बाद उस जमीदार ने उसके काम के बदले पैसे और ढेर सारे घर पर खाने के लिए मिठाई दिए,जिसे करण एक बैग में भरकर अपने गाँव को वापस जाने लगा था, जो की उसके गाँव का रास्ता एक सुनशान जंगल से होकर गुजरता था, जंगल काफी घना था, और शाम भी हो गयी थी, फिर धीरे धीरे करण उस जंगल के रास्ते से जा रहा था, की अचानक से उसके सामने एक डायन प्रकट हुई, जिसे देखकर करण बहुत ही डर गया,

 

और फिर डर के मारे उस डायन के सामने रुक गया, फिर इतने में डायन खूब जोर से हसते हुए बोली “ अच्छा हुआ इन्सान जो तू आ गया, मै कितने दिन से भूखी थी, अब तुम मेरा भोजन बनेगा”फिर डरते हुए करण डायन से बोला “ अगर आप मुझे खा लोगी, तो फिर मै कभी भी वापस अपने गाँव नही जा सकुगा, जिसके कारण लोग इस जंगल में आने से डरने लगेगे, फिर लोग नही आयेगे तो फिर आपको हमेसा भूखा ही रहना पड़ेगा, इसके बदले अगर कुछ और भी खाने को चाहिए तो दे सकता हूं,”करण की यह बात सुनकर डायन बोली फिर और क्या दे सकता है खाने में, जिससे मेरी भूख मिट जाए, तो फिर करण ने कहा “उसके बैग में ढेर सारे स्वादिष्ट मिठाई और पकवान है, अगर उसे खाएगी तो निश्चित ही उसकी भूख मिट जाएगी,तो करण की यह बात सुनकर डायन बोली ठीक है जल्दी से वह मिठाई उसे दे, इसके बाद करण ने अपना बैग खोलकर वह सारे मिठाई उस भूखी डायन को दे दिया, फिर उन स्वादिष्ट मिठाई को खाकर डायन बोली “तुम्हारे मिठाई बहुत ही स्वादिष्ट है, मुझे बहुत ही अच्छे लगे, इसलिए तुम्हे जिंदा छोडती हु, लेकिन एक शर्त है मुझे फिर से इन मिठाई को आगे भी खिलाना पड़ेगा”

 

तो करण बोला मैं बहुत ही गरीब हु इसको बनाने के लिए बहुत सारे पैसे चाहिए, फिर वह इतने सारे पैसे कहा से लेकर आएगा, जिससे वह मिठाई बना सके.करण की यह बात सुनकर डायन बोली रुको मै तुम्हे चंदन की लकड़ी देती हु, तुम इन्हें बेचकर इन पैसो से मिठाई के समान खरीदकर मिठाई बना लेना,

 

इसके बाद वह डायन अपने उस चंदन के पेड़ की कुछ लकड़ीया काटकर लेकर आ गयी, जिसे देखकर करण दंग रह गया, और फिर उस डायन से मिठाई लाने का वादा करके वापस अपने घर चला गया, इस तरह करण अपने दिमाग से अपनी जान बचा लिया, और यह सारी बाते अपनी मां को बता दिया,

 

जिसके बाद उसकी मां ने उस जंगल में दोबारा जाने के लिए मना कर दिया, इस तरह उन मिले चंदन की लकड़ियों को बेचकर दोनों अपना खुशहाल जीवन व्यतीत करने लगे.

 

लेकिन करण और उसकी मां की बातो को उसके पड़ोसी ने सुन लिया था, और फिर उस पड़ोसी ने चंदन की लकड़ियोंऔर डायन वाली बात अपनी पत्नी को बता दिया, उस पड़ोसी की पत्नी बहुत ही लालची और लोभी स्वाभाव की थी, और बोली ठीक है आप भी उस जंगल में मिठाई लेकर जाना और उस डायन से उसके बदले चंदन की लकड़ी लेआना, फिर डरते डरते वह पड़ोसी उस जंगल में जाने को तैयार हो गयाफिर अगले दिन वह पड़ोसी ढेर सारी मिठाई लेकर उस जंगल में पहुच गया, जहा उसकी मुलाकात उस डायन से हो गयी, तो अपनी जान के बदले में उसने मिठाई को दे दिया, फिर उसके बदले उस डायन ने अपने चंदन के पेड़ की लकड़ियों तोड़कर उस पड़ोसी की दे दिया.

 

फिर चंदन की लकड़ियां पाकर पड़ोसी काफी खुश हुआ , जिसे देखकर पड़ोसी की लालची पत्नी बोली फिर से आप वहा जंगल में जाना और एक ही बार में उस डायन का चंदन का पेड़ काटकर ले आना.

 

अपनी पत्नी के कहे अनुसार पड़ोसी ने ठीक वैसा ही किया, लेकिन पेड़ को काटते देखकर डायन बहुत ही क्रोधित हुई और फिर उसने उस पड़ोसी का वही अंत कर दिया. इस प्रकार उस पड़ोसी को अपनी लालची पत्नी के चलते जान गवानी पड़ी.  यह कहानी है राजस्थान में स्थित करण की है | करण नाम का गांव में बहुत गरीब आदमी रहा करता था जिसकी एक पत्नी और 10साल का एक  छोटा बेटा था | दुर्भाग्यपूर्ण, तबियत ख़राब होने की वजह से उसके बेटे की मौत हो जाती है

 

वह लड़का उन दोनों का इकलौता बेटा था जिसकी मौत से उन्हें बहुत ठेस पहुँचती है | करण और उसकी पत्नी बेटे की लाश को देखकर बहुत ज्यादा दुखी थे | पर आखिरकार बेटे की लाश को एक गांव के बाहर शमशान मेंदफना दिया गया ।

 

उसी गांव में एक तांत्रिक छुपकर रहता था पर उसके होने का पता पूरे गांव वालों को नहीं था | और वह तांत्रिक अभी जादू टोना सीख रहा था यानी वह भी तंत्र मंत्र सीखने की अपनी विद्या को बढ़ा रहा था ताकि वह कई प्रकार की जादू कर सके ।

 

लगभग उसकी तंत्र मंत्र की विद्या पूरी होने ही वाली थी केवल एक अंतिम पड़ाव बाकी था जिसमें उसको ऐसी शक्ति मिलने वाली थी जिससे वह तांत्रिक किसी के भी प्राण किसी दूसरे इंसान के मृत शरीर में डाल सकें या अपनी शक्ति द्वारा किसी मृत इन्सान को जिंदा कर सके और उसे अपने इशारे पर कुछ भी करा सकें |

 

अगर वो अपने शक्ति से किसी भी मुर्दे को जीवित कर दे और फिर अपनी शक्ति से उसके प्राणों को फिर बाहर निकाल दे तो उसकी तंत्र साधना पूरी हो जायेगी और वो सबसे शक्तिशाली तांत्रिक बन जाएगा |

 

पर इस आखरी तंत्र क्रिया को पूरा करने के लिए उसे एक मुर्दा लाश की जरूरत थी तो आखिरकार उस तांत्रिक को इस बात का पता चल गया कि एक छोटे लड़के की मौत हुई है और उसकी लाश को पास के शमशान मेंदफना दिया गया है ।

 

अब वह बस रात का अंधेरा होने का इंतजार कर रहा था | जैसे ही रात हुयी वो शमशान में गया और उसने नीचे खुदाई करना चालू कर दिया और फिर उस लड़के की लाश को बाहर निकाल दिया ।

 

उस लड़के का शरीर में बहुत ज्यादा मिट्टी लगी थी तो सबसे पहले उस तांत्रिक ने मृत लड़के के शरीर को पानी से नहलाकर साफ़ किया और पेड़ के सहारे बिल्कुल सीधा बैठा दिया | और अपने सारे तंत्र मंत्र का सामान उस मुर्दे लड़के के शरीर के आस पास रख दिया |

 

फिर वह कुछ दिये और अगरबत्ती जलाकर उस मुर्दे लड़के के शरीर के आस-पास रख देता है और फिर अपना जादू टोना तंत्र मन्त्र की क्रिया को चालू करता है | अगर वह इस तंत्र मंत्र की विद्या को बिल्कुल सही ढंग से पूरा कर लेता है और उस मुर्दे शरीर में कुछ समय के लिए प्राण डाल देता है तो उसका पूरा जादू टोना पूरा हो जाएगा और फिर वह सफलतापूर्वक शक्तिशाली तांत्रिक बन जायेगा |इस तंत्र मंत्र को करने के बाद उस तांत्रिक का प्लान था कि वह इस मुर्दे लड़के में प्राण डाल कर फिर से उसके प्राण निकाल दे और उस मुर्दे लड़के को जहां पर पहले था वही पर दफना दे ।

 

अब उसने अपनी तंत्र मंत्र की क्रिया को चालू कर दिया | हर तरफ रात की वजह से बहुत अंधेरा था तभी दूर से गांव के ही तीन लड़के दूसरे गांव से पार्टी मनाकर आ रहे थे । तभी उनकी नजर शमशान के पास कुछ चमकते हुए चीज पर पड़ी रात काअंधेरा होने की वजह से उन तीनो को रोशनी साफ साफ दिख रही थी आख़िरकार वो क्या चीज चमक रही है ये देखने के लिए वे तीनो थोड़ा आगे गए । अब वह तीनो एक पीपल के पेड़ के पीछे छुपकर खड़े होकर सारा नजारा देख रहे थे वह समझ गए थे कि एक तांत्रिक है जो कुछ तंत्र मन्त्र कर रहा है और उसके सामने एक मुर्दे लड़के की लाश है |

 

तभी उन्होंने ऐसा देखा जिसको देखकर वह तीनो दंग रह गए उन्होंने देखा कि तांत्रिक ने अपनी शक्तियों से कुछ ही देर में उस लड़के के शरीर को जिंदा कर दिया जो शरीर बहुत देर से मारा पड़ा था और अब हिल डुल रहा है

 

साथ ही उन्होंने देखा की अब वह लड़का अपनी आंखें भी खोल चुका था | तांत्रिक की शक्ति का नजारा देखकर तीनो हैरान और डर गए थे । उन तीनो को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें | तांत्रिक ने अपना तंत्र मंत्र लगभग सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था और खुशी के मारे लड़के के आसपास नाचने लगा था|तभी तीनो लडको में से एक लड़का भागते हुए गांव के अंदर गया और उसने जोर से हल्ला करना शुरू कर दिया ताकि सभी लोग बाहर आये उस लड़के ने गांव वालों को सारी बात बताई गांव वाले लाठी, डंडा, तलवार लेकर शमशान की ओर भागने लगे ।

 

वहां जाते ही गांव वालो ने तांत्रिक को मारना शुरू कर दिया उसके जितने भी जादू टोने के समान थे सबको तोड़ना फोड़ना शुरु कर दिया | लेकिन अभी भी उस तांत्रिक का तंत्र मंत्र पूरा नहीं हुआ था क्योंकि अभी भी उसको लड़के में से उसके प्राण को वापस निकालना था | जो संभव नहीं हो पाया |

 

सारे गांव वाले उस लड़के को देखकर भी हैरान थे | सबने फैसला किया कि उस तांत्रिक को मार दिया जाएगा पर उस लड़के के माता-पिता ने यह करने से रोक दिया ।

 

फिर उसने कहा कि इसने मेरे बेटे के अंदर फिर से प्राण डाले है इसीलिए इसको कोई कुछ नहीं करेगा | और उसको यह भी बोला कि अब से कभी भी इस गांव के अंदर वापस नहीं दिखना अब तुम ये गांव छोड़कर चले जाओ उसके बाद वो तांत्रिक गांव से चला गया इतनी थी कहानी ।

©Rakesh bhutiya kahani

bhutiya kahani #हॉरर

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Rakesh


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