कुछ याद किया, कुछ भूल गया!
जब उसने मुझे दुतकारा था,
जिदंगी से वैसे ही, मैं हारा था,
पहुँचा, मैं भी मयखाने में,
कुछ जाम पिया ;
कुछ याद किया, कुछ भूल गया!!
गानों की सरगम सुनता था,
कुछ याद किया, कुछ भूल गया!
जब उसने मुझे दुतकारा था,
जिदंगी से वैसे ही, मैं हारा था,
पहुँचा, मैं भी मयखाने में,
कुछ जाम पिया ;
कुछ याद किया, कुछ भूल गया!!
गानों की सरगम सुनता था,
Shrey Gaur
हम ख्वाब बड़े ही अनजाने सजाते है,
रातों में भी परछाईयां ढूंढते हैं!
हम दूर हो रहे लोगों से उनकी हरकते देख,
और लोग मुझे बावला कहते हैं!
यू तो मंजिल बहुत दूर है इस सफर में,
पर लोग हर पल उसका पता पूछते हैं! #Poetry
हम ख्वाब बड़े ही अनजाने सजाते है,
रातों में भी परछाईयां ढूंढते हैं!
हम दूर हो रहे लोगों से उनकी हरकते देख,
और लोग मुझे बावला कहते हैं!
यू तो मंजिल बहुत दूर है इस सफर में,
पर लोग हर पल उसका पता पूछते हैं! #Poetry