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dhirendradubey3081
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Dhirendra Dubey

story and poem writer

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Dhirendra Dubey

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Dhirendra Dubey

मधुर मधुर से सपनें तेरे।
मधुर ही है मिलन तेरा।
मधुर मधुर सी तेरी बातें।
मधुर ही है छुअन तेरा।
मधुर मधुर से नैना तेरे।
मधुर ही है नमन तेरा।
मधुर मधुर हैं गीत तुम्हारे।
मधुर ही है अधर तेरा।
मधुर मधुर ये प्रीति तुम्हारी।
मधुर ही है ये मन मेरा।
मधुर मधुर सा मिलन तुम्हारा।
मधुर ही है ये मन मेरा।
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Dhirendra Dubey

तुम रहती हो मेरी यादों में इस कदर,

जैसे रहता है दिल में कोई हमसफ़र।
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Dhirendra Dubey

बनारस के फंडा

          भाग-१
आओ हम सब चले बनारस।
शिव की माला जपे बनारस।
मन्दिरों का है शहर बनारस।
नदियों का है नगर बनारस।
मीठी बोली है बोले बनारस।
भांग धतूरा है घोले बनारस।
नगरों में है नगर बनारस।
बाबा-बाबा बोले बनारस।
              भाग-२
बनारस के पान ,बनारस के ठंढा।
बनारस के लाठी,बनारस के डंडा।
बनारस की साड़ी,बनारस के पंडा।
बनारस के बाबा,बनारस के झंडा।
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Dhirendra Dubey

ज़िन्दगी का सामना हँस कर करेंगे।
ज़िन्दगी अब प्यार हम तुझसे करेंगे।
प्यार ही संसार में अब बांटा करेंगें।
कुछ शिकायत अब नहीं तुझसे करेंगे।
सभी ज़िन्दगी की हसरतें  पूरी करेंगे।
ज़िन्दगी अब हम नहीं तुझसे डरेंगें।
मुझे बख़्श दे,चाहे तू कर देअब फ़ना।
ज़िन्दगी अब हम भी हँसकर मरेंगे। 
सह लिए अब ज़ुल्म तेरे भी बहुत।
अब तो हम घुट-घुट कर ना मरेंगें।
ज़िंदगी तेरा सामना हँस कर करेंगें।
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Dhirendra Dubey

Life and Breath हर रोज इक नया पाठ पढ़ाती है , जिन्दगी। 
हमें कुछ न कुछ नया सिखलाती है ,जिन्दगी। 
कभी रुलाती तो कभी हमको हँसाती है , जिन्दगी। 
बहुत छक -छक के हमको जिलाती है ,जिन्दगी। 
हर इक सांस में आती और जाती है ,जिन्दगी।
कितनें क़तर- ब्यौंत  कराती है , जिन्दगी। 
नए -नए गुड़ा -भाग कराती है , जिन्दगी। 
रिश्ते नातों से भी हरकत कराती है ,जिन्दगी। 
फिर भी प्राइमरी स्कूल सी रह जाती है, जिन्दगी।
आहिस्ता -आहिस्ता यूँ ही गुजर जाती है ,जिन्दगी। 
इक दिन खामोश हो जाती है ,जिन्दगी।  kavita

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Dhirendra Dubey

हर रोज इक नया पाठ पढ़ाती है , जिन्दगी। 
हमें कुछ न कुछ नया सिखलाती है ,जिन्दगी। 
कभी रुलाती तो कभी हमको हँसाती है , जिन्दगी। 
बहुत छक -छक के हमको जिलाती है ,जिन्दगी। 
हर इक सांस में आती और जाती है ,जिन्दगी।
कितनें क़तर- ब्यौंत  कराती है , जिन्दगी। 
नए -नए गुड़ा -भाग कराती है , जिन्दगी। 
रिश्ते नातों से भी हरकत कराती है ,जिन्दगी। 
फिर भी प्राइमरी स्कूल सी रह जाती है, जिन्दगी।
आहिस्ता -आहिस्ता यूँ ही गुजर जाती है ,जिन्दगी। 
इक दिन खामोश हो जाती है ,जिन्दगी। 
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Dhirendra Dubey

मिल रहे हैं नयन से नयन आज-कल।

मिल रहे हैं नयन से नयन आज-कल।
हो रही है चुभन पे चुभन आज-कल।
सील रहे हैं सपनें भी हम आज-कल।
मिल रहे हैं हमारे स्मरण आज-कल।
          तुम भी चलती रहो, मैं भी चलता रहूँ।
          दो किनारे नदी के भी चलते रहें।
          हो ही जायेगा सब कुछ समन ही,प्रिये।
          मिट ही जाएगी सारी कुढ़न ही प्रिये।
द्वीप जलता रहे,मन भी चलता रहे।
निभ ही जाएगी सारी रशम ही , प्रिये।

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Dhirendra Dubey

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Dhirendra Dubey

मिल रहे हैं नयन से नयन आज-कल।

मिल रहे हैं नयन से नयन आज-कल।
हो रही है चुभन पे चुभन आज-कल।
सील रहे हैं सपनें भी हम आज-कल।
मिल रहे हैं हमारे स्मरण आज-कल।
          तुम भी चलती रहो, मैं भी चलता रहूँ।
          दो किनारे नदी के भी चलते रहें।
          हो ही जायेगा सब कुछ समन ही,प्रिये।
          मिट ही जाएगी सारी कुढ़न ही प्रिये।
द्वीप जलता रहे,मन भी चलता रहे।
निभ ही जाएगी सारी रशम ही , प्रिये।
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