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sapanamishra9327
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Sapana Mishra

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Sapana Mishra

बस भावना में पिरोये कुछ शब्द.......

उस करुण क्रंदन चीख की जो मांँग रही अभयदान है।
उपमित करूं कैसे मुझे मिलता नहीं  उपमान  है।
हे भाई तेरी शांत-श्याम छवि बस मन-पटल पर छाई है ।
हा विधना कैसी एक रात अमावस बन कहर ढाई है।

तेरे मुख पर तेज, तेज में भी सौम्यता थी।
तेरे स्वर में ओज, ओज में भी मधुरता थी।
तू संत रूप धारकर संस्कृति का रखवाला था।
पर कैसे अधम जानवरों से पड़ा तेरा पाला था।।

जो कातर अश्रुपूरित नेत्रों पर तरस नहीं खाए।
घुटनों के बल बैठ कल्प जी जीवन के लिए गिड़गिड़ाये।
नर पिशाचों के हृदय में लहू की प्यास थी।
पीटा, राौंदा, कुचला, गोदा जब तक अंतिम सांस थी।

जब प्राण पलायन कर गए इतने से भी संतोष नहीं आया।
निर्मल,कोमल संत हृदय के आंखों पर कहर बरपाया।
क्या उन अधमों को शौर्य दिखाना था अपने बापों को।
जो सरिया लेकर फोड़ दिए निश्चल निरीह  उन आंखों को।।

‌ जो  रक्षक थे बन मौन वहां वर्दी की लाज बेंच डालें।
सम्मान देश करता जिनका,अपमान लाश का कर डालें।
कैसे भूलूँ मेरे भाई उन निर्मम बीभत्स नजारों को।
तेरी उन अल्हरी चीखों को उन पैने तेज औजारों को।।

मेरी आवाज है दीन- छीड़ सत्ता तक पहुंच न पाई है।
सीकर की रखवाली तो यहां बिल्ली के हाथ ही आई है।
है शपथ तेरी अंतिम दम तक मैं न्याय मांग कर लाऊंगी।
हो ब्रह्मलीन मिले आत्मशान्ति ऐसा मै वचन निभाऊंगी।।
🙏🙏✍सपना मिश्रा चांदा लंभुआ सुलतानपुर✍🙏🙏 #teachersday2020
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Sapana Mishra

इक्कीस दिवस की कैद हमें आशंकाओं से भर रही है ।
पूरी मानवता खतरे में ऐसा आगाह कर रही है।
चाइना, अमेरिका,इटली सब गुठनों पर खड़े रो रहे हैं।
इतराते अपनी प्रगति पर जो निर्बल असहाय दिख रहे हैं।
श्रद्धा, सुचिता,करुणा नकार अपसंस्कृित का दंभ भर रहे थे।
उस प्रकृति नियंता को नकार सब अहम्-अहम् कर रहे थे।
नित जीवन पथ अब है दुरूह पल-प्रतिपल डर की छाया है। 
एक जीवन रहित वायरस ने जीवन पर कहर बरपाया है।
उद्भव,स्थिति के हे स्वामी अब पुनः शक्ति संधान करो।
मानवता अब खतरे में है आकर इसका का उत्थान करो।।
  💐💐👏👏 सपना मिश्रा ✍🏻💐💐💐

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Sapana Mishra

फागुन शुक्ल की  पूर्णिमा तिथि को,सब सखी मिल होलाष्टक मनावँय।
सूखे गुलेरी के शाखा  काटिके, रंग बिरंग वसन से सजावँय।
गांव ,मोहल्ला ,नगर सब मिलकर घेरा बनाए के अग्नि छुआवँय।
रंग गुलाल अबीर उड़ाई के मित्र- अमित्र सनेह नहावँय।।
💐💐👏👏आप तथा आपके परिवार को होली की अनंत शुभकामनाएं👏👏💐💐

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Sapana Mishra

जिन हाथों से रोज मांँ, करती रही दुलार।
उन हाथों को चूम कर, हो जाओ भव पार।।

रंग बिरंगा रच दिया,माँ ने हैं संसार। 
जीवन के हर रंग से देती रही दुलार।।

खुद को सदा निचोड़कर, हमें पिलाया प्यार।
माँ जैसा कोई नहीं, दिखता जग में यार।।

मैं मेरा अस्तित्व सब,माँ का है वरदान।
ममता की छाया बिना, कुछ ना संभव जान।।
       सपना मिश्रा सुलतानपुर उ.प्र.💐💐👏👏💐💐

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Sapana Mishra

मन से है बड़ी विह्वल, तन से बड़ी चंचल है।
पगली संभाल  कैसे, छूटा  तेरा अंचल  हैं। 
परिधान  हरा तेरा , कुसुमित सा उपवन  है ।
मन मधुप हुआ मेरा,दिल में बढ़ी हलचल है।।
    💐 सपना मिश्रा सुल्तानपुर💐

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Sapana Mishra

कोमल सुगात एक ,शूल दूजा भ्राता।
फूल और काँटो का जन्मों का नाता।।

उद्भव एक बीज भ्रूण ,एक खाद पाता।
एक जल विन्दु पाकर डाल इठलाता।
लेकिन प्रकृति में बिल्कुल विपरीत हैं।
एक खुशी देता दूजा दर्द दे जाता।।

एक कोमल गन्ध युक्त दूसरा कठोर तीक्ष्ण।
एक प्रेम का प्रतीक  दूजा वेदना विधाता।
एक स्वयं मिटकर सुगन्ध है बिखेरता।
दूजा पोर-पोर से है कहर बरपाता।

जीवन में सुख दु:ख ही फूल और काँटे है।
ब्यक्ति के विवेक ने ही इनको है बाँटा।
हर कोई फूल चाहे काँटे न चाहे कोई।
किन्तु साथ नहीं छोडते हैँ ये सहोदर भ्राता।।
                                 सपना मिश्रा

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Sapana Mishra

कोमल सुगात एक ,शूल दूजा भ्राता।
फूल और काँटो का जन्मों का नाता।।

उद्भव एक बीज भ्रूण ,एक खाद पाता।
एक जल विन्दु पाकर डाल इठलाता।
लेकिन प्रकृति में बिल्कुल विपरीत हैं।
एक खुशी देता दूजा दर्द दे जाता।।

एक कोमल गन्ध युक्त दूसरा कठोर तीक्ष्ण।
एक प्रेम का प्रतीक  दूजा वेदना विधाता।
एक स्वयं मिटकर सुगन्ध है बिखेरता।
दूजा पोर-पोर से है कहर बरपाता।

जीवन में सुख दु:ख ही फूल और काँटे है।
ब्यक्ति के विवेक ने ही इनको है बाँटा।
हर कोई फूल चाहे काँटे न चाहे कोई।
किन्तु साथ नहीं छोडते हैँ ये सहोदर भ्राता।।
                                 सपना मिश्रा कोमल सुगात एक ,शूल दूजा भ्राता।
फूल और काँटो का जन्मों का नाता।।

उद्भव एक बीज भ्रूण ,एक खाद पाता।
एक जल विन्दु पाकर डाल इठलाता।
लेकिन प्रकृति में बिल्कुल विपरीत हैं।
एक खुशी देता दूजा दर्द दे जाता।।

कोमल सुगात एक ,शूल दूजा भ्राता। फूल और काँटो का जन्मों का नाता।। उद्भव एक बीज भ्रूण ,एक खाद पाता। एक जल विन्दु पाकर डाल इठलाता। लेकिन प्रकृति में बिल्कुल विपरीत हैं। एक खुशी देता दूजा दर्द दे जाता।।

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Sapana Mishra

माँ के गर्भ से बेटी की आवाज

माँ के गर्भ से बेटी की आवाज #nojotovideo

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Sapana Mishra

बेटी की पुकार

बेटी की पुकार

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Sapana Mishra

बसंती  लोकगीत

बसंती लोकगीत #nojotovideo

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