Nojoto: Largest Storytelling Platform
nojotouser1871269006
  • 7Stories
  • 2Followers
  • 32Love
    10Views

जितेन्द्र कुमार चंचल

  • Popular
  • Latest
  • Video
ef70f842443b6ea961a269424b508a5c

जितेन्द्र कुमार चंचल

ग़ज़ल

#Aurora

ग़ज़ल #Aurora #कविता

ef70f842443b6ea961a269424b508a5c

जितेन्द्र कुमार चंचल

"दो दो हाथ करने को"

          ✍ जितेन्द्र कुमार 'चंचल'

जलाई है मैंने  
इस अमावस की स्याह रात में
मुट्ठी भर-भर मोमबत्तियां 

जगाई है हमने  
मुट्ठी भर लोगों को 
कुंभ करणी नींद से 
उनकी झोपड़ियों को जलाकर 
धीमी हवाओं को धकेला है 
तूफान होने के लिए 

जेठ की दुपहरी में 
 तपती रेतों को
दोनों हाथों से उठाकर 
मला है अपने ललाट पर 

अंतस में उठती ज्वाला से 
जलाना चाहता हूं 
उन सबको 
जो जिंदा होने का 
भरते हैं दंभ

लाउंगा पकड़कर उन सबको 
जो मुर्दे बनने के करीब हैं 
जब तक कोई 
नहीं खींचता तुम्हारी अतड़ियों को 
तब तक तुम 
नहीं चाहते हो जागना

तुम कब तक अपना
सर्वस्व लुटाकर
अपने पर हंसते रहोगे ?
मुर्गे की बांग  सुनकर 
जगना भी कोई जगना है? 

अब समय आ गया है
कि तुम
अपने विचारों को
विस्तार होने दो
अपनी वैचारिक तलवार को चमकाओ
उसकी धार को तेज करो

तुम्हारे सारे अधिकार
मृत हो जाएं
इससे पहले
बजा दो क्रांति का बिगुल
हो जाओ तैयार
दो- दो हाथ करने को


©® जितेंद्र कुमार 'चंचल'

©जितेन्द्र कुमार चंचल
ef70f842443b6ea961a269424b508a5c

जितेन्द्र कुमार चंचल

#AzaadKalakaar हे समर के वो दिवाकर क्या तेज है रण में तेरा 
होकर फना सरहद पे तू नभ के सितारे हो गए हो 
तेरे समर्पण की बयाँ जब सुनता सारा जगत है 
जन-जन के हृदय बस गए सब के दुलारे हो गए हो

             ✍जितेन्द्र कुमार 'चंचल'
सभी देशवासियों को भारतीय स्वतंत्रता की 75 वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएँ

©जितेन्द्र कुमार चंचल #AzaadKalakaar
ef70f842443b6ea961a269424b508a5c

जितेन्द्र कुमार चंचल

आलोचना  अच्छा और बुरा दोनों।ये बात आलोचना सुनने वाले पर निर्भर करता है कि आलोचक की बातों को किस सेंस में ग्रहण करता है। जिस तरह से सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी प्रकार बातों के भी दो तरह के प्रभाव होते हैं।

©जितेन्द्र कुमार चंचल #Criticisms
ef70f842443b6ea961a269424b508a5c

जितेन्द्र कुमार चंचल

कविता

"अब इंसान पैदा नहीं होते"

*********************************

अब इस दुनिया में
पैदा होते हैं
हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, 
यहूदी, जैन, बौद्ध 
जो जकड़े होते हैं 
जन्म से ही एक कटीले खोल में

नहीं निकल पाते हैं
लाख हाथ- पैर मारने के बावजूद
क्योंकि
उनके आस- पास
धर्मांध प्राणियों का
होता है जमावड़ा
जो हमेशा बताता है
स्वर्ग और नरक जाने का सहज मार्ग  

करते हैं खून
कभी जात के नाम पर
कभी धर्म के नाम पर
कभी क्षेत्र के नाम पर
तो कभी रंग-भेद के नाम पर
पिपासा होती है
उनके अंदर 
एक दूसरे का खून पीने की

जंगली जानवरों की तरह
करते हैं अवसर की तलाश
मौका मिलते ही
एक दूसरे को चीर देने का
देखते रहते हैं ख्वाब
उनकी आँखें हमेशा 
होती हैं रक्तरंजित

मानवता, दया, क्षमा, करुणा
ये तमाम मौलिक शब्द
खो जाते हैं जन्म से ही
जो साबित करता है
कि इंसानों से
अब इंसान पैदा नहीं होते


✍.............. 
©®  जितेन्द्र कुमार 'चंचल'
         हसपुरा, औरंगाबाद
                   बिहार

©जितेन्द्र कुमार चंचल कविता
अब इंसान पैदा नहीं होते

#Love

कविता अब इंसान पैदा नहीं होते #Love

ef70f842443b6ea961a269424b508a5c

जितेन्द्र कुमार चंचल

पाँच शब्दों में बतायें 'साथ' क्या है?  मोह से मुक्त और स्वतंत्र

©जितेन्द्र कुमार चंचल #Support5Words
ef70f842443b6ea961a269424b508a5c

जितेन्द्र कुमार चंचल

पाँच शब्दों में बतायें 'साथ' क्या है?   मोह से मुक्त और स्वतंत्र

©जितेन्द्र कुमार चंचल #Support5Words


About Nojoto   |   Team Nojoto   |   Contact Us
Creator Monetization   |   Creator Academy   |  Get Famous & Awards   |   Leaderboard
Terms & Conditions  |  Privacy Policy   |  Purchase & Payment Policy   |  Guidelines   |  DMCA Policy   |  Directory   |  Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited

Follow us on social media:

For Best Experience, Download Nojoto

Home
Explore
Events
Notification
Profile