कुछ लिखने की चाह रखती हूं.. कुछ पढ़ने की चाह रखती हूं.. वक्त के साथ साथ..मैं भी बदलने की चाह रखती हूं.. ❤️❤️❤️❤️💝💝💖💔💕💕 पढ़ लेती हूं..अल्फाजो के फ़नकारों को इत्मिनान से.. कुछ समझ लेती हूं... दर्द ऐ गम उनका.. कुछ खुशियों में उनके...मैं भी खुश हो जाती हूं कभी लिख लेती हूं ..दरमियान ऐ हालात कभी यूं ही खामोश हो जाती हूं! कुछ-कुछ उतर जाती हूं शब्दों में.. कुछ कुछ खुद में ही रह जाती हूं!
deepti
117 Love
deepti
136 Love
deepti
143 Love
deepti
100 Love
deepti
111 Love
deepti
117 Love