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tusharvikramsing3459
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Tushar Vikram Singh"KISHAN "

चलो आज रात के उजाले में कुछ वक्त गुजारा जाए... दिन के अन्धेरों में तो कई साल गुजर गए...

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Tushar Vikram Singh"KISHAN "

खुद को भी मेहमान समझना पडता है... 
किस्से का उन्वान समझना पडता है... 
तू है तो फिर और खजाना क्या होगा... 
खुद को यूँ धनवान समझना पडता है... 
हूँ कितना मजबूर स्वयं मैं मत पूछो... 
उसको भी इन्सान समझना पडता है... 
नीयत में है खोट मगर हम क्या करते...
खुद को अब नादान समझना पडता है... 
लेते हैं अब लोग मजा बारीकी से... 
उसको भी सम्मान समझना पडता है... 
इतना तो आसान नहीं खुद से मिलना... 
महफिल को वीरान समझना पडता है... 

तुषार विक्रम सिंह "किशन" #sunlight
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Tushar Vikram Singh"KISHAN "

मेरे चेहरे की हंसी का सामान हो तुम... 
अधूरा ही सही मेरा अरमान हो तुम... 
होगे तुम कुछ भी दुनिया के लिए मालूम नहीं... 
मेरे लिए तो मेरी दुनिया जहान हो तुम... 
जब तक मेरे दिल में थे कोहिनूर थे मेरे लिए... 
अब मेरे लिए इक पत्थर के समान हो तुम... 
दिल से निकले हो तो पलकों पे कहाँ ठहरोगे... 
अब मेरी आँख में कुछ दिन के मेहमान हो तुम... 
हाँ ठीक है गुरूर खुद पर मगर इतना भी नहीं... 
तुम्हें नहीं लगता की इन्सान हो तुम... 

तुषार विक्रम सिंह "किशन"

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Tushar Vikram Singh"KISHAN "

मेरे किरदार के रंगों को अदा मत समझो... 
बेशक गम में हूँ मगर गमजदा मत समझो... 
ये जो पल पल में करते हो मेरे वजूद का फैसला... 
मैं इक तूफान हूँ मुझे बस हवा मत समझो... 
हो गर मंजिल का शौक तो रास्तों से यारी करो... 
मैं भी इक रस्ता हूँ मुझे मंजिल का पता मत समझो... 
मिट्टी का बना हूँ तो कुछ कमियाँ भी होगीं यकीनन... 
मुझे इन्सान ही रहने दो खुदा मत समझो... 

तुषार विक्रम सिंह "किशन"

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Tushar Vikram Singh"KISHAN "

बीच मझधार में भी किनारा मिले... 
मेरे मालिक जो तेरा इशारा मिले... 
हो भी मुश्किल उसे तो कोई गम नहीं... 
जिसको सीधे "किशन" का सहारा मिले... 

तुषार विक्रम सिंह "किशन"

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Tushar Vikram Singh"KISHAN "

तेरी यादें मेरे जहन में यूँ जमी सी है... 
माहौल गरम है पर आँखों में नमी सी है... 
इतने शोर में मेरे अंदर का सन्नाटा बता रहा है... 
हो न हो आज फिर तेरी कमी सी है... 

तुषार विक्रम सिंह "किशन"

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Tushar Vikram Singh"KISHAN "

Alone   मेरा तो कुछ भी है ही ना,, 
                              मुझे डर भी ना कुछ खोने का... 
है बात तुम्हारी बड़ी बड़ी,,
                               मुझे हक भी दो तुम रोने का... 
अच्छा ना सही तो बुरा सही,, 
                                  मेरे बारे में तो सोचते हो... 
मेरा सबसे बड़ा सबूत यही,, 
                                दुनिया में जिन्दा होने का...



तुषार विक्रम सिंह "किशन" #alone
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Tushar Vikram Singh"KISHAN "

मैं लाचार तो नहीं फिर ये लाचारी क्यों है... 
मेरी सांसों में अजब सी बेकरारी क्यों है... 
अपने दुख से नहीं दूसरों के सुख से जलते हैं लोग... 
ऐ मालिक तेरे बन्दों में ये बीमारी क्यों है... 
मौत से डर कर जिन्दगी मांग रहा है इन्सान... 
इस जमाने में हर शख्स भिखारी क्यों है... 
मैं नहीं पसंद था तो पहले ही किनारा कर लेते...
मेरे ऊपर तेरी इतनी तरफदारी क्यों है... 
कभी तुम तो परेशान नहीं होते मेरे रोने से... 
फिर मुझे इतनी फिकर तुम्हारी क्यों है...

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Tushar Vikram Singh"KISHAN "

बात कुछ तो हो आखिर में बताने के लिए... 
प्यार होना भी चहिये प्यार जताने के लिए... 
मेरे इख्तियार में नहीं हैं खुदा के वसूल सारे वरना... 
दुनिया सर रख देती तेरी अकीदत में झुकाने के लिए... 
मुझपे ऐतबार करके कुछ तो बोला होता... 
मैं हद से गुजर जाता इक तुझको पाने के लिए... 
और ये कैसी जंग जीतने निकले हैं हम... 
 सारा जमाना खड़ा है इक मुझको हराने के लिए...

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Tushar Vikram Singh"KISHAN "

जो चला गया उसे जाने दो, बेकार में उसे बुलाना क्या... 
जो कहना था वो कह लिया, अब आँसू और बहाना क्या... 
अपनी इन सुर्ख निगाहों से, कितनों को चखना चूर किये... 
फिर नजर गडाये बैठे हो, अब मैं हूँ तेरा निशाना क्या... 
वो शहर जहाँ हम मिले कभी, मैं अब भी वहाँ आ जाता हूँ... 
तुम याद न आओ इस डर से, अब छोड़ दूँ आना जाना क्या... #Society
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Tushar Vikram Singh"KISHAN "

जतन सब कुछ किये फिर भी, न उसके पास हो पाया... 
वो बातें कर सके दिल की, न इतना खास हो पाया... 
कसूर उसका नहीं, थे रास्ते बिल्कुल अलग उसके... 
रखा खुद को जगह उसकी, तब ये अहसास हो पाया... 

तुषार विक्रम सिंह "किशन"

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