है फकीर हूँ राह का,
कोही फिकर ना है अंजाम की ?
जब राह से मंजिल तक निकला हूँ
तो क्या मजाल है उस कंबकत -ऐ -आहट की
जो तोड़ ना सके जो रूह का भी है खाव्ब
जिध- ऐ-खोफ लेके आया हूँ , किस्मत को ऐलान करने आया हूँ ...
Rajesh Roundhal
Rajesh Roundhal
Rajesh Roundhal
My poem in Hindi...
है लहू की पूकार है
क्या बंदे तु तैयार है ?
अब आजादी की शाम भी बीती है
जश्न की आतीष-बाजी थम चुकी हैं
रोशनीयोंके दीप बुझ चुके हैं
Rajesh Roundhal
" If you choose me for lust
I am the worst...
Love me till the dust of life
And I'll give you the best for life "