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bhagatsingh1759
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Bhagat Singh

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Bhagat Singh

White बांधा बंधन प्रेम ने,भाई-भगिनी बीच
घर ले आता बहिन को,रक्षाबन्धन खींच।।

©Bhagat Singh
  #raksha_bandhan_2024
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Bhagat Singh

 

रोशनी से धुंध टकराती रही

जिंदगी यूंहि चली जाती रही

छांव ना,पर छांव जैसी धूप में

मृग-तृष्णा झील बन आती रही

©Bhagat Singh
  #PhisaltaSamay
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Bhagat Singh

चाँद की धरती से दूरी,दूरी ना रह जाएगी 

चाँद पर भी टूर आने वाली पीढ़ी जाएगी  

सूर्य से लोचन मिलाने चल दिए है 

आदित्य को एल 1 बिताने चल दिए है 

संभावना की हर दिशा प्रस्थान देखो

ब्रह्मांड में,भारत का बढ़ता मान देखो

©Bhagat Singh
  #chandrayaan3
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Bhagat Singh

 

मही का प्रज्ञान चंद्रज्ञान लाएगा 

आज खुद घूमेगा कल, इंसा घुमाएगा  

चंद्रपथ का पथ सुगम अब हो रहा है 

नव स्वपन के बीज भारत बो रहा है

भरसक प्रयासो से हुआ निर्माण देखो

ब्रह्मांड में,भारत का बढ़ता मान देखो॥

©Bhagat Singh
  #chandrayaan3
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Bhagat Singh

चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर खड़ा विक्रम

इसरो का फैला रहा चहु ओर परचम

प्रज्ञान पहिए सोम पर ज्यों ही विचरते   

प्रतिद्वंदियों के माथे भय से स्वेद झरते

विश्व भी है ले रहा संज्ञान देखो 

ब्रह्मांड में,भारत का बढ़ता मान देखो॥

©Bhagat Singh
  #chandrayaan3
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Bhagat Singh

तल पग जमाए सोम,चंद्रयान देखो

ब्रह्मांड में,भारत का बढ़ता मान देखो

हाथ लगती निराशा,आशा में बदली

हार के पथ पर,खड़ी थी जीत अगली 

सोया हुआ सौभाग्य,अब तो जग चुका है 

इसरो का अग्निबाण अब तो चल चुका है

पुरातन का नव हुआ उत्थान देखो

ब्रह्मांड में,भारत का बढ़ता मान देखो॥

©Bhagat Singh
  #chandrayaan3
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Bhagat Singh

अपने अपने सिर पर सब,

अदृश्य बोझ ले चलते

मन में सपने और आशा,

बिन खाद और पानी पलते

बिन खाद और पानी पलते,

सपनों में सपना एक जगता 

खुद का जैसे ही बोझ बढ़े,

दूजे का हल्का लगता

©Bhagat Singh
  #GoldenHour
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Bhagat Singh

बिटिया ने जब चाँद को ताका
चाँद थमा पत्तों से झाँका 
चाँद अकेला दूध सा गोला
तकती आँखों से यूं बोला
स्वपन सलोने सदा संजोना 
तय करना जग का हर कोना 
आसमान की ओर निहारे 
आगे चलती बिटिया पीछे चाँद चले 
बिटिया माने चाँद है उसका
बस उसके चलने से ही तो चाँद चले
चाँद की चिड़ियाँ सदा घूमती
सागर की लहरों को दूर से लगा गले
लहरें आए जाए गुरुत्व से 
बिटिया के पैरों पर मोती सीप मले
एक दिन बिटिया चाँद पे बैठी
नारंगी धरती को देख मुस्काएगी
उछल उछलकर चाँद पे चल 
धरती पर भी एक चाँद का टुकड़ा लाएगी॥

©Bhagat Singh
  #MoonShayari
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Bhagat Singh

गिर गिर कर उठने की कोशिश में हर बार गिरा वो था
राह में आती हर मुश्किल से बेशक हर बार डरा वो था
पर हर ठोकर‌ के बाद भी रुक मंजिल से आंख मिलाई थी
गिरने को गिरा पर उठ हरदम गिरने को मात दिलाई थी
भगत सिंह

©Bhagat Singh

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