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सुरेश सारस्वत

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सुरेश सारस्वत

White अभी वो पल दूर है
क्षितिज सा दूर-सुदूर
अभी मन वाचाल है 
हर क्षण आतुर बतियाने को
मगर सच इतना है कि
अभी तो प्रथम आहट है
चाहत की गुनगुनाहट है
शब्द-भाव.....
लय-प्रवाह......
सुर-ताल .......
बहुत कुछ साधना है
दो ढाई आखर का खेल नहीं है प्रेम 
ये शब्द समंदर से कम नहीं
उतरना है गहरे गहरे ....
तल-अतल के अनन्य सत्य अद्भुत है...
सतह की हलचलों से अविचलित
शांत ...शांत....शांत....
प्रेम की अनंतता में लय है  शान्ति की 
स्वच्छंद...पूर्ण मुक्त करती हुई
निवृत....अंतस की समस्त हलचलों से
सहज स्पंदन प्रवाह
सतह से अतल तक ....
एकात्म...एकाकार...एकरूप....
मौन...चुप...निःशब्द....शांत....
यही तो है शाश्वत प्रेम....

©सुरेश सारस्वत
  #good_night_images
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सुरेश सारस्वत

White जब भी ठहरी उदासी मेरे चेहरे पर
सच की आगोश में जो छिपा सच कहा 
कभी बर्फ़ सा मैं जमा आंसू बन 
कभी बारिशों संग बूंद बन कर बहा
कभी रोम रोम, खोया खामोश बन
कभी तार तार, बिखरा चुभता रहा
कभी ढूंढता रिश्तों को तन्हाई में 
कौन मेरी सदा, कौन मुझमें रहा
चुप्पियों में छिपा, चुप्पियों से कहा
दर्द का दोस्त कौन पूछता मैं रहा
बारिशों में रूहानी कहानी सा मैं
मैं समंदर, समंदर ठहरा ठहरा बहा

©सुरेश सारस्वत
  #sad_shayari
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सुरेश सारस्वत

White कुछ रात की खुमारी है
नए ख्वाब की शुमारी है ।
कहने को नाम है हसरतें
सब चाहतें वो तुम्हारी है ।
जो हैं बातें राजे ज़िन्दगी
हमने सभी वो संवारी है ।
तन्हाइयों में जो गूंज है
वो ही शक्ल तो उभारी है ।
जो बरस रहा है आंखों से
रूहानी प्रेम कहानी है ।
हमसे जुड़ा है जो हमनवां
सांसों में खुश्बू उतारी है ।
अब जिंदगी मुश्किल नहीं
दिन रात संग गुज़ारी है ।
सायों को सच ये कह दिया
पहचान अपनी पुरानी है ।

©सुरेश सारस्वत
  #love_shayari 
कुछ रात की खुमारी है

#love_shayari कुछ रात की खुमारी है #शायरी

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सुरेश सारस्वत

हे परमेश्वर...हे पूर्णेश्वर..
हे ज्ञानेश्वर... हे ध्यानेश्वर...
हे भावेश्वर... हे दिव्येश्वर..
हे प्राणेश्वर शंभो शिवाय...2

ध्यान संग जब गूंजे राग
बांध संग मन ऊंचे राग
राग भैरवी में तू पुकार
हे परमेश्वर शंभो शिवाय...

गंग चेतना के संग जाग
मन संगम बन भोर प्रयाग
दिव्य कलरव अनहद गान
हे पूर्णेश्वर शंभो शिवाय...

तू ही अनंत की राह दिखाए
तू ही सकल का सत्य बताए
तू ही जगा मन शाश्वत ज्ञान
हे ज्ञानेश्वर शंभो शिवाय...

तू है मुझमें ये तो मैं जानूं
किस बिध तुझको मैं पहचानूं
मन चाहे बस तेरा ध्यान
हे ध्यानेश्वर शंभो शिवाय...

पल पल स्वयं से रीत रहा हूं
हार हार मन जीत रहा हूं
शून्य भाव से चिर संधान
हे भावेश्वर शंभो शिवाय...
 
शिष्य भाव से बन तू अर्जुन
नित्य भाव में बोध निरंजन
दिव्य साधना कर मन सर्जन
हे दिव्येश्वर शंभो शिवाय...

©सुरेश सारस्वत
  #Sunrise 
हे प्राणेश्वर शंभो शिवाय

#Sunrise हे प्राणेश्वर शंभो शिवाय #कविता

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सुरेश सारस्वत

मनमोहना मनमोहना , यही नाम है बस तेरा 
मुस्कान भरता खोलता, यही नाम है बस तेरा 

मंद मंद मन उपवन में उड़ने लगते जब भ्रमर 
गूंजता और गुनगुनाता  गीत नाम  है बस तेरा 

मृदुल मन गहराईओं में महकता मनमोहना 
मर्म मन के खोलना ....यही काम है बस तेरा  

मोह पाश में बांध कर निर्मुक्त करता भ्रम से तू  
मुक्त मन को बांधना ....यही काम है बस तेरा 

मृत्यु दर्पण का दिखाकर पुष्ट करता मैं का मर्दन 
मोक्ष दर्शन हो प्रति पल ....यही काम है बस तेरा

©सुरेश सारस्वत #Krishna
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सुरेश सारस्वत

अनंत पुष्प जब खिले एक साथ हो 
दिव्यता भरी सजी मुस्कान साथ  हो 

सौम्य सौम्य मंद मंद चाँद रात हो 
मूँदे हो नयन खिला मन में चाँद हो 

मंत्र मुग्ध मन में बिखरा उजास हो 
गुनगुनाती रात में मुस्कान साथ हो 

ख्वाबो में बस तेरा ही एक ख्वाब हो 
ज़िंदगी का खूबसूरत तेरा  नाम हो 

मन जिसे जपता हर सुबह-शाम हो 
मुस्कान ही मुस्कान सबके साथ हो

©सुरेश सारस्वत #delicate
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सुरेश सारस्वत

इक खामोशी साथ खड़ी है
इक खामोशी अलग खड़ी 
बीच में  चुपचुप वक़्त खड़ा 
कौन बताये किसकी घडी
रोशनी रिमझिम बरसी थी
कैसे थम गई बरखा झड़ी
कदम कदम हैं किस्से खड़े
किसने कहानी झूठी गढ़ी
अज़ब गज़ब सायों के चेहरे
कद  छोटा परछाई बड़ी

©सुरेश सारस्वत #raindrops
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सुरेश सारस्वत

ध्यान मेरा मुझसे अब जुड़ने लगा है
मूंद कर आँखें चेहरा दिखने लगा है
गहरे गहरे जब भी तलाशता हूं ज़मीं 
कोई आस्मां से नीचे उतरने लगा है
धुंआ धुंआ हो रहा अंधेरों का सामां
कोई रोशन जलवा बिखरने लगा है
मौजूद मुझमें हैं अपने सभी मौजू
कोई रूहानी ख्याल बसने लगा है 
हर लम्हा साथ रहने की चाहत में
संग रहने का इरादा बदलने लगा है 
बदल रहा है मन ख़ुद से गहरा पूरा 
परत - परत अंदाज खुलने लगा है

©सुरेश सारस्वत #meditation
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सुरेश सारस्वत

अमावस्या है
अंधेरी रात है
चुपचाप मौन साथ है
कितनी अजीब बात है
रोशनी भरी है चुप्पियों संग 
मगर नज़र में भरा अंधकार है
बात दर्द या ज़ख्म छिपाने की नहीं
खुद को सच बताने की है
आज मौनी अमावस्या है 

चुप चुप रहना है ...
खुद से खुद को कहना है...
वो हर बात जो गुत्थियों में रही
गांठों में उलझती रही 
रिश्तों के मौन भ्रम जाल बुनती रही
खोल दो... खोल दो...
मौन दरवाज़े...
सुनो...दस्तक रोशनी की ...
मौनी अमावस्या है
एक नई सुबह अंतर की

©सुरेश सारस्वत #Path
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सुरेश सारस्वत

कुछ रात की खुमारी है
नए ख्वाब की शुमारी है
कहने को नाम है हसरतें
सब चाहतें वो तुम्हारी है
जो बातें राज ए ज़िन्दगी
हमने सभी वो संवारी है
तन्हाइयों में जो है गूंजती
वो ही शक्ल तो उभारी है
जो बरस रहा है आंखों से
बारिश की प्रेम कहानी है
हमसे जुड़ा है जो हमनवां
सांसों में खुश्बू उतारी है
जिंदगी मुश्किल नहीं
दिन रात संग गुज़ारी है
सायों को सच ये कह दिया
पहचान अपनी पुरानी है

©सुरेश सारस्वत #Red
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