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ऋषिराज शास्त्री

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ऋषिराज शास्त्री

🔥 ओ३म् 🔥
ऋतस्य पन्थां न तरन्ति दुष्कृतः। 
ऋग्० ९.७३.६
दुष्ट लोग सत्य के मार्ग 
पर नहीं चलते।
The wicked travel not the 
path of truth. #Morning
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ऋषिराज शास्त्री

वृत्तेन हि भवत्यार्यो न धनेन 
न विद्यया।
―(महा० भ०)
आचरण से ही आर्य होता है 
धन और विद्या से नहीं।
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ऋषिराज शास्त्री

न भयमुत्पादयेत् ।
-(च० सू० ८/१९)

किसी को भयभीत नहीं 
करना चाहिए।
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ऋषिराज शास्त्री

ईश्वर: सर्वभूतानाम हृद्देशे तिष्ठति।
―( गीता )
ईश्वर प्राणी मात्र के हृदय में अन्तर्यामी रुप से स्थित है।
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ऋषिराज शास्त्री

पुरुषार्थ, उत्साह, ईश्वर-भक्ति 
और धैर्य इन चार गुणों को आपत्ति में भी नहीं त्यागना चाहिए, जो व्यक्ति इनका त्याग नहीं करता,सफलता पाता है ।

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ऋषिराज शास्त्री

शत-शत प्रलोभनों के बीच भी जिस दिन आप अपनी आजीविका के 
भ्रष्ट और अपवित्र साधनों को 
ठुकरा देंगे, उस दिन आपकी 
साधना अपने चरम
बिन्दु पर होगी।

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ऋषिराज शास्त्री

मैडम-उस इमारत का नाम बताओ जो विश्वभर में 
प्रेम के प्रतीक के रूप में प्रसिद्द है ।

समूची कक्षा , जो 90% हिंदु छात्रों से भरी थी , 
एक साथ पुकार उठी , " आगरा का ताजमहल "

तब एक छात्र खड़ा हुआ और कहा ,"मैडम जी ,विश्वभर में प्रेम के प्रतीक के रूप में"रामसेतु"प्रसिद्द है, जिसे श्रीराम ने अपनी प्रिय पत्नी श्री सीता जी की रक्षा हेतु अहंकार से गरजते समुद्र की छाती पर बनवा डाला था,और फिर सेना सहित उस पुल से होते हुए लंका पर आक्रमण कर रावण का कुलसहित मर्दन कर अपनी प्रिय पत्नी को सकुशल वापिस ले आये। श्रीराम ने सेतु बाँधने वाले वानरों के हाथ नही काटे,बल्कि प्रेमसहित उन्हें अयोध्या ले गए 
ये प्रेम है !
आज पहली बार टीचर की आंखें खुली!
लेकिन.......
क्या हमारी आंखें भी खुली?
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ऋषिराज शास्त्री

🔥 ओ३म् 🔥
सनातनमेनमाहुरुताद्य स्यात् पुनर्णवः -(अथर्व० १०/८/२३)

प्रभु सबसे पुरातन है,पर आज
 भी वह नया है।
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ऋषिराज शास्त्री

आत्मभैषज्यमात्मकैवल्यमोङ्कारः। 
(गो० ब्र० पूर्व १।प्र० ३० क० में)

ओंकार आत्मा की चिकित्सा और आत्मा को मुक्ति देनेवाला है।
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ऋषिराज शास्त्री

🔥ओउम्🔥
सनिष्यसि क्रतुं नः।।
(ऋ.४.२०.३)

हे परमेश्वर!तू हमें उत्तम प्रज्ञा,
बुद्धि,आत्मज्ञान और कर्म
शीलता प्रदान कर।।
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