कभी कभी साथ होते हुए भी अकेला क्यों लगता है,
कभी कभी बात होते हुए भी ख़ामोश सा क्यों लगता है।
यूं तो उम्र के हर एक पड़ाव पर बदलते है लोग,
पर कभी कभी वो बेवजह बदला हुया सा क्यों लगता है।।
Aakash Tomar
जो पूरा नही हुआ, वो ख्वाब बन गया
अधूरा ही सही पर वो बेहिसाब बन गया।
ना जाने किस बेहोशी में था जिंदगी भर
होश आया तो मैं एक मज़ाक बन गया।
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खराब कहो, शराब कहो, अब होठो से जो लगाई है।
होस ना रहा, भूल गया उसे भी इस हद तक पिलाई है।।
रात गयी, सवेरा हुया, एक बात जहन में आई है।
भुला नही गुस्ताखी थी मेरी, याद नही वो मेरी परछाई है।।
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