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vikasrawal1872
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Vikas Rawal

फिलहाल बनारस में है, यहाँ से गुज़रे तो मिलते हुए जाइयेगा।

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Vikas Rawal

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Vikas Rawal

 कविता- चलते रहो, चलते रहो.. चलते रहो।

हमारे वेदों का मूल सन्देश इन दो शब्दों में समाहित है....ऐसा मुझे लगता है। ये दो शब्द है चरैवेति चरैवेति। अर्थात चलते रहो चलते रहो।
यह जो कविता मैंने लिखी है, मेरी पहली कविता है। वर्ष 2013 में गहन निराशा के क्षणों में पहुंचने के बाद जब मैंने परिस्थितियों से हार मान ली थी तब किताबें पढ़ना और लिखना मेरे लिए उम्मीद की किरण बनकर आया। तो यह कविता जिसका शीर्षक है "चलते रहो चलते रहो" एक प्रेणादायक कविता है जबकि इसकी रचना निराशाजनक परिस्थितियों में हुई है। हरिवंश राय

कविता- चलते रहो, चलते रहो.. चलते रहो। हमारे वेदों का मूल सन्देश इन दो शब्दों में समाहित है....ऐसा मुझे लगता है। ये दो शब्द है चरैवेति चरैवेति। अर्थात चलते रहो चलते रहो। यह जो कविता मैंने लिखी है, मेरी पहली कविता है। वर्ष 2013 में गहन निराशा के क्षणों में पहुंचने के बाद जब मैंने परिस्थितियों से हार मान ली थी तब किताबें पढ़ना और लिखना मेरे लिए उम्मीद की किरण बनकर आया। तो यह कविता जिसका शीर्षक है "चलते रहो चलते रहो" एक प्रेणादायक कविता है जबकि इसकी रचना निराशाजनक परिस्थितियों में हुई है। हरिवंश राय #Poetry

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Vikas Rawal

happy new year☝ यह 31 दिसम्बर 2017 साल का आखिरी दिन है। सुबह के 11 बजकर 50 मिनट हो चुके है और मैं अभी तक सो रहा हूँ। जब थोड़ी देर बाद नींद से जागता हूँ तो खुद को थका हुआ महसूस करता हूँ।
बिस्तर से निकलने का मन नहीं करता है और सोचता हूँ कि कुछ देर और सो जाऊँ। बहुत देर तक लेटे रहने के बावजूद नींद नहीं आती है तब मैं अपना फ़ोन उठा लेता हूँ और देखता हूँ कि बीस के करीब नोटिफिकेशन, सत्रह हैप्पी न्यू ईयर के मैसेजेस और तीन मिस्ड कॉल है। मै सभी नोटिफिकेशन चैक करता हूँ, मेसेजेस के रिप्लाई करता हूँ और मिस्ड कॉल्स को नजरअंदाज

यह 31 दिसम्बर 2017 साल का आखिरी दिन है। सुबह के 11 बजकर 50 मिनट हो चुके है और मैं अभी तक सो रहा हूँ। जब थोड़ी देर बाद नींद से जागता हूँ तो खुद को थका हुआ महसूस करता हूँ। बिस्तर से निकलने का मन नहीं करता है और सोचता हूँ कि कुछ देर और सो जाऊँ। बहुत देर तक लेटे रहने के बावजूद नींद नहीं आती है तब मैं अपना फ़ोन उठा लेता हूँ और देखता हूँ कि बीस के करीब नोटिफिकेशन, सत्रह हैप्पी न्यू ईयर के मैसेजेस और तीन मिस्ड कॉल है। मै सभी नोटिफिकेशन चैक करता हूँ, मेसेजेस के रिप्लाई करता हूँ और मिस्ड कॉल्स को नजरअंदाज #Quotes

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Vikas Rawal

 प्यार तो ऐसा ही होता है💛

जिंदगी अनिश्चित है,इसमें कभी भी कुछ भी हो सकता है,मगर प्यार...वो तो इस जिंदगी से भी दो कदम आगे है। ये कब होता है,किससे होता है और क्यों होता है,आज तक समझ में नहीं आया है।
जिंदगी और प्यार इन दोनों को ही समझने की पहली कोशिश मैंने बनारस में की है। इस शहर में जन्म-मृत्यु उतनी ही सहज है,जितना कि सुबह में जगना और रात को सो जाना सहज है। यह शहर हर चीज से मुक्त करता है,लेकिन खुद एक बन्धन हो जाता है। एक ऐसा बंधन जिससे मुक्ति संभव नही है। यह बंधन बनारस की हवाओं में बहते संगीत का ह

प्यार तो ऐसा ही होता है💛 जिंदगी अनिश्चित है,इसमें कभी भी कुछ भी हो सकता है,मगर प्यार...वो तो इस जिंदगी से भी दो कदम आगे है। ये कब होता है,किससे होता है और क्यों होता है,आज तक समझ में नहीं आया है। जिंदगी और प्यार इन दोनों को ही समझने की पहली कोशिश मैंने बनारस में की है। इस शहर में जन्म-मृत्यु उतनी ही सहज है,जितना कि सुबह में जगना और रात को सो जाना सहज है। यह शहर हर चीज से मुक्त करता है,लेकिन खुद एक बन्धन हो जाता है। एक ऐसा बंधन जिससे मुक्ति संभव नही है। यह बंधन बनारस की हवाओं में बहते संगीत का ह #Poetry

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Vikas Rawal

मुझे पता है तो सिर्फ इतना,
कि मैं और तुम यानी कि हम,
कभी साथ हुआ करते थे।
जब तुम सुबह जैसी लगती थी,
और हम शाम हुआ करते थे। मुझे नहीं पता,
मैंने तुम्हें आखिरी बार कब देखा, 
कहाँ देखा और किस हाल में देखा।

मुझे पता है तो सिर्फ इतना,
आज भी जब मैं खुद में झांकता हूँ,
तो वहाँ तुम्हें ही पाता हूँ।
जब शाम को खुद से खाली होता हूँ,

मुझे नहीं पता, मैंने तुम्हें आखिरी बार कब देखा, कहाँ देखा और किस हाल में देखा। मुझे पता है तो सिर्फ इतना, आज भी जब मैं खुद में झांकता हूँ, तो वहाँ तुम्हें ही पाता हूँ। जब शाम को खुद से खाली होता हूँ, #Poetry

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Vikas Rawal

ये सब क्या कर रहा हूँ मैं। तेरी जुल्फों के साये में बहुत दिनों तक रहा हूँ मैं, अब हटाओं इन्हें मेरे चेहरे से, दिखता नहीं,धूप को तरस रहा हूँ मैं। जब दिल किया तो दिल लगा लिया, जब मन किया तो दूर हो गई, #Poetry

ये सब क्या कर रहा हूँ मैं। तेरी जुल्फों के साये में बहुत दिनों तक रहा हूँ मैं, अब हटाओं इन्हें मेरे चेहरे से, दिखता नहीं,धूप को तरस रहा हूँ मैं। जब दिल किया तो दिल लगा लिया, जब मन किया तो दूर हो गई, #Poetry

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Vikas Rawal

my last day in benaras
-A letter to the holy city varanasi☝ प्रिय बनारस,
6 जून, 2017 ये केवल एक तारीख नहीं है। एक तरफ यह वो दिन है जब मैं यहाँ पर आखिरी बार हूँ, वहीं दूसरी तरफ यह एक नई शुरुआत लिए हुए हैं। एक तरफ तीन बरस का सुनहरा अतीत है और एक तरफ बेहतर भविष्य की योजनाएं हैं। जब मैं यहां आया था तो बस अपनी पढ़ाई का एक हिस्सा पूरा करने आया था...और...और ये आज पूरा हो चुका हैं, इसके लिए खुश हूँ।
तो फिर ऐसा क्या है जो ये सब लिखनें को मजबूर कर दे रहा???
इसके पीछे कोई एक वजह नहीं बल्कि वजहों का पूरा समूह है और वो समूह है...तुम....बनारस।
बनारस तुम मेरे लिए बस एक

प्रिय बनारस, 6 जून, 2017 ये केवल एक तारीख नहीं है। एक तरफ यह वो दिन है जब मैं यहाँ पर आखिरी बार हूँ, वहीं दूसरी तरफ यह एक नई शुरुआत लिए हुए हैं। एक तरफ तीन बरस का सुनहरा अतीत है और एक तरफ बेहतर भविष्य की योजनाएं हैं। जब मैं यहां आया था तो बस अपनी पढ़ाई का एक हिस्सा पूरा करने आया था...और...और ये आज पूरा हो चुका हैं, इसके लिए खुश हूँ। तो फिर ऐसा क्या है जो ये सब लिखनें को मजबूर कर दे रहा??? इसके पीछे कोई एक वजह नहीं बल्कि वजहों का पूरा समूह है और वो समूह है...तुम....बनारस। बनारस तुम मेरे लिए बस एक #Books

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Vikas Rawal

अप्रेम पत्र।

क्या तुम्हें पता है कि तुम स्टुपिड गर्ल हो। तुम बहुत बोलती हो। कभी-कभी तो बिल्कुल बेमतलब का। अपने पर बड़ा घमंड करती हो। थोड़ी ज़िद्दी भी हो। सोचती हो कि सब लोग वैसा ही करे जैसा सिर्फ तुम चाहती हो। मुझे इन सब में से तुम्हारी एक भी बात पसंद नहीं हैं। 
लेकिन तुमसे बात करते हुए एक दिन मैंने जाना कि तुम यह सब नहीं हो। अब इतने दिनों बाद जब मैं तुम्हें काफी हद तक जान गया हूँ तो मैं कह सकता हूँ कि इस स्टुपिड लड़की के भीतर एक बेहद समझदार लड़की मौजूद है और यह मैंने तुमसे कई बार बात करते हुए महसूस

अप्रेम पत्र। क्या तुम्हें पता है कि तुम स्टुपिड गर्ल हो। तुम बहुत बोलती हो। कभी-कभी तो बिल्कुल बेमतलब का। अपने पर बड़ा घमंड करती हो। थोड़ी ज़िद्दी भी हो। सोचती हो कि सब लोग वैसा ही करे जैसा सिर्फ तुम चाहती हो। मुझे इन सब में से तुम्हारी एक भी बात पसंद नहीं हैं। लेकिन तुमसे बात करते हुए एक दिन मैंने जाना कि तुम यह सब नहीं हो। अब इतने दिनों बाद जब मैं तुम्हें काफी हद तक जान गया हूँ तो मैं कह सकता हूँ कि इस स्टुपिड लड़की के भीतर एक बेहद समझदार लड़की मौजूद है और यह मैंने तुमसे कई बार बात करते हुए महसूस #Books

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Vikas Rawal

सबसे प्यारी केदारनाथ सिंह की एक कविता कि-
"उसका हाथ
 अपने हाथ में लेते हुए मैंने सोचा
 दुनिया को
 ‎हाथ की तरह गर्म और सुंदर होना चाहिए।" 
- यूपी 65 उपन्यास से। हर शहर का अपना वजूद होता है। हर शहर की अपनी आत्मा होती है। बनारस की भी अपनी आत्मा है,बल्कि यों कहिये की बनारस आत्माओं का शहर है। और शहर भी कैसा! एकदम जिंदा शहर;पता नहीं कितने ही हजार सालों से है। कहने वाले तो यहाँ तक कह गए है कि ये इतिहास से भी पुराना है।तो इसी जिंदादिली को बरकरार रखती है निखिल सचान की 'यूपी 65' नाम की यह किताब।
अगर जिंदगी एक किताब है तो निखिल सचान के अनुसार बनारस उनकी जिंदगी का सबसे ख़ूबसूरत चैप्टर है। जैसे दिल्ली की भीड़ में हर कोई खुद को खो देता है,वैसे ही बनारस की गलियों में ह

हर शहर का अपना वजूद होता है। हर शहर की अपनी आत्मा होती है। बनारस की भी अपनी आत्मा है,बल्कि यों कहिये की बनारस आत्माओं का शहर है। और शहर भी कैसा! एकदम जिंदा शहर;पता नहीं कितने ही हजार सालों से है। कहने वाले तो यहाँ तक कह गए है कि ये इतिहास से भी पुराना है।तो इसी जिंदादिली को बरकरार रखती है निखिल सचान की 'यूपी 65' नाम की यह किताब। अगर जिंदगी एक किताब है तो निखिल सचान के अनुसार बनारस उनकी जिंदगी का सबसे ख़ूबसूरत चैप्टर है। जैसे दिल्ली की भीड़ में हर कोई खुद को खो देता है,वैसे ही बनारस की गलियों में ह #Books

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Vikas Rawal

कल रात, फिर से शाम आई थी,
मैं फिर से तन्हा था,
तुम फिर से याद आई थी। कल रात,फिर से शाम आई थी,
मैं फिर से तन्हा था,
तुम फिर से याद आई थी।

कल रात, फिर से शाम आई थी,
बातों की पोटली,
यादों का पिटारा और एक धुंधला चेहरा,
अपने साथ ले आई थी।

कल रात,फिर से शाम आई थी, मैं फिर से तन्हा था, तुम फिर से याद आई थी। कल रात, फिर से शाम आई थी, बातों की पोटली, यादों का पिटारा और एक धुंधला चेहरा, अपने साथ ले आई थी। #Poetry

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