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upasanasaxena8507
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Upasana Saxena

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Upasana Saxena

अहसास और उनके निणार्यक..!!! 

डर है कोई, तो डर ही रहने दीजिये 
अहसास है जो, उसे अहसास ही रहने दीजिये...!! 
नहीं है कोई ज़रुरत, वक्त-बेवक्त-हर-वक्त, मजबूत बने रहने की..!! 
जो कुछ भी अंदर टूट रहा है, बिखर जाने दीजिये.. 
बिखर जाने दीजिये, कि, फिर से संभल जायें, 
संभल जाने दीजिये, कि, फिर से संवर जायें..!! 
आंसू और डर को, समझते हैं अगर कमज़ोरी किसी की, 
यकीन मानिए, , आपसे बड़ा कायर नही कोई..!! 
हालात जो भी थे , संभालने की कोशिश उसने भी की होगी...!! 
रख कर काबू खुद पर, ख्यालों की आंधी भी मोड़ी होगी..!! 
जो सूनामी उसने महसूस की थी, पल भर के लिए ही सही, 
आप उस वक्त की आंधी भी महसूस नहीं कर पाये..!! 
महफ़िल में उसके अहसासों की करके चर्चा, 
यूँ खुद ही इंसानियत को चुनौती मत दीजिये..!! 
अहसास है जो, उसे बस अहसास ही रहने दीजिये..!!

©Upasana Saxena #pandemic_and_sufferings .
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Upasana Saxena

कर दिया ना उसे अकेला..!! 
आखिर क्या चाहा था उसने..?? 
प्यार के बदले प्यार, सम्मान के बदले आत्मसम्मान..?? 
बस इतनी सी ही तो बात थी न..?? 
हिंदी सी सरल ही तो थी वो... 
क्यूँ तुमने उसे गणित सा उलझा दिया.?? 
उसे शायद झूठ पसंद नहीं था, 
या शायद हर बार तीक्ष्ण से शब्द उसे पसंद नहीं थे..??
या हर बार, अनगिनत सवाल उसे पसन्द नहीं थे..?? 
ये वही सवाल हैं, जिनसे हर लम्हा वो गुज़र रही है..!!! 
बस इतनी सी ही बात थी न..?? 
और कर दिया न उसे अकेला..?? 
जब सबको उससे शिकायतें थी, 
किसी महफ़िल में उसके न होने से नाराज़गी थी, 
कभी सोचा तुमने, वो खुद से ही जूझ रही थी...?? 
वो जूझना उसका शारीरिक था, या मानसिक था.. 
कभी कोशिश की जानने की...??? 
और इस सवाल के साथ ही, कर दिया न उसे अकेला..!!! 
पर,उसे न शिकायत है किसी से, और न ही कोई नाराज़गी,
अफ़सोस रहेगा उसे, हर उस लम्हे का, 
जब उसने हर किसी के व्यवहार, हालात, और संघर्ष के
हर इक पहलू को समझा था..!!! 
अफ़सोस रहेगा उसे, इन सूनी राहों का, 
जिसपे अकेले चलना, उसने बेमन से स्वीकार कर ही लिया था..!! 
आज तक खुद के लिए उसने कुछ मांगा ही नहीं था, 
आज दुआ में वो शीश अपना झुकाती है, 
और इबादत में, आंसुओं को समर्पित करती है, 
रब से गुज़ारिश बस इतनी ही है, 
आने वाली ज़िन्दगी में, शिकायत और नाराज़गी नहीं,
सिर्फ प्यार, सम्मान और सच्चे रिश्तों से 
ये जिंदगी उसकी गुलज़ार करना..!!

©Upasana Saxena #CloudyNight
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Upasana Saxena

शुक्रिया... 
उन सबका शुक्रिया,
 जिन्हें जब मेरी ज़रूरत थी, 
मुझे आवाज़ लगाई, और ज़रूरत खत्म होते ही भूल गये.. 
शुक्रिया...मुझे मेरी काबिलियत से फिर से रुबरु करवाने के लिए.. 
हो सके तो मेरा वो वक्त लौटा दीजिये..!! 
उन सबका शुक्रिया, 
जिन्होंने भरी महफ़िल में, मज़ाक बखूबी उड़ाया है मेरा, 
शुक्रिया, ये याद दिलाने के लिए,
 कि, मुझे जरूरत नहीं थी वहाँ रुकने की.. 
हो सके तो, महफ़िल में उठते ठहाकों की वजह बदल लीजिए, 
कर्मों का हिसाब यहीं होना है, 
कल कहीं आप ही हंसी के पात्र न बन जायें..!! 
शुक्रिया उन सबका, 
जिन्हें बेहिसाब मुझसे शिकायतें हैं, 
शुक्रिया, यह अहसास दिलाने के लिए, 
कि ज़रुरत उन्हें मेरी कभी थी ही नहीं, 
अगर ज़रूरत होती तो, शिकायत नहीं की होती, 
और अपनाया होता मुझे मेरे हर अंदाज में..!! 
शुक्रिया, उन सबका जो जान के भी अनजान बन गये, 
आपने यकीन मेरा फिर से मुकम्मल कर दिया, 
कि, हर दर्द को अपनी मुस्कुराहट से छुपाने का हुनर है मुझमें..! 
शुक्रिया, मुझे याद दिलाने के लिए, 
कि, अब खुद के बारे में सोचने का वक्त आया है, 
शुक्रिया, यह याद दिलाने के लिए, 
कि, जहाँ अपनी ज़रूरत नहीं है, वहाँ जाना ही नहीं है..!! 
शुक्रिया, यह याद दिलाने के लिए, 
कि, यह ज़िन्दगी मेरी ज़िम्मेदारी है..!! 
शुक्रिया....!!

©Upasana Saxena शुक्रिया...

शुक्रिया... #कविता

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Upasana Saxena

रात के अंधेरे में, उसे सिसकते देखा है मैंने , 
माँ है वो मेरी, 
हर बार सबके लिए खड़ा देखा है उसे मैंने..!! 
बरसों से पापा का साथ निभाते देखा है मैंने, 
घर की हर रस्म को दिल से निभाते देखा है मैंने, 
माँ है वो मेरी, 
पिछले कुछ वक्त से, उसे खुद से लड़ते देखा है मैंने..!! 
पूछती हूँ उससे जब भी मैं, 
माँ, बता न क्या हुआ है, क्या सोचती है इतना, मुझे बता ना 
माँ है वो मेरी, 
कभी कभी मेरी गोद में वो सिर रख लेती है.!! 
कहती है वो मुझे, साइकोलॉजिस्ट बनने की ज़रूरत नहीं है
बेटी है तू मेरी, माँ बनने की ज़रूरत नहीं है, 
पर बेटी उसी की हूँ न मैं, 
मेरी ज़िद के आगे हार जाती है वो, 
प्यार से जो उससे हर बार पूछूँ
अपने दिल की हर बात कह देती है वो मुझसे..! 
याद है मुझे, मेरे बचपन में, एक वही तो थी जिसने इशारों में मुझसे कभी बात नहीं की, 
संयम रख मुझसे बात करने वाली वही तो थी बस..!! 
फिर आज उसे मैं कैसे छोड़ दूं, 
वो रोये किसी और की वजह से, और मैं जाने दूं??? 
माँ है वो मेरी, 
लड़ना पड़ेगा उसके लिए तो लड़ूंगी , 
बुरा बनना पड़े अगर तो मंजूर है, 
मेरी हस्ती उससे ही शुरू, उसपे ही खत्म है..!! 
याद रहे, वो मेरी माँ है, और उसकी बेटी "मैं" हूँ.

©Upasana Saxena माँ है वो मेरी..!!

माँ है वो मेरी..!!


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