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दो पल का शायर
घटती है सांसें वक्त-बेवक्त हर दम,फिर भी लगा रहता है हर शख्स अपना कोई एक पल खुशहाल और यादगार बनाने की खातिर फिर हम क्यों ना रस्ता करें रौशन एक-दूसरे का बनकर दिया और बाती,ताकी जलकर बुझने के बाद भी दुनिया हम सब को याद करें...!
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