तुम्हारी भी आज़ादी उन अर्बन आवारा कुत्तों जैसी है
तुम आज़ाद हो
अर्बन गायों की तरह
जो दर बदर भटकती हैं
थन में दूध भरती हैं
दो पैरों में मालिक की भूख, बच्चे की पढाई,
स्वास्थ्य के दायित्व की बेड़ी है
आदमी सबसे कम उसीकी परवाह क्यों करता हैं ? जिससे वो सबसे ज्यादा प्रेम करता है ।
आखिर ए कैसा जीवन है?
जहाँ सुबह जागते हीं ,
काम मे ब्यस्त हो जाना।
कभी कंप्यूटर के संसार में तो ,
कभी ऑफिस के काम में ।
कभी टीवी में तो ,
कभी फ़ोन में।