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shaummyamani3234
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moh (Manjari)

poetry, Actress (Theatre)

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moh (Manjari)

तुम्हारी आज़ादी भी उन अर्बन आँवारा कुत्तों जैसी है

©moh (Manjari) तुम्हारी भी आज़ादी उन अर्बन आवारा कुत्तों जैसी है 

तुम आज़ाद हो
अर्बन गायों की तरह
जो दर बदर भटकती हैं 
थन में दूध भरती हैं
दो पैरों में मालिक की भूख, बच्चे की पढाई, 
स्वास्थ्य के दायित्व की बेड़ी है

तुम्हारी भी आज़ादी उन अर्बन आवारा कुत्तों जैसी है तुम आज़ाद हो अर्बन गायों की तरह जो दर बदर भटकती हैं थन में दूध भरती हैं दो पैरों में मालिक की भूख, बच्चे की पढाई, स्वास्थ्य के दायित्व की बेड़ी है

12 Love

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moh (Manjari)

ज़ब लड़कियां शहर से गाँव जाती हैं एक 
जब शहर से लड़कियां गांव जाती हैं 
तो कितना कुछ बदल चूका होता है 
वो पगडंडियां जिसपे वो बमुश्किल से 
साईकिल चलाकर स्कूल जाया करतीं थी 
अब वो पक्की सड़क में बदल चुकी है 
अब नहर सूख गई है उसमें घास उग आये हैं 
और उसके किनारे के जमीन को

एक जब शहर से लड़कियां गांव जाती हैं तो कितना कुछ बदल चूका होता है वो पगडंडियां जिसपे वो बमुश्किल से साईकिल चलाकर स्कूल जाया करतीं थी अब वो पक्की सड़क में बदल चुकी है अब नहर सूख गई है उसमें घास उग आये हैं और उसके किनारे के जमीन को

9 Love

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moh (Manjari)

सूख गए है नीर नयन में
अब कितना तड़पाओगे
बोलो ना 
तुम कब आओगे ?

 Moh Manjari #Missing

3 Love

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moh (Manjari)

मैं जानती हूँ
 एक कोना मेरा भी है 
 तेरे दिल में।
पर मैं नहीं रह सकती ,
तेरे दिल के एक कोने में।
मुझे रहना है
 तेरे पूरे दिल में ठाठ से 
एक सेठानी की तरह।

 Moh Manjari #First_Meeting
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moh (Manjari)

आदमी जिसे सबसे ज्यादा प्रेम करता है
सबसे कम उसी की परवाह क्यों करता है? आदमी सबसे कम उसीकी परवाह क्यों करता हैं ? जिससे वो सबसे ज्यादा प्रेम  करता है ।
आखिर ए कैसा जीवन है? 
जहाँ सुबह जागते हीं ,
काम मे ब्यस्त हो जाना।
कभी कंप्यूटर के संसार में तो ,
कभी ऑफिस के काम में ।
कभी टीवी में तो ,
कभी फ़ोन में।

आदमी सबसे कम उसीकी परवाह क्यों करता हैं ? जिससे वो सबसे ज्यादा प्रेम करता है । आखिर ए कैसा जीवन है? जहाँ सुबह जागते हीं , काम मे ब्यस्त हो जाना। कभी कंप्यूटर के संसार में तो , कभी ऑफिस के काम में । कभी टीवी में तो , कभी फ़ोन में।

4 Love

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moh (Manjari)

अब अपने हीं लोगो से 
जो अपने होनें का दिखावा तो करते हैं ,
पर अपने नहीं होते ।
डर लगता है उस इंसान से जो,
इंसान के रूप में एक भेड़िया है 
जो मौके कि तलाश में रहता है कि,
कब उसे मौका मिले और वो हमें नोच खाए।
अब अपने हीं घर में डर लगता है ।।

2 Love

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moh (Manjari)

देखा है मैंने उसे
 सब सहेजते हुए 
सँभालते हुए 
कभी यादों को सहेज के,
 किसी बक्से में बंद करती है।
तो कभी 
नाजुक स्थिति में,
 खुद को संभालती है।
कभी बची हुई रोटी को ,
अपनी थाली में सजाती है।
तो कभी घर में,
खाली डिब्बे जोड़ती है ।
 कभी थैलियां मोड़ती है
कभी टूटे हुए बटन टांकती है 
वो उस रिश्ते को भी संभालती है जो ,
उसे हमेशा तकलीफ देता है ।
वो उम्मीद के आखिरी छोर तक, 
सहेजती है ,संभालती है ,ढंकती है ,बांधती है।
उसके बिना मकान कभी घर नहीं बन पाता ।
बिन स्त्री के कोई मकान घर नहीं कहलाता ।।

1 Love

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moh (Manjari)

तुम थके नहीं ?
अपनी नाकामयाबी छुपाते छुपाते ।
कब तक खुद को 
कामयाब साबित करने के लिए ,
दूसरों को नाकामयाब बताओगे ।
एक वक़्त आएगा 
ज़ब तुम अपनी नाकामयाबी
 छुपाते छुपाते थक जाओगे ।
तब तक वो सब कामयाब हो गए होंगे 
जिनको नाकामयाब कहने में
 तुमने अपना वक़्त बर्बाद किया 
और तुम फिर दूसरों को ,
नाकामयाब कहने मे लग जाओगे ।
तब तक सबको पता चल चूका होगा 
तुम्हारी नाकामयाबी का 
शायद तुम्हें भी।

1 Love

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moh (Manjari)

कुछ याद भी है 
कितना अच्छा था न ज़ब हम छोटे थे 
तब शायद तुम मेरे थे ।
कितनी बार मैंने तुमको तुमने हमको,
 बचाया था माँ की फटकार से।
तुम्हारे लिए सबसे ज्यादा मैं मायने रखती थी 
तुम मेरे हीरो थे ।
कितना प्यार था हमारे बीच। 
झूठ सही कुछ नहीं पता था
 बस देना था एक दुसरे का साथ ।
हर मुश्किल में हम पकड़े रहते थे
एक दूजे का हाथ ।
आज भी तुम्हें उतना हीं प्यार है हमसे 
पर आज तुम्हारे ऊपर ढेर सारी जिम्मेदारीयाँ हैं 
समाज ,रिस्तेदार यह सब देखना है तुम्हें
तुम अब बड़े हो गए हो और समझदार भी ।
मैं अब भी तुम्हारे लिए गुड़िया हीं हूँ 
तुम्हारी प्यारी गुड़िया लेकिन ,
अब तुम बड़े हो गए हो नां 
अब तुम्हें बहुत कुछ लेकर चलना होता है 
अब उस गुड़िया की तकलीफ 
नहीं समझ सकते तुम क्योंकि ,
अब सच में तुम उसे गुड़िया मान चुके हो 
बेजान पर चाभी वाली गुड़िया
 जिसकी चाभी तुम्हारे हाथों में है 
तुम बड़े क्यों हो गए ? #Biggest_fear
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moh (Manjari)

तुम्हारे आने में देर लगती है लेकिन ,
चले तुम जल्दी जाते हो ।
तुम्हारे इन्तजार में मैं,
जिन्दा लाश बन जाती हूँ ।
मैं सबसे मिलकर भी मिल नहीं पाती क्योंकि,
मैं शरीर से यहाँ और आत्मा से तुम्हारे पास होती हूँ ।
दो हिस्सों में बांट देते हो तुम मुझे 
ना मैं तुममें हो पाती हूँ ना मुझमें।
लगाई रहती हूँ आश कि ,
कब तुम आओगे और कब मैं पूरी हूूँगी?

Moh Manjari #Biggest_fear
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