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Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat इस झिरी से दिखती है दुनियां कमसिन, वाकई क्या असलियत में भी आईना होती है क्या दुनियां पलछिन ©️ जज़्बात ए हर्षिता #lifequotes #zindagikasafar #realityoflife #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat इस झिरी से दिखती है दुनियां कमसिन, वाकई क्या
Vishalkumar "Vishal"
"पुछे घट के राम प्रभु..." जब छल कपटी धुर्त मिथ्या अभीमानी रावण मारा गया । जब व्याभिचारी, अनाचारी अत्याचारी रावण मारा गया । वो दुराचारी महाबलशाली दशानन रावण जब मारा गया । तब हमसे पुछे घट के राम प्रभु अब फिर से रावण क्यों मारा जाए? .....✍️ विशालकुमार "विशाल" ©Vishal kumar "Vishal" Read caption- जिन बुराईयों का अंत किया जा चुका हैं उन्हीं बुराईयों से अब तक युद्ध लडा ही जा रहा हो तो फिर मन के घट पर यह सवाल है कि वाकई क्य
Anupam Chhama Srivastava
Aakanksha Tyagi
गर के मेरे दोस्त, ये देशभक्ति ही ना होती ना होती ये सरहदे, ना होती ये जंग सरहदो पर बन्दूको के बजाय, होती दिलो कि बरसात देशभक्ति के बजाय, गर पढ़ते हम मानव भक्ति तो वाकई क्या होती देशभक्ति? Read full post in caption👇 गर के मेरे दोस्त, ये देशभक्ति ही ना होती ना होती ये सरहदे, ना होती ये जंग सरहदो pr बन्दूको के बजाय, होती दिलो कि बरसात देशभक्ति के बजाय, गर
AakankshaTyagispeaks
गर के मेरे दोस्त, ये देशभक्ति ही ना होती ना होती ये सरहदे, ना होती ये जंग सरहदो पर बन्दूको के बजाय, होती दिलो कि बरसात देशभक्ति के बजाय, गर पढ़ते हम मानव भक्ति तो वाकई क्या होती देशभक्ति? Read full post in caption👇 गर के मेरे दोस्त, ये देशभक्ति ही ना होती ना होती ये सरहदे, ना होती ये जंग सरहदो pr बन्दूको के बजाय, होती दिलो कि बरसात देशभक्ति के बजाय, गर
Pradyumn awsthi
कुछ इंसानों का पूरा जीवन इसी भ्रम में निकल जाता है की "मैं जानता हूं" लेकिन ऐसे लोग इस गलत भ्रम के चक्कर में कुछ जान ही नहीं पाते हैं ।जो इस भ्रम से बाहर है वही कुछ जान सकता है। अगर बाकई में जीवन में बहुत कुछ सीखना चाहते हैं तो हमेशा स्वयं एक जिज्ञासु विद्यार्थी बनकर रहें । यदि कोई इंसान खुद को विद्वान और अकलमंद समझने लगे तो समझ जाइए की उस इंसान के ऊपर उसका ज्ञान हावी हो चुका है बस इसके अलावा और कुछ भी नहीं । ©Pradyumn awsthi #क्या वाकई में
Kavi Hari Shanker
क्या तुम वाक़ई ऐसे थे ? टूट गईं वो उम्मीदें जो तुमसे लगाए बैठे थे हम नादान बड़े थे तुमको दिल से लगाए बैठे थे। खेद यही कि भेद न जाना भेद छुपाए बैठे थे मैं बैठा अब सोच रहा हूं क्या तुम वाक़ई ऐसे थे ? ©Hari Shanker Kumar #क्या तुम वाकई ऐसे थे ?
RJ Mahi
बंदिशे वो नही जो तुम्हे भौतिक रूप से बांधे कुछ मानसिक बंदिशे भी होती हैं बस उन्हें ढूंढना और खत्म करना होता हैं तभी सही मायने में तुम आजाद हो। ©RJ Mahi क्या वाकई तुम आजाद हो?