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Ishvarchand vidyasagar
वक़्त घड़ी की सुईओं के साथ बीत रहा था, और एकाएक मुझे एहसास हुआ कि उसे हमें छोड़कर कही दूर चले जाना चाहिए विद्यासागर
Madhur Bhaiji
डगमग मैं जिस भव सागर में उस सागर की तू शान है, मैं कश्ती कच्ची कागज की पर तू विशाल जलयान है। हो मोक्ष पंथ के राही तुम इतनी अर्जी बस सुन लेना, हमको भी पार निकलना है कुछ हम खेते कुछ तुम खेना ।। ✍ मधुर भाईजी विद्यासागर
Madhur Bhaiji
डगमग हम जिस भवसागर में उस सागर की तुम शान हो मैं कश्ती कच्ची कागज की पर तुम विशाल जलयान हो तुम मोक्षपंथ के राही हो इतनी अर्जी बस सुन लेना हमको भी पार निकलना है कुछ हम खेते कुछ तुम खेना ✍ मधुर भाईजी विद्यासागर महाराज
V Gurjar
ये जीवन बड़ा रंगीन बताया । न जाने कहाँ गए वो रंग जो देखे ही नही।। अपनी जन्दगी के कुछ रंग उड़ गए । तो कुछ देखे ही नही ।। कैसा बेरंग है जीवन, फिर भी जिंदगी बड़ी रंगीन है ।। ©V Gurjar जीवनी की कलम ।। #standAlone
Nirankar Trivedi
मेरे संघर्ष की कहानी मेरे जीवन की भी संघर्ष कहानी भिन्न रही, जैसे पाषाणो पर पेड़ उगाना उससे भी कुछ भिन्न रही | मैं जल हूँ और बहना मेरा काम रहा, कुछ दूरी चलने पर ही जीवन में एक मोड़ रहा | इतना भटका इतना भूला चलना कितना भूल गया, सीधे पथ पर भी मैं सीधा चलना भूल गया | मंजिल भी मिल जाती थी पर रुकना उस पर भूल गया, मिला हमेशा पथ पर चलकर ये भी कहना छूट गया | जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ संघर्ष भी उतना बड़ा हुआ, जिद थी मेरी लड़ने की संघर्षों से मैं बड़ा हुआ | #मेरे संघर्ष की कहानी मेरी जीवनी
Deepak Kurai
गौतम बुद्ध यह एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं, जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। 29 वर्ष की आयुु में सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए । वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए। कई ग्रंथों में यह मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है. ©Deepak Kurai #BuddhaPurnima2021 गौतम बुद्ध की जीवनी #जीवन