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Shailendra Anand
भावचित्र ्् निज विचार ्् ््शीर्षक ्् ््मन की व्यथा ्् सुंदर रचना सुंदर लेखन रचना है ,, संवरचनाकी से कलम दवात कागज पर लिखकर चित्र बहुत दिल में उतर गया। मेरे मित्र आपके जस्बात से जन्मा विचार सच है,, धन्यवाद् राम में ही आवृत्ति प्रवृत्ति निरन्तर प्रगति विरोध समर्थन दोनों ही आनंद दे सकता है ।। मैं सोच रहा हूं, मैं आपके साथ खड़ा हूं। मसला मक्ता जेहन से अपना रिश्ता अनमोल वचन क्षण पल है ,, सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार अमर उजाला है।। मन खटृटा करने से कुछ बिगड़ने वाला नहीं है,, आप आगे बढ़ो हम दिलों से सजाया गया, भाव भंगिमा इच्छा शक्ति प्रेम शब्द ग़ज़ल में , एक स्वर पुकार नाद प्रेम शब्द है ।। राम नाम सुखदाई है तो देश दुनिया सुनती हैं,, आनंद भयो जग में जगदीश्वरी मां शब्दों में।। ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्् 22,, नवम्बर 2024 ©Shailendra Anand आज का विचार ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
आज का विचार ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
read moreShailendra Anand
रचना दिनांक,,,17,,, नवम्बर,,,2024,, वार,,, रविवार समय,, सुबह ्््पांच बजे ््््निज विचार ््् ््््भावचित्र ््् ्््छाया चित्र बहुत सुंदर सुबह सुबह सुर्य उदय और अस्त के बीच एक मनमाना जीवंत बम्ह कर्म भूमि वर्चस्व कायम जीवन कर्म भूमि, मुक्ति मोक्ष कारकं दिव्य ज्योति प्रकट हुए जीवन सफल बनाएं ््् ्््््् ््््सच तो सच है वह अदभुत है जो धरती पर नहीं अखिल विश्व में सबसे विश्वसनीय है,, लेकिन किन्तु परन्तु मैं जिंदगी में सनातन विचार एक कल्पवृक्ष है।।1 ।। जिसकी यशगाथा में अनेकानेक अध्यात्मिक गुरु गुरुवर्य आराध्यमं पुज्यं बृहस्पति,, और असूर गुरु रसायन शास्त्र ज्ञान संजीवनी बूटी लक्ष जलचिकित्सा जप धनवंतरी पूजणऔषधीय गुणान्चा जीवन में शुक्राचार्य कई असूरेन्द़ राजा महाराजा इस धरा पर प्रतापी आये गये।।2 ।। और कई धर्मावलंबी सम़ाट सतयुग, त्रेता युग,व्दापरयुग में अवतरित देवत्व प्रगट या प्राकट्य हुऐं है ््,, कुछ अवतार में भगवान परशुराम जी ,कपिल, मुनि, महावीर स्वामी, गौतम बुद्ध, ऐसे अनेक उदाहरण है।।3 ।। जो धरती पर साकार लोक में एक जीवंत ईश्वरीय शक्ति पूंज नमो नमः अस्ति जलशायिने जलमध्ये वराह,मत्स्य, कच्छप, नृसिंह अवतार,, त्रेतायुग में ,और अग्नि देव यज्ञ फलमं से हविष्य खीर से त्रिभागं दशरथ भार्या बसूनामष्टमस्य कौशल्या,सुमित्रा,कैकयी रानियों में हविष्यत्रिभागं जन्म महोत्सव सुंदर कारणं धर्म कर्म मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम रघुवंश ।।4 ।। वरदान ब़म्ह देव प्रसाद रावणं कुंभकर्ण मेघनाद,प्रृथ्वीतले परिभ़मणं लोककल्याणं नरलीला जनमानस में एकात्मकता समरुपता से सजाया गया।।5 ।। जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है,, यही कर्म भूमि वर्चस्व है जो आया है।।6 ।। धरती पर उसे मृत्युलोक से जाना ना कोई संदेश है ,, ना कोई बहाना है यही ईश्वर सत्य का आख्यान संहिता में खजाना है।।7 ।। निज विचार । ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ©Shailendra Anand Entrance examination भक्ति वीडियो ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
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