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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। अबके फागुन मीत मिलेंगे... छेड़ रही सब सखियां कहके , उर में है आनंद । हो जायेंगी फिर तो देखो , सभी किवाडियाँ बंद ।। छलक रहा है मुख मंडल पे , आज खुशी का रंग । अबके फागुन मीत मिलेंगे.... मिलकर तुमसे यूँ ही होंगे , अपने गाल गुलाल । नही रहेगा अधर हमारे , कोई सुनो सवाल ।। तब ही बदले जीवन में फिर , सुन जीने का ढ़ंग । अबके फागुन मीत मिलेंगे.... चहक उठेगा मन मेरा ये , महक उठेगा अंग । दशो दिशा शहनाई गूँजें , और बजेंगे चंग ।। उठते पैर उधर पड़ते हैं, जैसे पी ली भंग । अबके फिगुन मीत मिलेंगे.... अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। ०९/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। अबके फागुन मीत मिलेंगे... छेड़ रही सब सखियां कहके ,
Bhoomi
शिव ही शक्ति है और शक्ति ही शिव है.. शिव को खोजने जो निकले तो कण - कण में बसे शिव है.. शिव ही सबका मूल है और अनंत भी शिव है.. शिव में ये ब्रह्मांड समाया तो शिव ही, हर और हैं .. शिव ही सत्य, शिव ही सुंदर शिव ही सबके प्राण हैं । 🌺🌺 ( महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं 🙏 ) ©Bhoomi #mahashivaratri #Shiva #शिवशक्ति
Dharatri Jena
Na स्वार्थ है, ना कोई बंधन! Na निरादर है, ना तिरस्कार! इनके Prem से न किसका मेल, ना प्रेम है कोई Khel! अनंत है जिनका Raag, ShivShakti हैं एक दूसरे ke संपूर्ण Bhaag! ©Dharatri Jena #शिवशक्ति 🕉️🔱🪄 #ShivShakti🕉️🔱🪄
Niaz (Harf)
Congratulations to all ©Niaz (Harf) ✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰ ╭━━━━━━━━━━━╮ #Alfaaz-e-Sukoon(harf) ╰━━━━━━━━━━━╯ ✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰ ────────────────────── मित्रों, नमस्कार/आदाब #Alfaa
lets.explore91
ये दुनिया की सबसे अलग ही प्रेम कहानी है, जिसमें महलों की रानी, वैरागी शिव की दीवानी है। ❤️❤️❤️ ©lets.explore91 शिवशक्ति❤️❤️
अदनासा-
Ravendra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- जुर्म उसने तो यहाँ देखो किया कुछ भी नही । फैसला हक में कभी उसके हुआ कुछ भी नही ।।१ हैं दिखावे की अदालत फैसला कुछ भी नही । यह वकीली खेल सारा मैं कहा कुछ भी नही ।।२ आदमी का आदमी से फर्क बस इतना रहा । ये रईसी देन गुरबत के सिवा कुछ भी नही ।।३ मत कहो अंधा उसे अब कर रहा जो जुर्म है । जानता है अंत इसका ठहरता कुछ भी नही ।।४ इश्क़ में हम तो उसी से आज आगे हो गये । पर खबर सबको यहाँ उसमें वफ़ा कुछ भी नही ।।५ बात अब हकदार की करता कहाँ मजदूर है । चोर ही हकदार है ऐसा सुना कुछ भी नही ।।६ बन गये अनपढ़ सभी हैं राजनेता अब यहाँ । देश सेवा काम पर हमको दिखा कुछ भी नही ।।७ अब यहाँ व्यापार मंडल कर रहा है धाँधली । ले रहा है कर सभी से लूटता कुछ भी नही ।।८ डाक्टरो का डर प्रखर को कर दिया बेसुध यहाँ । बिक गयी है खेत बारी हाथ क्या कुछ भी नही ।।९ ११/०९/२०२३ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- जुर्म उसने तो यहाँ देखो किया कुछ भी नही । फैसला हक में कभी उसके हुआ कुछ भी नही ।।१
दामिनी नारायण सिंह Quotes