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Stories related to आठवड्याच्या अखेरचे हवामान खाते

gauranshi chauhan

भले हीं मेरी जुबान कड़वी हो चुकी है, पर मेरी नियत अभी भी साफ है, किसने ,कब ,कहाँ और कैसे मुझे सताया, सबका हिसाब बाबा के खाते मे दर्ज है। Ant

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day - 483
भले हीं मेरी जुबान कड़वी हो चुकी है,
पर मेरी नियत अभी भी साफ है,
किसने ,कब ,कहाँ और कैसे मुझे सताया,
सबका हिसाब बाबा के खाते मे दर्ज है।

©gauranshi chauhan भले हीं मेरी जुबान कड़वी हो चुकी है,
पर मेरी नियत अभी भी साफ है,
किसने ,कब ,कहाँ और कैसे मुझे सताया,
सबका हिसाब बाबा के खाते मे दर्ज है।
#Ant

Rajkumar Siwachiya

मेरे बनाए लगभग रिश्ते अक्सर बड़े मतलबी बड़े धोखेबाज साबित होते हैं और खाते है किसी एक मासूम की मासूमियत ✨🥷✨🌪️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️

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White मैंने कल विनती कर,पैर पकड़ 
किस्मत के कान में कहा
उसे मेरी जिंदगी में लिखदे 
में तेरा अहसान 
मरती रूह तक ना भूलूंगा 
तो किस्मत उल्टी हाथ जोड़ 
पैर पकड़कर रोती हुई मुझसे बोली 
मुझसे और पाप ना करा बंदिया 
मेरे बनाए लगभग रिश्ते अक्सर 
बड़े मतलबी बड़े धोखेबाज साबित होते हैं
और खाते है किसी एक मासूम की मासूमियत
✨🥺✨🥷🔭📙🖋️
- Rajkumar Siwachiya ✍️♠️

©Rajkumar Siwachiya मेरे बनाए लगभग रिश्ते अक्सर 
बड़े मतलबी बड़े धोखेबाज साबित होते हैं
और खाते है किसी एक मासूम की मासूमियत
✨🥷✨🌪️🔭📙🖋️
- Rajkumar Siwachiya ✍️♠️

vksrivastav

खाते कसम हर बात पे हो #Shayari #Quotes #Trending #SAD Love #vksrivastav

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M.K Meet

#Likho जब भी कमी खेलेगी मेरी कलम को तुम्हारी मेरी शायरी में तुम आते रहोगे हरदम ........ मै चाहूं या न चाहूं कोई फ़र्क ही नहीं पड़ता मेरा भ

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बेजुबान शायर shivkumar

छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है तप कर आग

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Unsplash 
// खुद को निखार लेना //


छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं
मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं
हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है
तप कर आग में हम सोना बन ही कर आते हैं

मजबूरी जब ,अपने सर पे जिम्मेदारी आई तो समझ आ आती है
इस जिंदगी की दौड़ भी यु बढ़ती ही जाती है
वो अनाड़ी भी एक खिलाड़ी बन जाते हैं
जब गिर-गिर कर और ठोकर पर ठोकर यु खाते हैं

बारिश में भीग कर कड़ी धूप में यु जल कर भी वो बढ़ जाते हैं
न भाग कर ,अपने मुश्किलों से लड़ कर वो जीत कर दिखाते हैं
वो भी अपने वक्त के साथ साथ चलना भी सीख आता है
उसे अपने मेहनत का फल लेना भी आता है

अपने इन हाथों की लकीरों को भी बदल देते हैं
मेहनत करने वाले तूफान का रुख भी यु मोड़ देते हैं
ये दुनिया रोकती ही रहेगी मगर तुम चलते ही रहना 
न सुनना किसी की बात को तुम अपनी मंजिल को ही देखना

कर हौसला बुलंद तू , तुमने तो इतिहास रचा कदम बड़ा
हंसने वालो को एक दिन चुप करा देना , तुम इतिहास बना देना

©बेजुबान शायर shivkumar छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं
मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं
हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है
तप कर आग
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