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Ranjit Kumar
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- किसी की किसी से लड़ाई नही है । लबों पे किसी के दुहाई नही है ।। जाँ बीमार की फिर बचाई नही है । हकीमों ने बोला कमाई नही है ।। तड़पता रहा मर्ज़ से वो भी अपने । कहा सबने इसकी दवाई नही है ।। डुबा ही दिया कर्ज़ ने देखो उसको । गरीबों की अब रह नुमाई नही है ।। यही वो जगह है जहाँ पर खुदा ने । सज़ा आदमी को सुनाई नहीं है ।। दिखाओ हमें भी यहाँ शख्स कोई । हुई जिसकी अब तक रिहाई नही है ।। चले ही गये सब जहाँ से थे आये । कभी मौत अपनी बुलाई नही है ।। न देखूँ उसे क्यूँ नज़र भर बताओ । बसी जाँ है जिसमें पराई नही है ।। प्रखर ही सुनाये मुहब्बत के किस्से । मुहब्बत में उसके जुदाई नही है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- किसी की किसी से लड़ाई नही है । लबों पे किसी के दुहाई नही है ।।
Altifa
Altifa
Vikrant Rajliwal Show
Ramji Mishra
THE TWEEN CHORA
HintsOfHeart.
"आप की याद आती रही रात भर'' चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर एक उम्मीद से दिल बहलता रहा, इक तमन्ना सताती रही रात भर"¹ ©HintsOfHeart. #फ़ैज़_अहमद_फ़ैज़ ने यह ग़ज़ल मशहूर शायर मख़्दूम मोहिउद्दीन की याद में लिखी थी। मोहिउद्दीन की ग़ज़ल की पहली लाइन भी यही थी "आप की याद आती रह
Vinay Sharma