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Shravan Goud
ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥ ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥🙏
||स्वयं लेखन||
दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा। ©Gunjan Rajput दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा। #navratri
Shravan Goud
ॐ देवी ब्रह्मचारिणी नमः।। दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।। या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। 🌹🌹🙏🙏 आभार: विकीपीडिया ॐ देवी ब्रह्मचारिणी नमः।। दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु | देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा || या देवी सर्वभू
Arsh
अशेष_शून्य
°_श्रीरुद्राष्टकं_° तुलसीदास कृत "शिव रुद्राष्टकम्" (रुद्र + अष्टक) रुद्र ( शिव) के आठ श्लोकों के समूह में से षष्ठम श्लोक -🌸 ________°°°°°🌸🌷🌸°°°°°_________ कल्याण स्वरुप, दु:ख हरने वाले, भोलेनाथ को नमस्कार ________°°°°°🌸🙏🌸°°°°°_________ श्लोक ::- कलातीत कल्याण क
Kusum Sharma
🌺 नवरात्रि की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 🌺 देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य । प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य ।। ......अर्थात...... देवता बोले.... शरणागत की पीड़ा दूर करने वाली देवी ! हम पर प्रसन्न होओ । सम्पूर्ण जगत की माता ! प्रसन्न होओ । विश्वेश्वरी ! विश्व की रक्षा करो । देवी ! तुम्हीं चराचर जगत् की अधीश्वरी हो * श्रीदुर्गासप्तशती * एकादशोअध्याय.... श्लोक ३ 👏👏👏 बाहर की शक्ति की पूजा के साथ साथ अपने अंदर की शक्ति को भी जाग्रत करो ये समय संधि का समय है... एक मौसम जाता है तो दूसरा आता है.... तीज त्योहार आते हैं जिनमें गरिष्ठ भोजन भी खा लेते हैं.......अतः अपने आहार, विचार, मनन चिंतन से इस समय अपने शरीर रूपी मंदिर को स्वस्थ रख सकते हैं कुसुम..✍ 🌺 नवरात्रि की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 🌺 देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य । प्रसीद विश्वेश्वरी पाह
Vikas Sharma Shivaaya'
माता लक्ष्मी का बीज मंत्र-ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।। “मैया री मोहिं माखन भावै -मधु मेवा पकवान मिठा मोंहि नाहिं रुचि आवे। ब्रज जुवती इक पाछें ठाड़ी सुनति स्याम की बातें -मन-मन कहति कबहुं अपने घर देखौ माखन खातें। बैठें जाय मथनियां के ढिंग मैं तब रहौं छिपानी-सूरदास प्रभु अन्तरजामी ग्वालि मनहिं की जानी।। “ यहां कृष्ण माता यशोदा से कह रही हैं कि मुझे माखन बहुत अच्छा लगता है, मुझे शहद, मेवे ,पकवान और मीठा पसंद नहीं है। ब्रज की एक युवती पीछे से सुन रही है और मन में कह रही है कि कभी उसके घर में उसने माखन खाया है, मैं मथनी के पीछे छुप गई, तब कृष्ण वहां आते हैं और माखन खाने लगते हैं। सूरदास कहते हैं कि प्रभु एक पारलौकिक व्यक्ति हैं और वह उस युवती के मन को जानते हैं। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' माता लक्ष्मी का बीज मंत्र-ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।। “मैया री मोहिं माखन भावै -मध
अशेष_शून्य
°_श्रीरुद्राष्टकं_° तुलसीदास कृत "शिव रुद्राष्टकम्" (रुद्र + अष्टक) रुद्र ( शिव) के आठ श्लोकों के समूह में से सप्तम श्लोक -🌸 ____________🌷 ॐ🌷_______________ 🙏हे कल्याणकारी परमेश्वर तुम्हें नमन🙏 ____________🌷 ॐ🌷_______________ श्लोक ::- न यावद् उमानाथपादारविन्दं
Vikas Sharma Shivaaya'
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। माँ दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरुप देवी ब्रह्मचारिणी का है। यहां ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या है-ब्रह्मचारिणी अर्थात तप की चारिणी-तप का आचरण करने वाली। कहा भी हैं-वेदस्तत्वं तपो ब्रह्म-वेद,तत्व और तप ब्रह्म शब्द के अर्थ हैं। ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरुप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यंत भव्य हैं। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता हैं। दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। माँ दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरुप देव
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