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#शून्य राणा
Dr.ShiviGolu
तुम तो हर बात पे कहते थे कि मेरा और आप का रिश्ता जन्मो जन्मो का है.... फिर अब क्या हुआ चन्द लम्हो मे तुमने भुला दिया मुझको......! #Gudiya तुम तो हर बात पे कहते थे कि मेरा और आप का रिश्ता जन्मो जन्मो का है.... फिर अब क्या हुआ चन्द लम्हो मे तुमने भुला दिया मुझको......!
FIROZ KHAN ALFAAZ
हमने सोचा था, देखेंगे बस एक नज़र, एक नज़र क्या मिली, सिलसिला हो गई ! •••••••••••••••••••••••••••••• रुक-रुक के जाँ निकलती है ‘अल्फ़ाज़’ की जानाँ, हंस हंस के यूँ ग़ैरों से तो बोला न कीजिये ! •••••••••••••••••••••••••••••• उस याद के धुएँ में महकी वही हिना है, मैं जिसकी हर ख़ुशी था, वो ख़ुश मेरे बिना है ! •••••••••••••••••••••••••••••• ख़ुदारा और क्या माँगूँ, तेरी मुझपर इनायत है, कि मेरे साथ माँ भी है, और माँ की दुआ भी है ! •••••••••••••••••••••••••••••• माना की भुला दिया मुझको तेरे शहरवालों ने, हर ईंट पहचानती है मुझे शहर के मकानों की ! ©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर प्रोपर औरंगाबाद बिहार हमने सोचा था, देखेंगे बस एक नज़र, एक नज़र क्या मिली, सिलसिला हो गई ! •••••••••••••••••••••••••••••• रुक-रुक के जाँ निकलती है ‘अल्फ़ाज़’ की जानाँ
FIROZ KHAN ALFAAZ
जिनकी हिफ़ाज़त में इंसान लगे रहते हैं, बेशक वो ख़ुदा महज़ पत्थर के हैं ! - *1* कभी अपनों की शिकायत ग़ैरों से कीजिये, कोई पीछे न रहेगा आग लगाने में ! - *2* एक राज़ कहते-कहते मैं रुक जाता था अक्सर, लेकिन ग़ज़ल में ज़ाहिर हर राज़ हो गया ! - *3* जब रात अँधेरी घिरते ही मेरा साया खो जाता है ! तू चुपके से मन में आकर मेरे साया हो जाता है ! - *4* महज़ नज़दीकियों का कैफ़ है ये रस्म-ए-उल्फ़त, बात तो ये ज़रा कड़वी है, लेकिन यही सच्चाई है ! - *5* बेशक मैं तेरी सोच का हिस्सा हूँ आज भी, अफ़सोस कि तेरे जिस्म का साया मैं नहीं हूँ ! - *6* वो भंवर था हमने जिसको साहिल समझा, अब तो जाँ पे बन आया है वफ़ाओं का सफ़र ! - *7* इस ज़िन्दगी ने यूँ तो, सबको ही आज़माया, कुछ लोग बिखर गए तो कुछ लोग निखर गए ! - *8* माना की भुला दिया मुझको तेरे शहरवालों ने, हर ईंट पहचानती है मुझे शहर के मकानों की ! - *9* क्या कमी है दिल को, दिल समझ नहीं पाता, जवाब न सही, तुम सवाल बनके चले आओ ! - *10* ©® *फिरोज़ खान अल्फ़ाज़* *नागपुर प्रोपर औरंगाबाद बिहार* *स0स0-9231/2017* जिनकी हिफ़ाज़त में इंसान लगे रहते हैं, बेशक वो ख़ुदा महज़ पत्थर के हैं ! - *1* कभी अपनों की शिकायत ग़ैरों से कीजिये, कोई पीछे न रहेगा आग लगाने
FIROZ KHAN ALFAAZ
मिट्टी से ही बना हूँ, मिट्टी में जा मिलूँगा, अपनी भी शख़्सियत के अज़्कार तू बता ! -1 सख्त़ धूप में जब मेरा सफ़र हो गया, कच्ची मिट्टी सा था, मैं पत्थर हो गया ! -2 तेरे ख़याल आज धुंधले- धुंधले से लगते हैं ! तेरी तस्वीर आज लाज़मी सी लगती है ! -3 एक बादल का टुकड़ा देखा तो याद आया, जाने वाले फ़िर नहीं लौट कर आने वाले !!! -4 माना की भुला दिया मुझको तेरे शहरवालों ने, हर ईंट पहचानती है मुझे शहर के मकानों की ! -5 ये ज़माना एक दिन तुझको भी दीवाना कहेगा, मैं भी इश्क़ करके एक इल्ज़ाम ख़रीद लाया हूँ ! -6 मय-कश करे दुआ तो, सुनता नहीं ख़ुदा है, अब क्या जवाब दूँ मैं तेरे सलाम का ! -7 फ़क़त चाँद की तलब में हर शब् चले आते हैं, ये अँधेरे किसी शम्स की हसरत नहीं करते ! -8 लुटा दिल देख कर अपना तू क्यूँ हैरान है आख़िर, लुटेरा तेरी दुनिया का तेरी ही जान है आख़िर, बनाया था ख़ुदा जिसको कभी तूने मोहब्बत का, बदल जाना ही फ़ितरत थी कि वो इन्सान है आख़िर ! -9 मन बारिश भी, मन सहरा भी,मन दलदल भी,मन दरिया भी, मन झील सा ठहरा रहता है, जब मौज उठे, बह जाता है ! -10 ©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर प्रोपर औरंगाबाद बिहार स0स0-9231/2017 मिट्टी से ही बना हूँ, मिट्टी में जा मिलूँगा, अपनी भी शख़्सियत के अज़्कार तू बता ! -1 सख्त़ धूप में जब मेरा सफ़र हो गया, कच्ची मिट्टी सा था, म
Poonamchandra Rathore
भुला दे मुझ को के बेवफ़ाई मुनासिब है लेकिन गँवा न मुझ को के मैं तेरी ज़िंदगी रहा हूँ #भुला दे मुझको
Yasir Hameed
अगर तुम आज मुझे भूल गए हो यकीन मानो कल मैं तुम्हें भुला दूंगा भुला दिया