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Parasram Arora
ये 'उसकी ' अनुकम्पा हैँ कि वो आसानी से हमारी पकड़ मे नही आता. इसलिए जरूरी हैँ कि हमारी उसकी खोज मे निरंतरता सदा बनी रहे ताकि इस खोज का और "उसका " सम्मोहन मृत्यु के बाद भी क़ायम रहे ये हमारी खुशनसीबी होगी अगर ये अभियान जन्मों जन्मात्रो तक चलता रहे ताकि किसी दिन वो हम पर तरस खाये और हमेँ अपने वैकुंठ मे अपने साथ रहने का अवसर देकर हमेँ अनुग्रहित कर सके ©Parasram Arora अनुकम्पा #yogaday
डॉ वीणा कपूर "वेणु"...
बरसा दो अपनी असीम अनुकम्पा नाथ इस सावन में। बहा दो जग में प्रेम गंगा दूर करो रोग, वैद्यनाथ इस सावन में। द्वेष मुक्त हो भारत वासी प्रेम सुधा बरसा दो, सोमनाथ इस सावन में। चहुंओर निहारूं मंगलमय छवि तुम्हारी, अमरनाथ इस सावन में। ©Veena Kapoor सावन में अनुकम्पा वैद्यनाथ सोमनाथ #Sawankamahina
डॉ वीणा कपूर "वेणु"...
बरसा दो अपनी असीम अनुकम्पा नाथ इस सावन में। बहा दो जग में प्रेम गंगा दूर करो रोग, वैद्यनाथ इस सावन में। द्वेष मुक्त हो भारत वासी प्रेम सुधा बरसा दो, सोमनाथ इस सावन में। चहुंओर निहारूं मंगलमय छवि तुम्हारी, अमरनाथ इस सावन में। ©Veena Kapoor सावन में अनुकम्पा वैद्यनाथ सोमनाथ #Sawankamahina
अविनाश पाल 'शून्य'
देखे हैं जो ख्वाब वो भले ही तोड़ दे चाहो तो जीवनस्वप्न को रिजेक्टेड बोल दे बस एक अनुकम्पा कर दे मेरे जगदीश "माँ"की दुआओं को तूँ तथास्तु बोल दे । #सर्वाधिकारसुरक्षित #स्वरचित © #माँ #अनुकम्पा #जगदीश #दुआओं #स्वप्न #शून्य
Laxmikant shukl
मिलिए यदुवंशी माधव से और जानिए क्या रही इस बार उनकी योजना काशी और मगध के बीच युद्ध में? सब कुछ जानिए उनके बारे में 'देवालिका' में अपनी कॉपी आज ही आर्डर करें दिए गए लिंक को विजिट कर अपना आर्डर प्लेस करें https://www.rajmangalpublishers.com/product-page/devalika
Mahendra Bandhu
बात को समझिये फ़िर तर्क कुतर्क करिये रसखान रहीम के इस देश में ये कैसा कुतर्क है कि मुस्लिम संस्कृत नहीं पढ़ा सकता.? संस्कृत जैसे विषय में जहां एकेडमिक करियर का स्कोप बेहद छोटा होता है, वहां कोई मुस्लिम आखिर बिना संस्कृत में रुचि के संस्कृत इस स्तर तक क्यों पढ़ेगा कि वो प्रोफेसर हो सके.? और अगर किसी व्यक्ति में इतना समर्पण है तो ये क्या मायने रखता है कि व्यक्ति का धर्म क्या है.? कई हिन्दू अलग अलग जगहों पर अरबी, उर्दू, फारसी के टीचर हैं और कई मुस्लिम संस्कृत पढ़ा रहे हैं.! B H U छात्र मुस्लिम प्रोफेसर के संस्कृत पढ़ाने का विरोध नही कर है। दरअसल, BHU में किसी भी दूसरी यूनिवर्सिटी की तरह एक संस्कृत का विभाग है। लेकिन महामना के इस विद्या केंद्र में बाकी विश्वविद्यालयों से अलग एक अतिरिक्त संस्कृत धर्म विज्ञान संकाय है। फिरोज खान की नियुक्ति संस्कृत विभाग में नहीं धर्म विज्ञान संकाय में हुई है। धर्म विज्ञान संकाय वो विभाग है जहां मुख्यतः संस्कृत भाषा की पढ़ाई नहीं, वैदिक कर्मकाण्ड और पूजा पद्धति का प्रशिक्षण होता है। सरल भाषा में - धर्म विज्ञान संकाय में पुजारी, पुरोहित, धर्मगुरु बनने का प्रशिक्षण होता है। छात्रों का कहना है कि संस्कृत भाषा कोई भी व्यक्ति पढ़ा सकता है, लेकिन धर्मगुरु बनने का प्रशिक्षण वो कैसे दे सकता है जो खुद उस धर्म का है ही नहीं.!! अरबी, फारसी कोई हिन्दू मुस्लिम ईसाई पढ़ा सकता है, लेकिन मौलवी, काज़ी बनने नमाज़ पढ़ने की ट्रेनिंग वो कैसे देगा जो खुद एक बार भी नमाज़ अदा न करता हो.! जैसे कि बैपटाइजेशन करने की ट्रेनिंग कोई हिन्दू बौद्ध जैन गुरु नहीं दे सकता भले ही वो खुद कितना भी जानकार क्यों न हो.!! छात्रों का तर्क है कि सेना में सभी धर्मो के धर्मगुरुओं की पोस्ट निकलती है और किसी धर्म के धर्मगुरु की पोस्ट के लिए उसी धर्म का अनुयाई ही आवेदन कर सकता है। इसमें आपत्ति का क्या विषय है। लिहाजा फिरोज़ खान को धर्म विज्ञान विभाग की जगह संस्कृत विभाग में अपॉइंटमेंट दे दिया जाए जहां वो संस्कृत पढ़ाएं। ये छात्रों के तर्क हैं। आप इस तर्क से भी इनकार नहीं कर सकते कि विचारधारा बुद्धि और हृदय संचालित होती है। धार्मिक विचारधारा को कोई ऐसा व्यक्ति जो स्वयं किसी और विचारधारा का मानने वाला हो वह कैसे उसकी दीक्षा दे सकता है? निष्कर्ष आप निकाल सकते हैं। लेकिन निष्कर्ष निकालते समय धैर्य आवश्यक है। संस्कृत में धैर्य और धर्म एक ही 'धारण' क्रिया से बने हैं। धर्म की व्युत्पत्ति है- "धार्यते इति धर्मः"। अर्थात् जो धारण करे वो धर्म है। इसलिए धैर्य हर जगह आवश्यक है, लेकिन धर्म के विषय में धैर्य विशेष आवश्यक है.! संस्कृत विद्या धर्म संकाय में मुस्लिम प्रोफेसर नियुक्ति विवाद
Ek villain
चुनाव आयोग में नियुक्ति पर विवाद संबंधी समाचार बहुत संवेदनशील विषय पर गंभीरता विचार विमर्श की आवश्यकता को बल देते हैं चुनाव आयोग सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की नियुक्ति बहुत समय से विवाद का विषय बनती रहती है यहां तक कि उच्चतम न्यायालय की नियुक्तियां भी विवाद ग्रस्त रहती है और कभी विपक्ष दल और स्वयं न्यायधीश महोदय खुलेआम अपने विरोध व्यक्त करते हैं हमारे देश में आर्थिक सुधार मोदी सरकार में बहुत बड़े स्तर पर लाए गए हैं जिसका प्रभाव स्पष्ट रूप से लक्षित होता है परंतु अब प्रशासनिक सुधारों का समय भी आ गया है ©Ek villain #Travel #चुनाव आयोग में नियुक्ति पर विवाद संबंधी समाचार
Laxmikant shukl
मिलिए यदुवंशी माधव से और जानिए क्या रही इस बार उनकी योजना काशी और मगध के बीच युद्ध में? सब कुछ जानिए उनके बारे में 'देवालिका' में अपनी कॉपी आज ही आर्डर करें दिए गए लिंक को विजिट कर अपना आर्डर प्लेस करें https://www.rajmangalpublishers.com/product-page/devalika
सय्यद आसिफ़ अली (अध्यक्ष महाराष्ट्र )