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मैं उस शख्स की तलाश में हूं, जिसे तलाश है मुझ जैसे की.!! 🖤🕊️ ं ©चल तेरे इश्क़ में पड़ जाते हैं #colours
Manisha Singh Raghuvanshi
White colourful nature ©Manisha Singh Raghuvanshi #Nature #colours
zenith
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. बच्चों की मासूमियत उनकी हँसी उनका दर्द हर पल अन्वेषण करती आंखें प्यार से दो पल बात करने से ही दिन बना देते हैं बाल दिवस की शुभकामनाएं ©Vibha Pandey #different #colours #चाइल्डहुड #childrensDAYspecial
#different #colours #चाइल्डहुड #childrensDAYspecial
read moreअपनी कलम से
रंग वो जो है प्रेम का, रंग वो जो है सत्य का, रंग वो जो वैराग्य का, रंग वो जो आनंद का... रंग वो जो आसमान में भाये, रंग वो जो धूप में खिल जाये, रंग वो जो है सुबह का, रंग वो जो है शाम का, रंग वो जिसे पाकर आनंदित होती है पर्वतें, रंग वो जो है इन्द्रधनुष में बसता ... रंग वही जिसे समेटती है बर्फ़ की चादरें कभी, रंग वही जो हमारे मन को है प्रफुल्लित करता... रंग वह जो है अंधकार में बसता, रंग वही जो इस अंधेरे को है समेटता... कभी आँखों को सुकून देती, कभी करती काया को विचलित है... आनंदित करती प्रकृति को जो, वही रंग असली है..... ........... ©अपनी कलम से #Color #Colors #colours #Colour #Rang #रंग Kavi Himanshu Pandey Sethi Ji Deep_26Nt vineetapanchal dream SgR… poetry lovers love poetry
अपनी कलम से
रंग (Colours) किसी पे चढ़ गया रंग प्रेम का, तो कोई बैरागी बनकर घूमता, कोई खो गया दुनिया के रंगीनियों में, तो देखो, कोई सत्यवादी बनकर घूमता... कभी लाल, कभी नीला, कभी गुलाबी, कभी पीला, कभी बैंगनी, कभी भूरा, कभी नारंगी, कभी हरा, कभी खाकी, कभी धूसर, कभी स्यान, कभी सैलमन... ये रंग न जाने किस-किस को रंगीन करती, ये रंग न जाने कितनों को रंगहीन करती... कभी भाती है आँखों को, कभी मन इसे ओझल है करती... मानों सत्य से ऊपर है ये सभी, हमें ख़ुद में मिला जाती है... हमें सिखाती है तरसना अक्सर, ऐसे हीं खुद में घुला जाती है... ........... ©अपनी कलम से #Color #Rang #colours #Colour #Colors Arshad Siddiqui कवि और अभिनेता हरिश्चन्द्र राय "हरि" BIKASH SINGH vineetapanchal pinky masrani h
अपनी कलम से
रंग (Colours) किसी पे चढ़ गया रंग प्रेम का, तो कोई बैरागी बनकर घूमता, कोई खो गया दुनिया के रंगीनियों में, तो देखो, कोई सत्यवादी बनकर घूमता... कभी लाल, कभी नीला, कभी गुलाबी, कभी पीला, कभी बैंगनी, कभी भूरा, कभी नारंगी, कभी हरा, कभी खाकी, कभी धूसर, कभी स्यान, कभी सैलमन... ये रंग न जाने किस-किस को रंगीन करती, ये रंग न जाने कितनों को रंगहीन करती... कभी भाती है आँखों को, कभी मन इसे ओझल है करती... मानों सत्य से ऊपर है ये सभी, हमें ख़ुद में मिला जाती है... हमें सिखाती है तरसना अक्सर, ऐसे हीं खुद में घुला जाती है... ........... ©अपनी कलम से #Color #Rang #colours #Colour #Colors Arshad Siddiqui कवि और अभिनेता हरिश्चन्द्र राय "हरि" BIKASH SINGH vineetapanchal pinky masrani h