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Devesh Dixit
आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दंड इंद्र ने है दिया, हन पर मारी चोट। देवों ने तब वर दिया, ले कर उनको ओट। हैं भक्त प्रभू राम के, महाबली हनुमान। लाँघ सिंधु भी वो गये, ह्रदय राम को जान। संकट भक्तों के हरें, करें दुष्ट संहार। जो भजते प्रभु राम को, लेते हनुमत भार। भय की कभी न जीत हो, सुख की हो भरमार। हनुमत कृपा करें तभी, और बनें आधार। ................................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #आंजनेय #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दं
HintsOfHeart.
"इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है इतने मौलिक बनो कि जितना स्वयं सृजन है" ©HintsOfHeart. #द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी -हिन्दी के साहित्यकार जिन्होंने बाल साहित्य पर 26 पुस्तकें लिखीं, जिससे वे 'बच्चों के गांधी' भी कहलाते हैं।
Mansee Chaurasia
कुछ लोग कम भले ही बोलते हैं, लेकिन बिल्कुल सच कहते है, और सीधा मुँह पर कहते हैं, और वह लोग कहने से ज्यादा करने मे विश्वास करते है, इसलिए शायद वह लोग बुरे कहलाते हैं, M5m 🙏🙏✨ ©Mansee Chaurasia लोग इसीलिए बुरे कहलाते है 🙏🙏👍✨ PФФJД ЦDΞSHI Ajay Kumar भारतीय लेखिका तरुणा शर्मा तरु Aparna Verma Dr.Mahira khan Shahnaz Tileshwar Raj gaTT
MUKESH_VIP
कोशिश तब तक जारी रखो, जब तक मंजिल न मिल जाए। अगर हम पाने की इच्छा रखते हैं तो कोशिश भी हमें ही करनी पड़ेगी। जीत निश्चित हो तो कायर भी लड़ सकते है, लेकिन बहादुर वे कहलाते है, जब हार निश्चित हो फिर भी मैदान नहीं छोड़ते। ©MUKESH_VIP #Happychocolateday कोशिश तब तक जारी रखो, जब तक मंजिल न मिल जाए। अगर हम पाने की इच्छा रखते हैं तो कोशिश भी हमें ही करनी पड़ेगी।
#काव्यार्पण
तू बेलगाम सा घोड़ा है मै अनुशासन प्रिय नारी हूं तू बेशक गंदा पानी है मैं भागीरथी दुलारी हूं दो बोल जो मीठे बोल दिये तू सर पर मेरे बैठ गया कैसे तूने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। मेरे झुमके के उद्दवेलन से ये पवन सुहानी चलती है एक पल को मैं मुस्काऊं तब ये कच्ची कलियां खिलती हैं जब केश मेरे लहराते हैं तब काली घटा छा जाती है मेरे यौवन से ले सुगंध रति में सुंदरता आती है तू पाप की गठरी जोड़ रहा मैं पुण्य की भागीदारी हूं तूने जब मन को सहलाया मैं उस पल की आभारी हूं तू शहर का शोर शराबा है मैं गांव की कोयल प्यारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। 2.तुम वर्तमान की कालिख हो प्रारब्ध की मैं पुरवाई हूं तुम आभासी प्रतिबिंब सदा मैं अंतस की गहराई हूं तुम धूं धूं कर के जलते हो मैं सरिता जैसी बहती हूं तुम टोंका टांकी करते हो मैं पृथ्वी सा सब सहती हूं गर लगे हमारे मुंह तो अब हम दुर्गा ही बन जायेंगे है यू पी पुलिस में धाक बड़ी ऐंटी रोमियो बुलायेगे मैं पति प्राइवेट सेक्टर हूं ना मैं जनहित में जारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। 3. ना बातचीत का ढंग तुझे मैं कितनी ही मृदुभाषी हूं तू नॉनस्टॉप-सा म्यूजिक है मैं मौन की बस अभिलाषी हूं है नई नई तेरी दौलत इसलिए तुझे अभिमान हुआ मेरा परिवार सदा से ही संस्कारों से धनवान हुआ है नशा तुझे दौलत का तो ये निश्चय क्षीण हो जायेगा अपनी मृत्यु पर क्या फिर तू पैसे से भीड़ जुटाएगा है ब्राह्मण कुल में जन्म हुआ है गर्व मुझे संस्कारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। 4.तुम चाइनीज मोबाईल हो और मैं एप्पल का ब्रांड प्रिये तुम बेशक बादशाह होगे मैं हनी सिंह की फैन प्रिये तुम कपिल की बकबक सुनते हो और मैं बिग बॉस की दर्शक हूं तुम खुद को सलमान समझते हो मैं तुमसे भी आकर्षक हूं हम सीतापुर वाले साहब कट्टाधारी कहलाते हैं यदि बात हमारे प्रेम की हो तो नतमस्तक हो जाते हैं चिंदी चोर चांदनी चौक के तुम मैं नैमिषधाम दुलारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। कवयित्री - प्रज्ञा शुक्ला सीतापुर ©#काव्यार्पण #proposeday #kavyarpan #nojoto #sitapur #HappyRoseDay तू बेलगाम सा घोड़ा है मै अनुशासन प्रिय नारी हूं तू बेशक गंदा पानी है मैं भागीरथी
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- राम-राम जपते रहो , मिलें सदा आराम । राम नाम के भक्त तो , करे नहीं विश्राम ।।१ कैसे कह दूँ मैं यहाँ , अलग-अलग है वंश । हमको सब में हैं मिलें , यहाँ राम के अंश ।।२ रघुवर ही घनश्याम है , कर ले अब पहचान । तुझमें भी तो हैं वही , क्या कहता इंसान ।।३ बाल काल्य पग चिन्ह तो , मिले अयोध्या धाम । तू छूकर अब स्पर्श कर , चरण वही श्री राम ।।४ आज अयोध्या के नगर , का दुल्हन सा रूप । जिसके राजा राम जी , कहलाते है भूप ।।५ राम लला के नाम से , सजा अयोध्या धाम । जहाँ वनों के वृक्ष भी , सुनो उकेरे राम ।।६ सूरत खुशियों की कभी , बड़ी नहीं है देख । छोटी खुशियाँ दे बदल , सुन किस्मत की रेख ।।७ २८/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- राम-राम जपते रहो , मिलें सदा आराम । राम नाम के भक्त तो , करे नहीं विश्राम ।।१
Devesh Dixit
आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दंड इंद्र ने है दिया, हन पर मारी चोट। देवों ने तब वर दिया, ले कर उनको ओट। हैं भक्त प्रभू राम के, महाबली हनुमान। लाँघ सिंधु भी वो गये, ह्रदय राम को जान। संकट भक्तों के हरें, करें दुष्ट संहार। जो भजते प्रभु राम को, लेते हनुमत भार। भय की कभी न जीत हो, सुख की हो भरमार। हनुमत कृपा करें तभी, और बनें आधार। ................................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #आंजनेय #दोहे आंजनेय आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दंड इंद्र ने है दिया, हन पर मारी चोट।
KP EDUCATION HD
KP NEWS for the same for me to get the same for me to ©कंवरपाल प्रजापति टेलर इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 6 सितंबर 2023 को है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि कंस के बढ़ रहे अत्याचार
Devesh Dixit
समर्पण (दोहे) रहे समर्पण प्रेम में, ईश्वर दें वरदान। सुखमय हो जीवन तभी, सभी कहें विद्वान।। नहीं समर्पण हो अगर, जीवन ये बरबाद। कलह रहे घर में तभी, कैसे हों आजाद।। रहे समर्पण भाव जो, जीवन हो आसान। मुख पर तब मुस्कान हो, है ये ही पहचान।। अगर समर्पण छूटता, आता है तब क्रोध। बात बिगड़ जाती तभी, हो जाता फिर बोध।। नहीं समर्पण जो करें, कहलाते नादान। मुश्किल में जीवन रहे, है फिर भी ये शान।। दिखे समर्पण का असर, हुआ नहीं मजबूर। नहीं गिला कुछ भी रहे, है ये ही दस्तूर।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #समर्पण #दोहे #nojotohindi समर्पण (दोहे) रहे समर्पण प्रेम में, ईश्वर दें वरदान। सुखमय हो जीवन तभी, सभी कहें विद्वान।। नहीं समर्पण हो अगर
KP EDUCATION HD
KP NEWS for the same for me to get ©कंवरपाल प्रजापति टेलर सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है. इस साल 21 अगस्त 2023 को नाग पंचमी है. इस दिन शेषनाग, वासुकी नाग, तक्षक नाग,