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White दहलीज़ पर कविता" बहुत पछताए ,घर की लांघ के "दहलीज़"हम लड़कपन में, बड़ा भरोसा था जिनके वादे पे, मौसम की तरह रंग बदल गए कुछ दिन में। अनुजकुमार हेयय क्षत्रिय © # दहलीज़ पर कविता"
# दहलीज़ पर कविता"
read moreVIKHYAT REKWAR
White माँ के जन्मदिन पर लिखी ये शायरी उनके असीम प्यार, त्याग और देखभाल को बयां करती है। हर शब्द में माँ के प्रति दिल से निकली दुआएं औ ... ©VIKHYAT REKWAR #माँ के जन्मदिन पर लिखी
#माँ के जन्मदिन पर लिखी
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White माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़ लीजिए, पढ़िए माँ पर बेहतरीन शेर देवनागरी, रोमन और उर्दू में सिर्फ़ रेख़्ता पर. ©VIKHYAT REKWAR #माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़
#माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़
read moreVIKHYAT REKWAR
White माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़ लीजिए, पढ़िए माँ पर बेहतरीन शेर देवनागरी, रोमन और उर्दू में सिर्फ़ रेख़्ता पर. ©VIKHYAT REKWAR #माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़
#माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़
read moremeri_lekhni_12
White रस्ते पे आँखों की बिनाई गवां बैठी है माँ, बेटा जो दूर जा बसा, दिल जला बैठी है माँ। दर-ओ-दीवार सुनते हैं फ़साना तन्हाई का, हर कोना तेरे बग़ैर वीरां बना बैठी है माँ। तेरी हँसी की रौशनी से चमकते थे जहाँ, अब उस चिराग़ की लौ बुझा बैठी है माँ। राह ताकते-ताकते धुंधला गई हैं निगाहें, मगर उम्मीद का दिया जला बैठी है माँ। हर सहर तुझसे मिलने की दुआ करती है, शबनम के साथ आँसू बहा बैठी है माँ। क्या तुझे एहसास भी है इस तड़पती रूह का? तुझसे बिछड़के ख़ुद को सज़ा दे बैठी है माँ। अगर कभी लौट आ, तो दर खुले मिलेंगे, तेरे ख़्वाबों का घर अभी बचा बैठी है माँ। 'पूनम' हर दर्द को सीने में छुपा लेती है, बेटे की राह में अपना वजूद मिटा बैठी है माँ। स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित पूनम सिंह भदौरिया दिल्ली लेखिका समाज सेविका ©meri_lekhni_12 माँ /मेरी माँ
माँ /मेरी माँ
read moreRamji Tiwari
White *माँ* माता के जैसा नहीं,जग में कोई और। खुद भूखी प्यासी रहे, हमें खिलाए कौर।। हमें खिलाए कौर, नहीं माता सम दूजा। जननी को प्रभु मान,करो तुम विधिवत् पूजा।। माँ बेटे का यहाँ,जगत में सुन्दर नाता। देवों से भी बड़ी,लोक में होती माता।। ममता अंतस में भरी, करे पुत्र को नेह। पालन पोषण के लिए,वारे अपनी देह।। वारे अपनी देह,आप गीले में सोती। चलती नंगे पाव, पुत्र को सर पर ढोती।। जग में माँ की तरह, नहीं दूजे में समता। झुकता सबका शीश,देख माता की ममता।। स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #माँ #कविता #ममता Shikha Sharma deepshi bhadauria Sudha Tripathi lumbini shejul Raushni Tripathi
संजय जालिम " आज़मगढी"
तक़दीर मेरी हो, तुम लकीर हाथो की हो, तुम बन्दगी तेरी करू, मैं "जालिम" ईश्वर बाद में पहले हो," माँ " तुम ©Sanjay jalim ## माँ ##
## माँ ##
read moreRAMLALIT NIRALA
Red sands and spectacular sandstone rock formations माँ शब्द देखने और सुनने में बहोत छोटा लगता है पर है नही दुनिया का सारा दौलत एक तरफ़ माँ एक तरफ़ फिर भी दौलत माँ के सामने कम ही रहैगा सबसे बडा दौलत माँ है जिसके पास माँ है दुनियां का सबसे बडा अमिर है मेरी दौलत तो मूझसे बहोत दूर है आप बताओ ©RAMLALIT NIRALA सबको भुल सकता हूँ पर माँ को नहीं
सबको भुल सकता हूँ पर माँ को नहीं
read moreWriter Mamta Ambedkar
White इंसान दो जगह हमेशा हार जाता है इंसान दो जगह हमेशा हार जाता है, जहाँ दिल का रिश्ता गहरा हो जाता है। एक वो जगह, जहाँ प्यार बसा होता है, दूसरी, जहाँ परिवार का साया होता है। प्यार में हार, मगर जीत सी लगती है, आँखों में आँसू, पर खुशी छलकती है। दिल देता है सब कुछ बिना हिसाब के, चाहत की ये डोर, कभी न टूटने वाले ख्वाब के। परिवार में हार, समर्पण कहलाता है, हर त्याग में स्नेह छिपा नज़र आता है। अपनों की खुशी में अपनी खुशी पाता है, हर मुश्किल में साथ, बस वही साथ निभाता है। दोनों हारें हैं, पर दिल से स्वीकार हैं, प्यार और परिवार, जीवन के आधार हैं। इन्हीं में बसी है जीवन की मिठास, इन्हीं के बिना अधूरी है हर सांस। इसलिए इंसान यहाँ हारने से डरता नहीं, क्योंकि ये हार ही असली जीत कही जाती है। ©Writer Mamta Ambedkar #Romantic मोटिवेशनल कविता इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स समस्याओं पर
#Romantic मोटिवेशनल कविता इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स समस्याओं पर
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