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Shivkumar

Sangeeta Kalbhor

श्वासांचा श्वासांना पडता विळखा.. कोणी सांगितले तुला मला काही वाटत नाही मन पेटलेले असल्यावर तन मुळी पेटत नाही हवा असतो मला नित्य सोहळा तनाम #शायरी

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Instagram id @kavi_neetesh

विषय: सुभाष चन्द्र बोस जयंती या पराक्रम दिवस समस्त माताओं , बहनों एवं बंधुओं को सुभाष चंद्र बोस जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ । सुभाष चंद्र #subhashchandrabose #समाज

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समस्त माताओं , बहनों एवं बंधुओं को सुभाष चंद्र बोस जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
सुभाष चंद्र बोस जी के नाम पर एक सुभाष चालिसा का प्रयास:
                   दोहा
अष्ट शताब्दी वर्ष तक ,
यह भारत रहा गुलाम ।
कभी मुगल कभी गोरे ,
रहे शासन ये अविराम ।।
                   चौपाई 
जय सुभाष तेरा अभिनंदन ।
चरण तुम्हारे कोटिशः वंदन ।।
जय जय हे वीर भारत नंदन ।
चीख पुकार सुने तुम क्रंदन ।।
मुगल शासन निरंतर कीन्हा ।
ब्रिटेन पुर्तगाल शासन लीन्हा ।।
अठारह शताब्दी औ सत्तावन ।
गोरे बने थे कंस बालि रावण ।।

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©Instagram id @kavi_neetesh विषय: सुभाष चन्द्र बोस जयंती या पराक्रम दिवस 

समस्त माताओं , बहनों एवं बंधुओं को सुभाष चंद्र बोस जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
सुभाष चंद्र

Bharat Bhushan pathak

राजदुलारी प्यारी आई,आकर मन ये खूब हर्षाई। आस पूर्ण हुई अब वर्षों की,नन्ही बिटिया घर अब आई।। #Poetry

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harsha mishra

हर्षा बहनजी😊😊 विवेक ठाकुर "शाद" कर्म गोरखपुरिया Anshu writer Gautam Kumar Shaurya प्रशांत की डायरी Priyanka अब्र (Abr) Rakhee ki kalam se #कविता

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ताटंक छन्द गीत :- पावस के बूँदों की सरगम , रुनझुन गीत सुनाती है । मदमाती लहराती पुर्वा , मन शीतल कर जाती है ।। पावस के बूँदों की सरगम..। छ #कविता

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ताटंक छन्द गीत :-

पावस के बूँदों की सरगम , रुनझुन गीत सुनाती है ।
मदमाती लहराती पुर्वा , मन शीतल कर जाती है ।।
पावस के बूँदों की सरगम..।

छोटे-छोटे दूब उगे हैं , पथरीली चट्टानों पर।
हरी भरी यह देख धरा अब ,पुष्प खिले अरमानों के।।
झूम रहे हैं मोर मोरनी , कोयल गीत सुनाती है ।
पावस के बूँदों की सरगम .....

आज पिया से मधुर मिलन का , सपन नही टल पायेगा ।

इस प्यासी धरनी का प्रियतम , मिलकर प्यास बुझायेगा ।।
इसी खुशी से झूम आज वह  , अपना रूप सजाती है ।
पावस के बूँदों की सरगम ..

सावन के मेघों के जैसे , वो बन पावस आयेगा ।
मुरझाए इस तन मन को फिर बन सावन हर्षाएगा ।।
इसी स्वप्न से निशिदिन वह तो , मन अपना बहलाती है । 
पावस के प्यारी बूँदों की सरगम , 

३०/०७/२०२३     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ताटंक छन्द गीत :-

पावस के बूँदों की सरगम , रुनझुन गीत सुनाती है ।
मदमाती लहराती पुर्वा , मन शीतल कर जाती है ।।
पावस के बूँदों की सरगम..।

छ

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौकड़िया छन्द सावन आता मन को भाता , सबका मन बहलाता । साथी होता साथ नहाता , मन मेरा हर्षाता ।। आँगन में ये गिरती बूदें , तन की प्यास बुझाता । #कविता

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चौकड़िया छन्द
सावन आता मन को भाता , सबका मन बहलाता ।
साथी होता साथ नहाता ,  मन मेरा हर्षाता ।।
आँगन में ये गिरती बूदें , तन की प्यास बुझाता ।
साजन बिन ये दिल मेरा  , रह रह कर घबराता ।।

जबसे दूर गये है साजन , सूना लगता आँगन ।
साजन बिन सब लगता सूना , कैसे देखूँ दरपन ।।
भूली बैठी हूँ मैं सब कुछ , किसको कहते जीवन ।
आओ आकर अब मिल जाओ , तुमको कैसी अड़चन ।।

०५/०७/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौकड़िया छन्द
सावन आता मन को भाता , सबका मन बहलाता ।
साथी होता साथ नहाता ,  मन मेरा हर्षाता ।।
आँगन में ये गिरती बूदें , तन की प्यास बुझाता ।

HINDI SAHITYA SAGAR

तुम 'कौस्तुभ' जैसा ही चमकोगे, प्रिय! जॉय सदा एन्जॉय करो। दे रहे दुआ, ख़ुश रहो सदा, मन पुलकित और हर्षाय रहो। #hindisahityasagar #कविता

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कीर्ति स्पेशल गीत :- तुझ पे ही मैं जीवन वारूँ , आजा तेरी नज़र उतारूँ ।। सोंच रहा हूँ बैठा बेटी , कैसे तेरा भाग्य सँवारू ।। तुझपे ही मैं जीवन #कविता

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कीर्ति स्पेशल गीत :-

तुझ पे ही मैं जीवन वारूँ , आजा तेरी नज़र उतारूँ ।।
सोंच रहा हूँ बैठा बेटी , कैसे तेरा भाग्य सँवारू ।।
तुझपे ही मैं जीवन वारूँ ...

वेद पुराण सभी तुम जानों , कौन है राम उन्हें पहचानो ।
गीता रामायण की बाते , पढकर उनको तब सच मानों ।।
अच्छे सब संस्कार दिलाऊ , तुझको सब अधिकार बताऊँ ।
तेरी प्यारी-प्यारी सूरत , सुबह शाम मैं नित्य निहारूँ ।
तुझपे ही मैं जीवन वारूँ ....

तेरे खातिर तो मैं बेटी , इस दुनिया से भी लड़ जाऊँ ।
बन जाना तू रानी लक्ष्मी ,  आ तुझको तलवार सिखाऊँ ।।
अपनी रक्षा स्वयं करो तुम , इतनी विद्या तुम्हें दिलाऊँ ।
अपनी खातिर जितने कह दे , उतने आज रूप मैं धारूँ ।।
तुझपे ही मैं जीवन वारूँ ....

पढ़कर लिखकर पापा देखो , मैं तो सारे नियम निभाऊँ ।
बनूँ डाँक्टर य अब मैं नेता , सबको तेरी बात बताऊँ ।।
पढ़ ले बेटी जितना पढ़ना , तेरी खातिर तो बिक जाऊँ ।
जब तक तू कुछ नही बनेगी , देख नहीं मैं स्वर्ग सिधारूँ ।
तुझपे ही मैं जीवन वारू...

तेरे बिन तो जीवन मेरा , जैसे जग सूना बिन पानी ।
तू मेरे जीवन में आकर , कर दी है ये अमर कहानी ।।
क्षण-क्षण तुझको बढ़ता देखूँ  , मन ही मन मैं फिर हर्षाऊँ ।
अन्त समय में दूल्हा लाकर , उससे तेरा ब्याह रचाऊँ ।।
तुझपे ही मैं जीवन वारूँ....

तुझपे ही मैं जीवन वारूँ , आजा तेरी नज़र उतारूँ ।
सोच रहा  हूँ बैठा बेटी , कैसे तेरा भाग्य सँवारू ।।

२२/०६/२०२३   -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कीर्ति स्पेशल गीत :-

तुझ पे ही मैं जीवन वारूँ , आजा तेरी नज़र उतारूँ ।।
सोंच रहा हूँ बैठा बेटी , कैसे तेरा भाग्य सँवारू ।।
तुझपे ही मैं जीवन

Gopal prajapati

जब सहायता कर मै हर्षाया #जानकारी

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