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Shivkumar
hanuman jayanti 2024 ।। हनुमंत वीर ।। आओ हिल मिल मंगल गान गाएं । रामेष्ट का जन्मदिवस मुस्कान संग मनाएं । जन्मोत्सव बजरंगबली का बहुत हर्षाता । मां अंजनी का लाल दुख करता सबके दूर । बाल्यकाल से ही जग में हुआ नाम रोशन । पवनपुत्र हनुमानजी पीड़ा हरते हर जन की । महाबल के हो धनीन्। दर्प का आप करते नाश । राम जी के लाडले करते सबके काज । सीता मैया के अतिप्रिय वीर हनुमान । पवन वेग से जा लाए संजीवन बूटी । मूर्छित लक्ष्मण के प्राण दाता कहलाए । सीता मैया का पता लगा राम के लाडले बने । जन जन का आप रखते ख्याल । दसग्रीव दर्पहा का करा नाश । रोट, गुड़, मोती चूर के लड्डू का भोग मन भाता । राम जी के चरणों के अलावा कहीं ना सुहाता । नमन चरणों में बालाजी आपको बारम्बार । करो सारे जग का कल्याण । ©Shivkumar #hanumanjayanti24 #हनुमानजयंती #हनुमानजन्मोत्सव #हनुमान #hanumanjayanti #Hanuman #Nojoto ।। हनुमंत वीर ।। आओ हिल मिल मंगल गान गाएं । रा
Sangeeta Kalbhor
श्वासांचा श्वासांना पडता विळखा.. कोणी सांगितले तुला मला काही वाटत नाही मन पेटलेले असल्यावर तन मुळी पेटत नाही हवा असतो मला नित्य सोहळा तनामनाचा थरार अनुभवायचा असतो प्रत्येक क्षणाचा लपेटून घ्यायचे असते तुला उबदार श्वासात नको असतो थोडाही दुरावा प्रणयी सुवासात विळख्यात तुझ्या अखंड डुंबून माळावा सुगंध भिडता नजरेला नजर यौवनाचा भलताच गंध कडाडावी शलाका रे तुझ्या हळुवार स्पर्शाने मी माळावा अवघा वसंत किती किती हर्षाने श्वासांचा श्वासांना पडता विळखा मंत्रमुग्ध व्हावे मला जे जे सांगायचेय ते न सांगता तुला कळावे सरसावून यावास तू मला घेण्या मिठीत सखया सामावता तुझ्या बाहूत क्षणही नको जावा वाया...... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor श्वासांचा श्वासांना पडता विळखा.. कोणी सांगितले तुला मला काही वाटत नाही मन पेटलेले असल्यावर तन मुळी पेटत नाही हवा असतो मला नित्य सोहळा तनाम
Instagram id @kavi_neetesh
समस्त माताओं , बहनों एवं बंधुओं को सुभाष चंद्र बोस जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ । सुभाष चंद्र बोस जी के नाम पर एक सुभाष चालिसा का प्रयास: दोहा अष्ट शताब्दी वर्ष तक , यह भारत रहा गुलाम । कभी मुगल कभी गोरे , रहे शासन ये अविराम ।। चौपाई जय सुभाष तेरा अभिनंदन । चरण तुम्हारे कोटिशः वंदन ।। जय जय हे वीर भारत नंदन । चीख पुकार सुने तुम क्रंदन ।। मुगल शासन निरंतर कीन्हा । ब्रिटेन पुर्तगाल शासन लीन्हा ।। अठारह शताब्दी औ सत्तावन । गोरे बने थे कंस बालि रावण ।। READ IN CAPTION........ ©Instagram id @kavi_neetesh विषय: सुभाष चन्द्र बोस जयंती या पराक्रम दिवस समस्त माताओं , बहनों एवं बंधुओं को सुभाष चंद्र बोस जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ । सुभाष चंद्र
Bharat Bhushan pathak
harsha mishra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ताटंक छन्द गीत :- पावस के बूँदों की सरगम , रुनझुन गीत सुनाती है । मदमाती लहराती पुर्वा , मन शीतल कर जाती है ।। पावस के बूँदों की सरगम..। छोटे-छोटे दूब उगे हैं , पथरीली चट्टानों पर। हरी भरी यह देख धरा अब ,पुष्प खिले अरमानों के।। झूम रहे हैं मोर मोरनी , कोयल गीत सुनाती है । पावस के बूँदों की सरगम ..... आज पिया से मधुर मिलन का , सपन नही टल पायेगा । इस प्यासी धरनी का प्रियतम , मिलकर प्यास बुझायेगा ।। इसी खुशी से झूम आज वह , अपना रूप सजाती है । पावस के बूँदों की सरगम .. सावन के मेघों के जैसे , वो बन पावस आयेगा । मुरझाए इस तन मन को फिर बन सावन हर्षाएगा ।। इसी स्वप्न से निशिदिन वह तो , मन अपना बहलाती है । पावस के प्यारी बूँदों की सरगम , ३०/०७/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ताटंक छन्द गीत :- पावस के बूँदों की सरगम , रुनझुन गीत सुनाती है । मदमाती लहराती पुर्वा , मन शीतल कर जाती है ।। पावस के बूँदों की सरगम..। छ
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौकड़िया छन्द सावन आता मन को भाता , सबका मन बहलाता । साथी होता साथ नहाता , मन मेरा हर्षाता ।। आँगन में ये गिरती बूदें , तन की प्यास बुझाता । साजन बिन ये दिल मेरा , रह रह कर घबराता ।। जबसे दूर गये है साजन , सूना लगता आँगन । साजन बिन सब लगता सूना , कैसे देखूँ दरपन ।। भूली बैठी हूँ मैं सब कुछ , किसको कहते जीवन । आओ आकर अब मिल जाओ , तुमको कैसी अड़चन ।। ०५/०७/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौकड़िया छन्द सावन आता मन को भाता , सबका मन बहलाता । साथी होता साथ नहाता , मन मेरा हर्षाता ।। आँगन में ये गिरती बूदें , तन की प्यास बुझाता ।
HINDI SAHITYA SAGAR
तुम 'कौस्तुभ' जैसा ही चमकोगे, प्रिय! जॉय सदा एन्जॉय करो। दे रहे दुआ, ख़ुश रहो सदा, मन पुलकित और हर्षाय रहो। ©HINDI SAHITYA SAGAR तुम 'कौस्तुभ' जैसा ही चमकोगे, प्रिय! जॉय सदा एन्जॉय करो। दे रहे दुआ, ख़ुश रहो सदा, मन पुलकित और हर्षाय रहो। #hindisahityasagar
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कीर्ति स्पेशल गीत :- तुझ पे ही मैं जीवन वारूँ , आजा तेरी नज़र उतारूँ ।। सोंच रहा हूँ बैठा बेटी , कैसे तेरा भाग्य सँवारू ।। तुझपे ही मैं जीवन वारूँ ... वेद पुराण सभी तुम जानों , कौन है राम उन्हें पहचानो । गीता रामायण की बाते , पढकर उनको तब सच मानों ।। अच्छे सब संस्कार दिलाऊ , तुझको सब अधिकार बताऊँ । तेरी प्यारी-प्यारी सूरत , सुबह शाम मैं नित्य निहारूँ । तुझपे ही मैं जीवन वारूँ .... तेरे खातिर तो मैं बेटी , इस दुनिया से भी लड़ जाऊँ । बन जाना तू रानी लक्ष्मी , आ तुझको तलवार सिखाऊँ ।। अपनी रक्षा स्वयं करो तुम , इतनी विद्या तुम्हें दिलाऊँ । अपनी खातिर जितने कह दे , उतने आज रूप मैं धारूँ ।। तुझपे ही मैं जीवन वारूँ .... पढ़कर लिखकर पापा देखो , मैं तो सारे नियम निभाऊँ । बनूँ डाँक्टर य अब मैं नेता , सबको तेरी बात बताऊँ ।। पढ़ ले बेटी जितना पढ़ना , तेरी खातिर तो बिक जाऊँ । जब तक तू कुछ नही बनेगी , देख नहीं मैं स्वर्ग सिधारूँ । तुझपे ही मैं जीवन वारू... तेरे बिन तो जीवन मेरा , जैसे जग सूना बिन पानी । तू मेरे जीवन में आकर , कर दी है ये अमर कहानी ।। क्षण-क्षण तुझको बढ़ता देखूँ , मन ही मन मैं फिर हर्षाऊँ । अन्त समय में दूल्हा लाकर , उससे तेरा ब्याह रचाऊँ ।। तुझपे ही मैं जीवन वारूँ.... तुझपे ही मैं जीवन वारूँ , आजा तेरी नज़र उतारूँ । सोच रहा हूँ बैठा बेटी , कैसे तेरा भाग्य सँवारू ।। २२/०६/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कीर्ति स्पेशल गीत :- तुझ पे ही मैं जीवन वारूँ , आजा तेरी नज़र उतारूँ ।। सोंच रहा हूँ बैठा बेटी , कैसे तेरा भाग्य सँवारू ।। तुझपे ही मैं जीवन