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Ganesh joshi
White कुभोज्येन दिनं नष्टम् । – अर्थ:बुरे भोजन से पूरा दिन बिगडता है । ©Ganesh joshi #short_shyari कुभोज्येन दिनं नष्टम् । – अर्थ:#बुरे #भोजन से पूरा दिन बिगडता है ।
#short_shyari कुभोज्येन दिनं नष्टम् । – अर्थ:#बुरे #भोजन से पूरा दिन बिगडता है । #Motivational
read moreDevesh Dixit
White पर्यावरण (दोहे) देखा पर्यावरण को, विचलित होता मीत। नष्ट कर रहा यह सभी, नहीं समझता रीत।। कैसी हालत कर रहे, देखो ये नादान। वृक्ष सभी ये काट कर, बनते हैं अनजान।। दूषित भी ये कर रहे, हम सब की जो शान। इसने ही पाला हमें, ये ही है वरदान।। दाता ने हमको दिया, ये सुन्दर संसार। पाया पर्यावरण को, है अपना शृंगार।। धरती माता रो रहीं, देखा जो ये हाल। मिटता पर्यावरण है, ऐसा फैला जाल।। सोच समझ सब खो चुके, कैसे हों आबाद। बैठे हैं जिस डाल पर, उसे करें बर्बाद।। जीवों को भी हो रही, अब दिक्कत यह खास। भटक रहे वे ग्राम को, रखते उनसे आस।। भोजन की विपदा बड़ी, वो भी हैं भयभीत। मानव संकट है बड़ा, होगी कैसे जीत।। ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #पर्यावरण #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry पर्यावरण (दोहे) देखा पर्यावरण को, विचलित होता मीत। नष्ट कर रहा यह सभी, नहीं समझता रीत।।
#पर्यावरण #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry पर्यावरण (दोहे) देखा पर्यावरण को, विचलित होता मीत। नष्ट कर रहा यह सभी, नहीं समझता रीत।। #Poetry #sandiprohila
read moreSurendra Sharma
White “बेमानी करके ईमानदारी मांगते हो, करके कामचोरी, रोजगार मांगते हो। क्रोध करके स्नेह मांगते हो, करते हो हिंसा और शांति मांगते हो। असत्य के व्यवहार में, सत्यता मांगते हो, व्यभिचार में रमे, चरित्र मांगते हो, असभ्य हो स्वयं और सभ्य बेटा मांगते हो। पेड़ काटकर छाया मांगते हो। प्रदूषण करके स्वच्छता मांगते हो, मिटाकर नदियों को, पानी मांगते हो। हवा दूषित करके साँसे मांगते हो, भोजन दूषित करके आरोग्यता मांगते हो। संस्कृति को मिटाकर, भारत मांगते हो, तकनीक के आदी! प्रकृति को मिटाकर जीवन मांगते हो। खुदको अविष्कारक समझने वाले, ईश्वर का प्रमाण मांगते हैं।” - प्रेम ©Surendra Sharma “बेमानी करके ईमानदारी मांगते हो, करके कामचोरी, रोजगार मांगते हो। क्रोध करके स्नेह मांगते हो, करते हो हिंसा और शांति मांगते हो। असत्य के व्यव
SONA DEVI
White https://www.instagram.com/reel/C7UI5MKy1aJ/?igsh=MTNvZXI2ZWt5dW95NA== 22June 2024को परम् पिता परमात्मा परम् अक्षर ब्रह्म जी का प्रकट दिवस, संत रामपाल जी के 15+आश्रमों में देश विदेश में सभी जगह मनाया जाता है राजस्थान में पाली सोजत , आश्रम में सभी राजस्थान वालो से विनर्म निवेदन है सभी आत्माओं को परमात्मा के भंडारे, महायज्ञ में सम्मिलित होना चाहिए। इस यज्ञ को महायज्ञ कहते हैं इस से के एक कण को चिटी भी खाती है तो उसका भी बड़ा फ़ल मिलता है, मनुष्यो के लिए सबसे अच्छी बात यह है की इस महायज्ञ में पूर्ण गुरु के द्वारा कराया गया प्रसाद, कहीं जन्मों के पाप काटता है,। गीता में भगवान कहते हैं यज्ञ के द्वारा खाया गया भोजन, पाप कर्मों को समाप्त करता है यज्ञ में परमात्मा प्रतिष्ठित होता है जहां यज्ञ होते हैं वाहा परमात्मा अवश्य ही होता है ओर यज्ञ से वर्षा होती है वर्षा से अन्न पैदा होता है अन्न से सभी जीव का पेट भरता है इस प्रकार यज्ञ ही वह धार्मिक अनुष्ठान हैं जो न हो तो संपूर्ण प्राणी भूखे मरे ©ARTI JI #mango_tree #election_2024 #VoteForIndia #voting #लव #शायरी #कविता #viral #Love https://www.instagram.com/reel/C7UI5MKy1aJ/?igsh=MTNvZXI2Z
#mango_tree #election_2024 #VoteForIndia #voting #लव #शायरी #कविता #viral Love https://www.instagram.com/reel/C7UI5MKy1aJ/?igsh=MTNvZXI2Z #भक्ति
read moreDevesh Dixit
किवाड़ों से झाँकती रौशनी एक जगह थी जो सुनसान, दिखा वहीं पर घर अनजान। घर के आगे खुला इलाका, दिखता था पूरा शमशान। यहाँ सन्नाटा सब ओर था, घर पर नहीं कोई और था। किवाड़ों से झाँकती रौशनी, जिसका नहीं कोई छोर था। धूल - मिट्टी से भरा हुआ था, जालों का भण्डार लगा था। टूटते से किवाड़ थे उसके, कबूतरों का वो घर बना था। फर फर कर उसमें मंडराते, वो गुटर गूँ से शोर मचाते। खाने को नहीं मिले वहाँ कुछ, भोजन लाने को उड़ जाते। कर जतन भोजन को लाते, बड़े मगन से फिर वो खाते। हो जाता जब घर में अँधेरा, बेखौफ हो कर वो सो जाते। क्या आगे मैं हाल बताऊँ, वीराने का दृश्य दिखाऊँ। जाता नहीं कोई वहाँ पर, यही तुमको मैं समझाऊँ। ............................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #किवाड़ों_से_झाँकती_रौशनी #nojotohindi #nojotohindipoetry किवाड़ों से झाँकती रौशनी एक जगह थी जो सुनसान, दिखा वहीं पर घर अनजान। घर के आगे खु
#किवाड़ों_से_झाँकती_रौशनी #nojotohindi #nojotohindipoetry किवाड़ों से झाँकती रौशनी एक जगह थी जो सुनसान, दिखा वहीं पर घर अनजान। घर के आगे खु #Poetry #sandiprohila
read moreYogi Sonu
White आज एकादशी है । आज के दिन हमारे शरीर को भोजन की जरूरत नहीं होती और शरीर अपने आप को पुन व्यवस्थित करने के लिए अपने आप को ही सफाई करता है इससे शरीर शुद्धि होती है इसी को कहते है उपवासना के क्षण लागे जैसे अमृत के क्षण।। उपासना का यही अर्थ है यही इसका विज्ञान है ।। ©Yogi Sonu आज एकादशी है । आज के दिन हमारे शरीर को भोजन की जरूरत नहीं होती और शरीर अपने आप को पुन व्यवस्थित करने के लिए अपने आप को ही सफाई करता है इससे
Ankit Singh
एक मनुष्य भोजन के लिए जानवरों को मारे बिना जीवित और स्वस्थ रह सकता है, इसलिए, यदि वह मांस खाता है, तो वह केवल अपनी भूख के लिए पशु जीवन लेने में भाग लेता है। ©Ankit Singh एक मनुष्य भोजन के लिए जानवरों को मारे बिना जीवित और स्वस्थ रह सकता है, इसलिए, यदि वह मांस खाता है, तो वह केवल अपनी भूख के लिए पशु जीवन लेने
Ravendra
डीएम व एसपी ने परिषदीय विद्यालयों का किया निरीक्षण बहराइच । परिषदीय विद्यालयों के पठन-पाठन, भवन, शिक्षण स्थाफ व छात्र-छात्राओं की उपस्थित #वीडियो
read moreRavendra
जनपद न्यायाधीश ने डीएम व एसपी के साथ किया कारागार का निरीक्षण बहराइच ।जनपद न्यायाधीश उत्कर्ष चतुर्वेदी ने जिलाधिकारी मोनिका रानी, पुलिस अधी #न्यूज़
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