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संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
White मातामही मातामहः ग्राम: अहं तत् क्षणं बहु मधुरं मन्ये यः ग्रामे निवसति स्म पन्थाने कृषिक्षेत्राणि,कोष्ठानि च गृहीतः, मया सः क्षणः वास्तवमेव अतीव मधुरः इति ज्ञातम्। पूर्वं यदा मम मातामही मातामहः ग्रामः अहं बाल्यकाले गच्छामि स्म, हिन्दी अनुवाद नाना नानी के गांव वो क्षण ही बड़ा प्यारा लगा करता था जो गांव में बिता करता था पगडंडी पर खेत खलिहानों का जायजा लिया जाता था, सच वो क्षण बड़ा ही प्यारा लगा करता था जब नाना नानी के गांव बचपन में जाना हुआ करता था, ©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक नाना नानी के गांव मातामही मातामहः विधा विचार भाव वास्तविक #Trending #wellwisher_taru #Po
स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक नाना नानी के गांव मातामही मातामहः विधा विचार भाव वास्तविक #Trending #wellwisher_taru Po
read moreशुभम मिश्र बेलौरा
White बचा लो अपना अब परिवार -2 घरवालों में खत्म हो रहा अपनापन और प्यार। बचा लो अपना अब परिवार -2 जहां बुजुर्गों की इज्जत थी निगरानी करते थे, डांट ठहाके देते और बातें मर्दानी करते थे। जिंदा रहना बची जिंदगी उनकी इसी जमाने में, सारी अहमियत तौल दी गई थाली भर के खाने में। दादी दादा से सजा हुआ अब दिखता नहीं घर द्वार, घर वालों में खत्म हो रहा अपनापन और प्यार। बचा लो अपना अब परिवार -2 जहां एक भाई भाई के खातिर राज्य था छोड़ा, सदियों में मां बेटे का रिश्ता न किसी ने तोड़ा। वहीं एक कमरे की लड़ाई गोली तक चलवाती है, अपनी स्वतंत्रता के खातिर मां बेटे को खा जाती है। कर्तव्यों को छोड़ सभी को दिखता बस अधिकार, घर वालों में खत्म हो रहा अपनापन और प्यार। बचा लो अपना अब परिवार -2 भारत की सभ्यता संस्कृति इसमें रही समाई, इसे मिटाने की साज़िश है दुनिया की सच्चाई। प्रेम जगाने वाला दीपक फिर से यहां जलाओ, बच्चों को शिक्षा के संग संग संस्कार सिखलाओ। इसी का करते दुनिया वाले सबसे पहले शिकार, घर वालों में खत्म हो रहा अपनापन और प्यार। बचा लो अपना अब परिवार -2 ©शुभम मिश्र बेलौरा #good_night परिवार
#good_night परिवार
read moreSatish Kumar Meena
White मेरे गांव की हवा कुछ ऐसी है अगर वहां चले जाओ तो वापस आने नहीं देती, इसका मतलब बड़ी ही मिलनसार आबोहवा है। ©Satish Kumar Meena मेरे गांव की हवा
मेरे गांव की हवा
read moreशुभम मिश्र बेलौरा
White भले किरदार कुछ भी हो ,सदा हल्का दिखूंगा मैं। बड़ी औकात मत लाना,नहीं उसमें बिकूंगा मैं। बहुत दुनिया में घूमूंगा , रहूंगा मैं कहीं पर भी पसंद पूछोगे मेरी तो,सदा तिलका लिखूंगा मैं। ©शुभम मिश्र बेलौरा #good_night गांव
#good_night गांव
read moreVED PRAKASH 73
White यादें बनाई जा सकती हैं बेशर्ते आप परिवार के साथ रहते हुए भी फ़ोन या मेल चेक करते रहने की आदत छोड़ सकें बचपन इसलिए खूबसूरत था की आप वर्तमान क्षण में रहा करते थे... वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #परिवार
Vijay Kumar
#love_shayari जीवन में हमेशा याद रखना की दौलत तो परिवार से भी मिल सकता है पर पहचान खुद बनानीपड़ती हैं
read moreShashi Goutam
White रोजी रोटी की तलाश में घरों से दूर हैं हम, मुश्किल वक्त में पता चलता है,कितने मजबूर हैं हम। Roji roti ki talaash me gharon se door hain hun, muskil waqt me pata chalta hai,kitne mazboor hain hum. ©Shashi Goutam #वक्त #रोटी #घर #मजबूर #अपने #दोस्ती #परिवार #जरूरत